Wednesday, December 14, 2016

तीन साल चहुंमुखी विकासः शहरों से गांव की चौपाल तक


वसुन्धरा सरकार का दूसरा दौर

तीन साल चहुंमुखी विकासः शहरों से गांव की चौपाल तक

अब्दुल सत्तार सिलावट                                                             

पाली। देश में नोटबंदी, चैन्नई में तूफान, मोदी जी के फिर से विदेश दौरे, बैंकों के भ्रष्ट अफसरों की धरपकड़ और राजस्थान मंत्रिमंडल में नये-उत्साही, जाति और क्षेत्रिय समीकरण। इन सब के बीच राजस्थान की उत्साही मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के दूसरे दौर के कार्यकाल के सफलतम तीन साल। महारानी साहिबा भले ही भाजपा से जीतकर आती हैं, लेकिन उत्तर भारत में भाजपा की मात्र पहली नेता मुख्यमंत्री हैं जिसे सिर्फ भाजपा या हिन्दूवादी संगठन ही नहीं, बल्कि राजस्थान के मुस्लिम भी दिल से चाहते हैं, सम्मान करते हैं और अब तो भाजपा को राजस्थान का मुसलमान वोट भी देने लगा है। इसका मुख्य कारण है वसुन्धरा राजे का ‘दिल’ से गैर साम्प्रदायिक होना और सबूत है कि पिछले पाँच साल और अब के तीन साल में राजस्थान में छुटपुट घटनाओं को छोड़कर कहीं भी गोपालगढ़, सराड़ा (उदयपुर), बालेसर (जोधपुर) जैसी साम्प्रदायिक आग स्वयं मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने हर घटना पर नजर रखकर मुसलमानों की सुरक्षा कर वायदा पूरा किया।
पश्चिमी राजस्थान का पाली जिला। सांसद सहित छः विधायक भाजपा के। इनमें सांसद पी.पी. चौधरी केन्द्र में मंत्री, जैतारण एवं बाली विधायक राज्य सरकार में मंत्री और सुमेरपुर विधायक मदन राठौड़ राजस्थान विधानसभा में उप मुख्य सचेतक। चौदहवीं विधानसभा के पहले तीन साल में राजस्थान को मुख्यमंत्री वसुन्धरा ने ‘रिसर्जेंट राजस्थान’, जल स्वावलम्बन, मुफ्त दवा योजना को निरन्तर, भामाशाह, अन्नत्योदय, मुख्यमंत्री आवास योजना जैसी विशाल योजनाएं दी। लेकिन हम बात करेंगे टेक्सटाइल और चूड़ी उद्योग से जुड़े पाली जिले की जिसे सुमेरपुर विधायक मदन राठौड़ के प्रयासों से जवाई पुनर्भरण जैसी विशाल ‘भागीरथी गंगाधारा’ की मंजूरी ही नहीं डीपीआर भी शुरू हो गई और तीन प्रमुख योजनाएं पाली के लोकप्रिय विधायक ज्ञानचन्द पारख आजादी के बाद पहला मेडिकल कॉलेज, पर्यावरण हेतु जेडएलडी एवं करोड़ों की पाली शहर में सीवरेज योजना।
जैतारण से जलदाय मंत्री सुरेन्द्र गोयल एवं बाली से ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ने पाली जिले को अपने मंत्रालयों के अलावा अन्य योजनाओं को भी लागू करवाकर पाली जिले को भाजपा के तीन साल की विकास दौड़ में आगे रखा है।

इतनी शक्ति ‘इन्हें’ देना दाता!

हजारों परिवारों को रोजगार देने वाली पाली की टेक्सटाईल फैक्ट्रीयां प्रदूषण उगलने की सजा भुगतने के रूप में पिछले साढ़े तीन माह से बंद हैं और आम जनता फैक्ट्री मालिकों से अधिक भाजपा सरकार के नेताओं की आपसी गुटबाजी को इसका जिम्मेदार मानती है।
पाली की जनता ईश्वर से प्रार्थना कर रही है कि ...इतनी शक्ति ‘इन्हें’ देना दाता... कि आगामी 16 दिसम्बर को पाली शहर के हर घर में एक बार फिर दीपावली के दीप जले, खुशियों में पटाखे छोड़ें और क्रिसमस 25 दिसम्बर से पहले पाली की फैक्ट्रीयों पर रंग-बिरंगे फूलों की छपाई वाली साड़ियां और सूट लहराते नजर आएं।
पाली को आखिरी उम्मीद केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी से हैं जिनके पास विधि मंत्रालय का एक विभाग एनजीटी है जिसके आदेश पर पाली का भविष्य टिका है।

पुलिस-खाकीः अमन के रखवाले

राजस्थान सरकार के तीन साल के सफलता में विकास योजनाओं की दौड़ में पाली जिला पुलिस ने आमजन को अमन, शांति, ट्रेफिक नियमों का पालन एवं अपराधियों को पकड़ने में पुलिस का सहयोग करने का संदेश भी दिया।
पाली के बांगड़ स्कूल प्रांगण के विशाल पांडाल में पुलिस के स्टॉल पर आमजन तक संदेश पत्र देते पाली शहर कोतवाल अमरसिंह रतनू एवं महिला पुलिसकर्मी भी नजर आए।

Monday, December 12, 2016

नबी का पैग़ामः आपसी भाईचारा और कौमी एकता


नबी का पैग़ामः आपसी भाईचारा और कौमी एकता

अब्दुल सत्तार सिलावट


पाली। इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.व.) ने पहला पैग़ाम आपसी भाईचारा, मोहब्बत और अमनों अमान से रहना एवं अपने पडौसी के दुःख सुख में भागीदार बनना है। ईद मिलादुन्नबी पर पश्चिमी राजस्थान के पाली शहर में विशाल तकरीर प्रोग्राम में मौलाना हाफिजो-कारी अब्दुल वली रशीदी साहब ने पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.व.) के जीवन के अनुकरणीय पहलुओं पर कहा कि ‘आपने’ अपने दुश्मनों, विरोधियों तक को माफ़ कर अमन की सीख दी है।
पाली के नाड़ी मोहल्ला में अन्जुमन सीरतुन्नबी की तरफ से ईद मिलादुन्नबी के जलसे में विशाल मंच पर पाली शहर की मस्जिदों के ईमाम, मौलाना, कारी, हाफिज, दारुल ऊलूम के संचालकों की मौजूदगी में शाहपुरा (भीलवाड़ा) से तशरीफ लाये मौलाना रशीदी साहब ने पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.व.) के पैगाम को आम मुसलमानों तक पहुंचाते हुए अपनी सरज़मीं से मोहब्बत, अपनों से कमजोर और मजबूर लोगों की मदद के साथ भाईचारे और कौमी एकता को मज़बूत करने का संदेश दिया।
अंजुमन सीरतुन्नबी के सदर हाजी मोहम्मद रफीक गौरी ने इस मौके पर कहा कि पिछले एक दशक से ईद मिलादुन्नबी के विशाल जुलूस को पाली की मुख्य मार्गों से इस्लामी झांकियों, झंडे, नारों एवं पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.व.) के संदेशों की तख्तीयों, नात-ए-कलाम के साथ कौमी एकता के जुलूस के रूप में निकाला जाता है।
सदर रफीक गौरी ने बताया कि पाली शहर में हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे के अन्य जुलूस रामनवमी, जन्माष्टमी, महावीर जयन्ति के साथ इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.व.) के यौमे पैदाईश का विशाल जुलूस जिसका पाली शहर में मुसलमानों के अलावा कौमी एकता के समर्थक हिन्दू भाईयों द्वारा पुष्प वर्षा, फल वितरण, जुलूस में भाग ले रहे बच्चों को आईस्क्रीम वितरण कर ईद मिलादुन्नबी के जुलूस का स्वागत करते हैं।
आज के जुलूस में अंजुमन सीरतुन्नबी के सदर, सचिव और कमेटी के अलावा पूर्व उप सभापति नगर परिषद पाली मोहतरमा शमीम मोतीवाला एवं नगर परिषद पाली के मौजूदा बोर्ड के पार्षद अनवर अली सहित कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लेकर जुलूस का नेतृत्व किया।

ईद मिलादुन्नबी से सम्बंधित अन्य फोटो के लिए हमारे फेसबुक पेज पर विजिट करें
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Tuesday, October 25, 2016

तलाक कौन सी? कुरान या अदालती

तलाक कौन सी? कुरान या अदालती

अब्दुल सत्तार सिलावट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के महोबा की परिवर्तन रैली की आम सभा में सोमवार को कहा कि देश में कन्या भू्रण हत्या के साथ मुस्लिम बेटियों की तीन तलाक को भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। बहुत अच्छा लगा। पूरे देश को अच्छा लगा। सिर्फ हिन्दू भाईयों को ही नहीं, उनके साथ देश भर के जागरूक, बुद्धिजीवी और इस्लाम, दीन और कुरान शरीफ को समझने वाले मुसलमानों को भी प्रधानमंत्री की मुस्लिम बेटियों की चिंता से ‘शुकून’ मिला।
तीन तलाक एक साथ कहकर किसी भी औरत की जिंदगी बर्बाद, भविष्य अंधकारमय करने के खिलाफ भारत के प्रधानमंत्री या देश की कानून व्यवस्था ही नहीं बल्कि खुद इस्लाम और कुरान शरीफ में तलाक की बताई गई तफसील भी खिलाफ है। मुस्लिम पर्सनल लॉ और इस्लाम के कानूनों पर एक किताब ‘मुल्ला ऑन मोहम्मदन लॉ’ में कुरान की आयत संख्या 225 से 235 के हवाले से बताया गया है कि सुन्नती तलाक में दो तरीके हैं, एक तलाक-उल-हसन। दूसरा तलाक-उल-अहसन। इनमें पहले तरीके में कुरान शरीफ बताता है कि तीन तलाक में से पहली तलाक के बाद एक महिने तक पति पत्नि साथ रहकर सुलह का इंतजार करे। यदि कोई सुलह नहीं होती है तो दूसरे माह में दूसरी तलाक और फिर भी सुलह नहीं हो तो तीसरे माह में आखिरी तीसरी तलाक दी जाए। तीसरी तलाक कहने के बाद यदि तीसरा महिना खत्म होने के एक दिन पहले भी सुलह हो जाये तो सभी तलाकें रद्द हो जाती है।
कुरान शरीफ में तलाक के लिए हिदायत है कि यदि औरत माहवारी(नापाकी) में है या प्रसवकाल के शुरू के तीन महिने निकल चुके हैं तो तलाक नहीं दी जा सकती है तब तलाक देने की मियाद प्रसवकाल के बाद ही शुरू हो सकती है। जबकि इन दिनों देश भर में तीन तलाक को ऐसे बताया जा रहा है जैसे मुसलमान एक मिनट में अपनी औरत को तीन बार तलाक कहकर घर से धक्के देकर गली-सड़क पर निकाल फैंकता है।
कुरान शरीफ में सबसे बुरा तलाक को माना गया है, लेकिन औरत-मर्द के साथ नहीं रह पाने या घुटनभरी मजबूरन जिंदगी से निजात पाने के लिए आखिरी समाधान में तलाक को मंजुरी दी है वह भी औरत के हकों की हिफाजत करते हुए। अब एक तरफ पति-पत्नि के एक साथ नहीं रहने के हालात में इस्लाम में तीन माह में नई जिंदगी का रास्ता दिखाया है वहीं हमारे भारतीय संविधान में देश भर के न्यायालयों में तलाक के मुकदमों की ‘एवरेज लाइफ’ पाँच से आठ साल आती है। इसका मतलब एक औरत पति से तलाक के लिए न्यायालय और वकीलों के दफ्तर में सालों चक्कर लगाती रहे। 
इसी बीच न्यायालयों में औरत और मर्द द्वारा दिये जा रहे बयानों से इतनी दूरियां बढ़ जाती है कि मर्द औरत को अपने घर से ही निकाल देता है या बच्चों के भरण-पोषण के लिए औरत भटकती रहे। समाज तलाक के लिए कोर्टों के चक्कर लगा रही महिला को सम्मान से नहीं देखता है। इन हालात में आप स्वयं फैसला लें कि इस्लाम और कुरान में औरत को तलाक के दिये अधिकार सुन्नत तरीके तलाक-उल-हसन का तीन माह का तरीका सही है या हमारे देश की न्यायालयों से वर्षों चक्कर लगाकर मिलने वाली तलाक बेहतर है।
देश के आलीम, मुस्लिम विद्वान और राजनीति से दूर बैठे मुसलमानों की मौजूदा हालात की समीक्षा करने वाले तो यहां तक बताते हैं कि आज देश में मुसलमानों की तीन तलाक, सूर्य नमस्कार, वंदे मातरम या भारत माता की जय बोलने तक की समस्या नहीं है। बल्कि स्वयं मुसलमान एक राजनैतिक समस्या है। जब तक देश का मुसलमान अपने वोट की राजनैतिक दिशा नहीं बदलेगा तब तक भारत के मुसलमानों को ऐसे मुद्दों का मुकाबला करना ही पड़ेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, प्रधान सम्पादक दैनिक महका राजस्थान एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Wednesday, October 5, 2016

प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर ‘लुका-छिपी’ खेल रहे हैं... Pollution Control Game in Pali Taxtile Industries


प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर ‘लुका-छिपी’ खेल रहे हैं...
अब्दुल सत्तार सिलावट
पाली की रंगाई छपाई फैक्ट्रीयों के प्रदूषण का स्थाई हल राजनेता, प्रदूषण रोकने वाले सीईटीपी और सरकार के प्रदूषण विभाग तथा उनके मंत्री भी अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन पिछले तीन दशक से कांग्रेस भाजपा की सरकारों के मंत्री और अधिकारी जानबूझकर प्रदूषण के स्थाई समाधान के ‘फार्मूले’ को टाल-मटोल या नजर अंदाज कर अपना ‘लक्ष्य’ पूरा करते रहे हैं। फैक्ट्रीयों के उज्जवल भविष्य को बनाने में लगे नेता ‘एनजीटी’(राष्ट्रीय हरित अधिकरण) को भ्रमित करने में ‘फेल’ रहे हैं और हाल की पेशी पर फैक्ट्रीयां ‘बंद-चालू’ के बयानों में स्वयं ही उलझकर दीपावली की चमक को फीकी कर बैठे हैं।

          जयपुर। बचपन में छोटे-भाई बहिनों के साथ घर के दो-तीन कमरों में जब ‘लुका-छिपी’ का खेल खेलते थे तब भोले-भाले छोटे भाई बहन जो अच्छी तरह छुप नहीं पाते थे, उन्हें देखकर भी अन्जान बनकर दूसरे कमरों में ढूंढ़ते थे और बाद में उन्हें नहीं पकड़ पाने में हारकर उन्हें जीत की खुशी देते थे।
         बस ऐसा ही ‘लुका-छिपी’ का खेल पश्चिमी राजस्थान की टेक्सटाईल नगरी पाली में पिछले सवा महिने से बंद पड़ी फैक्ट्रीयों को चालू करवाने के नाम पर राजनेता, उद्योग प्रतिनिधि, प्रदूषण नियंत्रण मंडल और राजस्थान सरकार के पर्यावरण मंत्री सब कुछ जानते हुए भी अन्जान बनकर खेल रहे हैं।
         पाली के चार औद्योगिक क्षेत्रों में छः सौ फैक्ट्रीयां हैं तथा इनसे निकलने वाले प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए छः ट्रीटमेंट प्लांट बने हुए हैं। कुल छः सौ फैक्ट्रीयों में से साढ़े पांच सौ फैक्ट्रीयों का प्रदूषित पानी सिर्फ दो ट्रीटमेंट प्लांट साफ कर सकते हैं जबकि शेष बची पचास से साठ फैक्ट्रीयां जो अपने आप में पावर प्रोसेस मिल के बराबर हैं, उनसे निकलने वाले प्रदूषित पानी को अभी चल रहे छः ट्रीटमेंट प्लांटों के साथ छः और नये ट्रीटमेंट प्लांट बना दिये जायें तब भी इन मिलों से बाढ़ की तरह निकलने वाले पानी को बिना ट्रीटमेंट के बांडी नदी में मजबूरन डालना होगा जैसा अब तक होता रहा है।
          पाली की 90 प्रतिशत हैण्ड प्रोसेस फैक्ट्रीयों की ‘आहुति’ इन 50-60 बड़े पावर प्रोसेस मिलों को चलाने की जिद में पिछले सवा महिने से बंद रखकर दी जा रही है। इस बात को पाली के राजनेता, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पाली से जयपुर तक बैठे उच्च अधिकारी एवं जिला प्रशासन खूब अच्छी तरह से जानता है। लेकिन इन 50-60 बड़े पावर प्रोसेस मिलों का सीईटीपी से लेकर भाजपा सरकार के नेताओं और प्रदूषण मंडल के चेयरमैन और पर्यावरण मंत्री तक इतना प्रभाव, इतनी अच्छी और मजबूत पकड़ है कि जब तक इनके इच्छानुसार और इनके हित का निर्णय नहीं होगा तब तक ये पाली की फैक्ट्रीयों की चिमनियों से धुंआ नहीं निकलने देंगे।

कौन हैं ‘बड़े’
          बड़े पावर प्रोसेस मिलों के मालिक पिछले तीस साल में सीईटीपी के बड़े पदों पर रहे उद्यमी हैं। राजनीति में कांगे्रस-भाजपा में नगर परिषद चेयरमैन, शहर-ब्लॉक अध्यक्ष पदों पर रह चुके नेता और मौजूदा भाजपा सरकार में जयपुर, दिल्ली में बैठे नेताओं के ‘प्रियजन’ भी बड़ों की सूचि में शामिल हैं। पाली के उद्योगों को जिंदा रखना है तो सरकार सख्ती के साथ पावर प्रोसेस मिलों को तत्काल बंद करे।

खेल केएलडी का
          सीईटीपी के पदाधिकारियों के पास एक ताकत केएलडी बांटने का ‘वीटो’ पावर है जिसमें दो हजार वर्ग मीटर की एक फैक्ट्री के पास मात्र 48 केएलडी प्रदूषित पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजने का अधिकार है। जबकि दो हजार वर्ग मीटर वाली ही कई फैक्ट्रीयों को सीईटीपी द्वारा तीन सौ केएलडी तक आवंटित किया गया है और नियमों को ‘पर्स’ में रखकर केएलडी लुटाने का खेल किया गया है। केएलडी लूटने के आरोप भी सीईटीपी के बड़े पदाधिकारियों पर अधिक लग रहे हैं।

सबसे शर्मनाक
          सीईटीपी ने केएलडी लुटाने के साथ अपने चहेतों और व्यावसायिक रूप से लाभ देने वालों में जिन उद्योगों के पास मात्र 15 और 17 केएलडी आवंटित है उनकी फैक्ट्रीयों से 200 से 300 केएलडी प्रदूषित पानी ट्रीटमेंट प्लांट में भेजने का अधिकार भी है। सरकार को इन फैक्ट्रीयों का सर्वे कर जिन लोगों ने बिना केएलडी के बड़े पावर प्रोसेस की मशीनें लगाई हैं उन्हें बेनकाब कर केएलडी तत्काल रद्द कर पूरी पाली के लिए केएलडी आवंटन का ‘पुनायता’ फार्मूला लागू किया जाये।

Saturday, August 20, 2016

राजस्थान की ‘डायनामिक’ महिला मुख्यमंत्रीः सुमित्रा

ब्रिक्स महिला सांसदों के मंच का दो दिवसीय सम्मेलन

राजस्थान की ‘डायनामिक’ महिला मुख्यमंत्रीः सुमित्रा

अब्दुल सत्तार सिलावट
जयुपर। ब्रिक्स देशों की महिला सांसदों के मंच के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के इस समारोह के आयोजन के लिए जयपुर से अच्छा कोई स्थान नहीं हो सकता था और खुशी एवं गर्व की बात है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री भी ‘डायनामिक’ महिला श्रीमती वसुन्धरा राजे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष महाजन ने अपने भाषण के आरम्भ में मंच पर बैठे अतिथियों के नामों के सम्बोधन में भी श्रीमती वसुन्धरा राजे को राजस्थान की ‘सक्सेफुल’ (कामयाब) मुख्यमंत्री के अलंकरण के साथ सम्बोधित किया।
ब्रिक्स देशों की महिला सांसदों के सम्मेलन के लिए चार देश ब्राजील, रूस, चीन, साऊथ अफ्रीका के अलावा भारत की संसद में विभिन्न प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर रहीं 28 सांसदों ने भाग लेकर महिलाओं को सभी क्षेत्रों में बराबर की भागीदारी के साथ संसद में भी स्थान बढ़ाने पर विचार किया।
ब्रिक्स सम्मेलन के प्रतिनिधि देशों एवं सांसदों के स्वागत सम्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2030 ‘मिलेनियम डवलेपमेंट गोल’ लक्ष्य को हासिल करने के लिए महिलाओं के लिए समानता जरूरी है। आपने कहा कि दुनिया की राजनीति में महिलाएं सक्रिय जरूर है लेकिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोके बिना मानव अधिकारों की रक्षा अधूरी ही साबित होगी।
दक्षिणी अफ्रीका की कुमारी टी. आर. मोडिसा ने कहा कि हमें ब्रिक्स में इस बात पर निर्णय एवं विचार करना चाहिये कि महिला सशक्तिकरण पर कैसी योजनाएं बने। मोडिसा ने कहा कि महिलाओं की राजनीति, अर्थव्यवस्था और शासन में पर्याप्त भागीदारी नहीं है।
कुमारी मोडिसा ने कहा कि महिलाओं के विकास पर सिर्फ ‘कांफ्रेन्स’ करने से ‘मजबूती’ नहीं आएगी। ब्रिक्स को महिलाओं को संगठीत करने, समझाईश कर आधुनिक दुनिया में प्रवेश करवाना चाहिये।
ब्रिक्स सम्मेलन में ब्राजिल से 5, रूस से तीन, साऊथ अफ्रिका से चार, चीन से दो महिला सांसदों के साथ भारत की 28 सांसदों ने हिस्सा लिया। भारतीय संसद की मिनाक्षी लेखी, पूनम महाजन, कुमारी सैलजा, सुप्रिया सुले, संतोष अहलावत एवं जया बच्चन परिचित चेहरों में से थी।

...कौन रोकेगा हमें

ब्रिक्स सम्मेलन के आरम्भ में भारत की आजादी से लेकर अब तक राजनीति, खेल, सेना, सामाजिक क्षेत्र सभी में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक गीत ...कौन रोकेगा हमें की मधुर धुनों पर स्क्रीन पर हर क्षेत्र में प्रसिद्ध महिलाओं के फोटो लगाकर फिल्मांकन किया गया।
देश की प्रसिद्ध महिलाओं के बीच राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की फोटो स्क्रीन पर आते ही पूरा सदन तालियों से गूंज उठा जब कि पूरे गाने को विधानसभा के प्रेस दिर्घा पर लगे बड़े स्क्रीन पर मुख्यमंत्री राजे एवं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ‘एक-टक’ देख रही थीं।

ब्रिक्सः सभी देशों की भाषा में प्रसारण

ब्रिक्स सम्मेलन में आये चारों देशों की स्थानीय भाषा के साथ इंग्लिश एवं हिन्दी में सम्मेलन की कार्यवाही एवं अतिथियों के सम्बोधन को प्रसारित किया जा रहा था।
विधानसभा की पत्रकार दिर्घा के पास वाली गैलेरी में ‘दुभाषियों’ के लिए विशेष कक्ष बनाकर ब्रिक्स देशों के सहभागी देशों रूस, चीन, साउथ अफ्रीका की स्थानीय भाषा के साथ हिन्दी-अंग्रेजी में पूरी कार्यवाही प्रसारित की गई।
‘मल्टी-लेंग्वेज’ सुविधा की जानकारी के लिए विशेष पत्र विधानसभा में प्रतिनिधि महिला सांसदों की टेबल पर रखे गये थे और कौन से नम्बर पर कौनसी भाषा उपलब्ध है नम्बर दिये गये थे।

Monday, August 15, 2016

जय जय जय राजस्थान...


जय जय जय राजस्थान...

अब्दुल सत्तार सिलावट
प्रधान सम्पादक, दैनिक महका राजस्थान

अजमेर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सम्भाग मुख्यालयों पर राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस आयोजनों की श्रंखला में अजमेर के पटेल स्टेडियम में अपने दूसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को गत सप्ताह भारी बारिश के बाद खुली सुबह की सुहावनी धूप में शुरु कर पिछली कांग्रेसी सरकार की आलोचना और विकास में पिछड़े राजस्थान की सत्ता सौंपने के ‘उलाहनों’ के साथ 38 मिनट के भाषण में कई बार गगनचुम्बी तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।
कौमी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द के बीच राजस्थान में दूसरे कार्यकाल के मध्यान्तर तक मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे हर आम सभा में आपसी भाईचारे का संदेश देती रही हैं और आज तीर्थराज पुष्कर एवं ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी अजमेर में देश भर से आने वाले जायरिनों के लिए सुविधाओं की घोषणाओं के बीच आजादी की 70वीं वर्ष गांठ मनाई गई।
तिरंगे के साये में मुख्यमंत्री राजे ने अपनी बात आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी के साथ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का श्रद्धांजलि देते हुए शुरु की तथा प्रदेश में भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल की उपलब्धियों के साथ नई विकास योजनाओं की घोषणाओं से स्टेडियम जय जय राजस्थान के नारों से गूंजता रहा।
आजादी के 70 वें समारोह में मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्कूली बच्चों द्वारा गाया ‘सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दुस्तां हमारा’ रहा। इस गीत में बच्चों द्वारा बनाये तिरंगे में केशरिया, हरी जैकेट और सफेद कुर्ता पायजामा गीत की भावना को पेश कर रहे थे। राजस्थान पुलिस के जवान अब तक मोटर साइकिल पर करतब दिखाकर तालियां बटोरते रहे हैं लेकिन इस बार महिला पुलिस ने मोटर साइकिल पर ऐसी प्रस्तुतियां दी कि पूरा स्टेडियम दांतों तले अंगुलियां दबाता आश्चर्यचकित रह गया। अजमेर के लोक नृत्य ‘चरी ठांस’ भी प्रसंशनीय रहा।
मुख्यमंत्री राजे ने भारतीय प्रशासनिक एवं भारतीय पुलिस सेवा के साथ राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों को अच्छी सेवाओं के लिए पुरुस्कृत किया। राष्ट्रपति पुरुस्कारों में जीवन रक्षा, नीरता, विशिष्ठ सेवा के लिए नौ लोगों को तथा 38 लोगों को राज्य स्तर की सेवा के लिए सम्मानित किया गया।

पाली का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान


पाली का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान

पाली कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने मनरेगा योजना की क्रियान्विती में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पाली जिले के साथ राजस्थान सरकार का गौरव बढ़ाया है। नौजवान पाली जिला कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की पेयजल योजना जल स्वावलम्बन को विशेष रूप से ग्रामीण सरपंचों, प्रधानों के सहयोग से पूरे जिले में लागू करवाकर आमजन को लाभान्वित किया है।
विगत सप्ताह तेज वर्षा से पाली शहर की बिजली, बस्तियों एवं आवासीय कोलोनियों में सीने तक पाली भराव एवं आसपास के गांवों में पानी के बीच फंसे लोगों को सेना एवं बाढ़ राहत दलों के सहयोग से बचाने के साथ बस्तियों से पानी निकासी के लिए दिन रात स्वयं मौके पर दौड़ दौड़ कर राहत एवं बचाव कार्यों में लगे दलों को प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्री राजे द्वारा पाली जिला कलेक्टर कुमारपाल गौतम को सम्मानित करने की विशेष योग्यता में जिले की कानून व्यवस्था बनाये रखने का उल्लेख भी किया।

राजस्थान को देश विदेश में चमकाया


राजस्थान को देश विदेश में चमकाया

नई दिल्ली के बीकानेर हाऊस में राजस्थान सूचना केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक गोपेन्द्र नाथ भट्ट विगत इक्कीस वर्षों से गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थानी लोक नृत्य एवं राजस्थानी जन जीवन की झलकियों को शामिल करवाते रहे हैं। साथ ही देश-विदेश में राजस्थान की झीलों, पर्यटन स्थल, वन एवं पर्यावरण की प्रगति को पहुंचाते रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों के दिल्ली दौरों के समय राष्ट्रीय टीवी न्यूज चैनलों के साथ राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं मैग्जीनों में विशेष कवरेज दिलवाने में भी राजस्थान सूचना केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक गोपेन्द्र नाथ भट्ट का ही प्रयास होता है।
संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट के पास सभी सुविधाओं वाले राजस्थान सूचना केन्द्र में राष्ट्रीय स्तर के न्यूज चैनलों के प्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ पत्रकारों से मधुर सम्बन्धों के कारण गोपेन्द्र नाथ भट्ट राजस्थानी संस्कृति एवं राजस्थान के नेताओं की दिल्ली में बैठकर विशेष कवरेज करवाने के साथ राजस्थान सरकार की नई एवं जनहित की योजनाओं की उपलब्धियों को भी राष्ट्रीय टीवी चैनलों एवं समाचार पत्रों में विशेष स्थान दिलवाते रहते हैं।

कुम्पावत बंधुओं को राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक


कुम्पावत बंधुओं को राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक 

पाली के कुम्पावत बंधु कुलदीप सिंह कुम्पावत तथा ऋषिपाल सिंह कुम्पावत को अजमेर के पटेल स्टेडियम में राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक से सम्मानित करने के लिए जब घटना का विवरण पढ़ा गया तब स्टेडियम में चारों और तालियों से स्वागत किया गया तथा विशिष्ठ दिर्घा में बैठे सैकड़ों लोगों ने खड़े होकर कुम्पावत बंधुओं के साहस को सम्मान दिया।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने दोनों साहसी भाइयों को राष्ट्रपति पदक देने के बाद साथ खड़े रखकर सम्मानित किया तथा कुम्पावत बंधुओं के घटना विवरण पढ़े जाने पर लुटेरों द्वारा फायरिंग के बाद भी संघर्ष कर जेवरों से भरे बैग को गोली लगने के बाद भी लुटेरों से छिनने पर आश्चर्य भाव प्रदर्शित किये।
उल्लेखनीय है कि कुम्पावत बंधुओं ने पाली शहर में दिसम्बर 2014 में दीपक सोनी पर लुटेरों द्वारा फायरिंग कर सोने-चांदी के जेवरात से भरा बैग लेकर भागते समय दोनों भाइयों ने उन्हें रोका, बैग छीना इस बीच लुटेरों ने कुम्पावत भाइयों पर भी फायरिंग की थी तथा घायल होने के बाद भी जेवरात का बैग लुटेरों से संघर्ष कर छिन लिया था।

Tuesday, August 2, 2016

मुस्लिम बेटीयां भी उच्च शिक्षा तक जाएं


बाड़मेर का दारूल ऊलूम गुलशन-ए-ख़दीज़तुल कुबरा

मुस्लिम बेटीयां भी उच्च शिक्षा तक जाएं

अब्दुल सत्तार सिलावट
भारत का मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है इसलिए देश की तरक्की की दौड़ में अंतिम पंक्ति में दिखाई देता है। इस बात को पिछले 70 साल से देश के राजनेता कहते आ रहे हैं और अब बड़े शहरों के सम्पन्न परिवारों के लड़के कॉलेज, विश्वविद्यालय में दिखाई देने लगे हैं। लेकिन हम राजस्थान के डेजर्ट क्षेत्र बाड़मेर में मुस्लिम महिला शिक्षा में पूरे देश के लिए ‘मॉडल’ बने दारूल ऊलूम गुलशन-ए-ख़दीज़तुल कुबरा की कामयाबी को आप तक पहुंचा रहे हैं।
मौलाना मीर मोहम्मद अकबरी। एक साधारण व्यक्तित्व। एक दशक तक पाली जिले के छोटे से आदिवासी क्षेत्र में बसे गाँव बेड़ा में मस्जिद में इमामत के साथ बच्चों को दीनी तालीम देकर जब वापस अपनी सरज़मीं बाड़मेर पहुंचे तब उन्होनें मुस्लिम बच्चीयों की दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम की सोच के साथ केवल सात बच्चीयों को लेकर आवासीय मदरसा शुरु किया। जहां आज पश्चिमी राजस्थान के चार जिलों जैसलमेर, जोधपुर, नागौर और बाड़मेर के छोटे-छोटे गाँवों की अंतिम छोर पर गरीब मुस्लिम परिवारों की 147 लड़कियां दीनी तालीम के साथ आठवीं बोर्ड एवं दसवीं बोर्ड तक शिक्षा ले रही हैं।
बाड़मेर में दारूल ऊलूम गुलशन-ए-ख़दीज़तुल कुबरा बालिका आवासीय मदरसा राजस्थान सरकार के मदरसा बोर्ड में पंजीकृत है तथा किराये के मकान से 2009 में शुरू कर आज विशाल भवन में प्रत्येक दस छात्राओं पर एक स्टाफ के साथ कौमी इमदाद से चल रहा है। मदरसे में आधुनिक आवासीय सुविधा के साथ खाना पीना एवं शिक्षा पूर्ण रूप से निःशुल्क है।
दारूल ऊलूम के संस्थापक मौलाना मीर मोहम्मद अकबरी बताते हैं कि अपने माँ-बाप से दूर रहकर शिक्षा ले रही छात्राओं को घर जैसा प्यार और माहौल मिले इसलिए शिक्षण स्टाफ में दो जोड़े पति पत्नि भी है जो छात्राओं की शिक्षा के साथ उनकी निजी जरूरतों का भी ध्यान रखते हैं।
दारूल ऊलूम मुस्लिम महिला शिक्षा में देश भर में ‘मॉडल’ के रूप में पहचान बना रहा है जहां पिछले दिनों राजस्थान सरकार के मदरसा बोर्ड की चेयरपर्सन मेहरून्निशा ख़ान ने छात्राओं की प्रतिभा, शिक्षकों के समर्पण की प्रशंसा करते हुए छात्राओं को आधुनिक शिक्षा में प्रोत्साहन हेतु पाँच कम्प्यूटर देने की घोषणा भी की थी।

लड़कियां भी तालीम में बुलंदी छुए-मौलाना

दारूल ऊलूम के संस्थापक मौलाना मीर मोहम्मद अकबरी कहते हैं कि इस्लाम में औरत-मर्द को तालीम, ईबादत और ख़िदमत में बराबर के हक दिये गये हैं फिर हमारी बेटीयां मदरसे से दीनी तालीम या सरकारी स्कूल की पाँचवीं कक्षा तक पढ़ने के बाद घर की चार दीवारी में कैद क्यों हो जाये। उन्हें भी कॉलेज, विश्वविद्यालय तक पढ़ने का मौका मिलना चाहिये।
मौलाना अकबरी बताते हैं कि शहरों और कस्बों से दूर गाँवों में गरीबी, बेरोजगारी से जूंझ रहे मुस्लिम परिवारों की बेटीयों के उच्च शिक्षा के सपनों को साकार करने का हमारा मिशन दारूल ऊलूम की स्थापना करना है जिसे कौम की ईमदाद से चलाकर किराये के एक कमरे से आज संस्था के स्वयं के विशाल भवन तक पहुँचे हैं।

Thursday, July 28, 2016

मकराना में हाजियों का टीकाकरण

लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक

मकराना में हाजियों का टीकाकरण

अब्दुल सत्तार सिलावट, प्रधान सम्पादक
मकराना (नागौर)। अंजुमन इस्लाहुल मुसलमीन द्वारा हाजियों के टीकाकरण का आयोजन किया गया जिसमें हज कमेटी राजस्थान सरकार की तरफ से हज अरकान और हज के दौरान की सावधानियों के बारे में बताने के लिए हज ट्रेनी रसीद खोखर, अजीज गौरी एवं शेख मोईनुद्दीन ने तफसील से जानकारियां दी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाजियों का स्वास्थ्य परिक्षण करने के बाद टीकाकरण किया गया। अंजुमन के सदर हाजी इरशाद चौधरी ने सभी हाजियों का माला पहनाकर इस्तकबाल किया। महिला हाजियों का हज्जन सईदा, हज्जन गज़ाला एवं हज्जन शबनम ने माला पहनाकर इस्तकबाल किया। 
अंजुमन इस्लाहुल मुसलमीन के पदाधिकारियों में नायब सदर इकरामुद्दीन (कलमुजी), सैकेट्री न्याज़ मोहम्मद, जोइन्ट सैकेट्री साबिर भाटी, केशियर एडवोकेट सगीर अहमद के साथ मौलाना कमर आलम साहब, मौलाना सैफुल्लाह असदकी साहब ने हज की बारीकियों को तफसील के साथ बयान किया एवं हाजियों के सवालों पर पूरी जानकारी दी।

मकराना की सड़कों पर ‘हीरो-आई स्मार्ट’

मकराना की सड़कों पर ‘हीरो-आई स्मार्ट’

अब्दुल सत्तार सिलावट, प्रधान सम्पादक
मकराना (नागौर)। मकराना की सड़कों पर हीरो मोटरसाइकिल का नया मॉडल दौड़ने लगा है। 1965 से 2010 तक जापान की होंडा के साथ मिलकर मोटरसाइकिल बनाने वाले हिरो-होंडा की अब पूर्ण रूप से भारतीय तकनीक से निर्मित हीरो-आई स्मार्ट का मुहुर्त किया गया। 
स्विफ्ट हीरो मोटर्स के विशाल शो-रूम में हर्ष ध्वनी के साथ हीरो-आई स्मार्ट के नये मॉडल को समारोह के अतिथि उप अधीक्षक पुलिस अमरजीत सिंह बेदी, मकराना थाना सी.आई. इन्द्रराज मरोड़िया, मार्बल व्यवसायी एवं समाजसेवी सेठ मोहम्मद रमजान रांदड, नगर परिषद सभापति शौकत अली गौड़, स्विफ्ट मोटर्स के डायरेक्टर दीपक बंसल, उत्कृष्ठ बंसल, प्रेम नारायण गर्ग ने अनावरण कर ग्राहकों को चाबी सौंपकर शुभारम्भ किया।
स्विफ्ट मोटर्स के डायरेक्टर दीपक बंसल ने बताया कि होंडा से अलग होने के बाद हीरो मोटर्स ने मोटर साइकिल के सभी पार्ट्स भारत में निर्मित करना शुरु कर दिया है जबकि नई तकनीक और अधिक माईलेज देने वाला इंजन राजस्थान में स्थित हीरो मोटर्स की फैक्ट्री में बनाया जा रहा है।

Wednesday, July 13, 2016

नेताओं की आँखों से पानी सूख गया हैः जल पुरूष


नेताओं की आँखों से पानी सूख गया हैः जल पुरूष

अब्दुल सत्तार सिलावट
जयपुर। दुनियाभर के देशों में विकास योजनाएं एजेंसियां और कम्पनियां बना रही है और भारत में भी ग्रामीण, मजदूर, गरीब और आदिवासियों के लिए विकास योजनाएं कम्पनियां और एजेंसियां ही बना रही है और इसके परिणाम में देश की जनता का विकास हो या नहीं हो योजना को बनाने वाली कम्पनियां खूब धन कमा रही है। यह कहना है जल पुरूष मेगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह का। आज की सरकारों के नेताओं का रिमोट अफसरशाही के हाथों में हैं और राजेन्द्र सिंह की बात की पुष्टी दिल्ली की रायसीना हिल्स के चारों ओर बैठे गगनचुम्बी, एयरकंडीशन सचिवालय की अफसरशाही ने कभी गांव की चौपाल नहीं देखी, खेत की मेड़ और गरीब की झौपड़ी में बैठे भूखे-प्यासे मासुमों की आँखों में शाम की रोटी का सपना नहीं देखा, लेकिन इनके विकास की योजनाएं वही अफसर बनाते हैं जिनका शरीर कभी बीच रास्ते में तेज बारिश में नहीं भीगा, कभी 48 डिग्री की गर्मी में पंचर मोटरसाइकिल को गांव के मिट्टी वाले रास्ते में से खींचकर दो तीन किलोमीटर दूर पंचर वाले की दुकान तक ले जाने का सौभाग्य नहीं मिला। इन अफसरों ने बर्फीली ठंडी हवाओं की रातों में रिक्शे वाले को दस पैबंद लगे कम्बल में किसी मकान या पेड़ की ओट में बिना नींद के आँखों में रात गुजारते हुए नहीं देखा है.... लेकिन मेरे देश के विकास की योजनाओं को बनाने वाले अफसरों की योजनाओं में सरकार द्वारा स्वीकृत हजारों करोड़ रूपये से गरीबों का भला हो या नहीं हो, किन्तु इन योजनाओं को लागू करवाने में लगी एजेंसियां, ठेकेदार, कम्पनियां और ब्यूरोके्रट्स आजादी के बाद के सत्तर साल से कमाकर मालामाल होते रहे हैं और अब तो लोकतंत्र के प्रहरी जिन्हें जनता चुनकर भेजती है वे भी इन अफसरों के सामने हाथ बांधे खड़े नजर आते हैं।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि इक्कीसवीं शताब्दी में विश्व युद्ध होगा और यह जल युद्ध होगा। विश्व का तीसरा युद्ध जल युद्ध ही होगा। जल संरक्षण की मशाल जलाने वाले जल पुरूष राजेन्द्र सिंह जिन्हें रोमन मेगसेसे पुरस्कार विजेता की पहचान के साथ पूरी दुनिया में पानी की बात के लिए बुलाते हैं। गत वर्ष 2015 में स्टोकहोम वाटर पुरस्कार से भी राजेन्द्र सिंह को नवाजा गया। नाबार्ड बैंक के 35वां स्थापना दिवस पर जल संरक्षण पर नाबार्ड बैंक के मिशन की प्रशंसा करते हुए सिंह ने कहा कि बारिश को देखकर सरकारें खुश होती हैं, लेकिन बारिश के पानी को व्यर्थ बहने से रोकने, धरती में डालकर जल स्रोत बढ़ाने या नियमित उपयोग के लिए किसी योजना पर सरकारें ध्यान नहीं देती है।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि बारिश के पानी को दौड़ता है उसे चलना सीखा दो, उसके बाद रैंगना और अन्त में बहते पानी को धरती के गर्भ में डालकर सूरज की नजर से बचा लो तो बरसात का पानी हमें उज्जवल भविष्य की ओर ले जायेगा। भारत में कल तक महाराष्ट्र ऐसा राज्य था जहां विकास की गंगा बहती थी, लेकिन उसी महाराष्ट्र की आज किसानों की आत्महत्या वाले प्रदेश के रूप में पहचान रह गई है और इसका मुख्य कारण पानी के महत्व को नहीं समझा गया।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पहले राजाओं का शासन बदलने से और आज देश की सरकारें बदलने से हिस्ट्री बदल जाती है, लेकिन भूगोल को बदलने में पीढ़ियों की कुर्बानी लग जाती है। ऐसा ही भूगोल पानी के संरक्षण, नदियों और तालाबों में बढ़ते मिट्टी के भराव से बरसात का पानी नदियों, तालाबों का रास्ता छोड़ आबादी और फसलों वाली उपजाऊ भूमि को बर्बाद करता हुआ गंदगी वाले नालों के साथ बह जाता है लेकिन उसे कल के भविष्य को उज्जवल रखने के लिए कोई भी बड़ी योजना या समाज का वर्ग आगे आकर जल बचाने का मिशन नहीं चला रहा है। सिंह ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि दुनिया की निगाहों में पानी सूख गया है और नेताओं की आँखों में भी अब तो पानी सूख गया है।

नाबार्ड मिशन, जल ही जीवनः अरोरा

नाबार्ड के 35वें स्थापना दिवस पर ग्रामीण विकास और जल संरक्षण में बैंक की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए नाबार्ड बैंक की मुख्य महाप्रबंधक सरिता अरोरा ने बताया कि ‘जल ही जीवन है’ के नारे को सम्बल देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नाबार्ड बैंक के सहयोग से वाटर शैड विकास परियोजनाओं को निरन्तर जारी रखा जायेगा तथा पूर्व में जिन क्षेत्रों में वाटर शैड लागू किये गये हैं उन्हें ऋण सुविधा बढ़ाकर प्रोत्साहित किया जायेगा।
श्रीमती सरिता अरोरा ने नाबार्ड द्वारा आयोजित ‘जल जागरूकता और जल संरक्षण’ विषय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि देश में जोहड़ जल संचयन पद्धति से हमारे पूर्वज देसी तकनीक से जल के स्रोतों को पुनर्जीवित करते थे और आज भी जोहड़ तकनीक कामयाब है। आपने कहा कि जल और मृदा संरक्षण की तकनीक से आमजन को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के प्रयास सफल हो रहे हैं।
मुख्य प्रबंधक अरोरा ने 1982 में स्थापित नाबार्ड बैंक के 34 साल के सफर में कृषि और ग्रामीण विकास की उपलब्धियों में सहयोगी गैर सरकारी संस्थाओं, तकनीकी विशेषज्ञों, सरकार के विभागों और आमजन के सहयोग को नाबार्ड मिशन की सफलता का श्रेय देते हुए आभार व्यक्त किया।

Monday, July 11, 2016

बैंकों वाले प्रधानमंत्री के विरोध में


प्रधानमंत्री रोजगार योजना

बैंकों वाले प्रधानमंत्री के विरोध में

अब्दुल सत्तार सिलावट
गुजरात के मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री पद तक नरेन्द्र मोदी को पहुंचाने वाले देश के करोड़ों युवा एवं बेरोजगारों के लिए बनी ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ को बैंकों के अधिकारी ‘फेल’ करने में लगे हैं। वैसे तो गरीबों को छोटे रोजगार के लिए ऋण, ग्रामीणों को पशु-डेयरी ऋण तथा किसानों को ट्रेक्टर खरीदने के लिए सरकारी योजनाओं में बैंक अधिकारियों को ऋण डूबता हुआ ही नजर आता है तथा जिला उद्योग केन्द्र, सहकारी समितियां, अल्पसंख्यक विभाग द्वारा जिन बेरोजगारों या जरुरतमंदों को ट्रेनिंग देकर, कई बार इनके इंटरव्यू लेकर, सरकारी अधिकारियों द्वारा ‘ठोक-बजाकर’ बैंकों को ऋण के लिए आवेदन भेजे जाते हैं, लेकिन बैंक अधिकारी बेरोजगारों की ऋण सिफारिश की राशि को 20 से 30 प्रतिशत कर देते हैं या सरकारी कर्मचारी गारन्टर मांग कर भगा देते हैं। ऐसे बेरोजगार छोटे काम धंधा करने वाले लोग अपनी योजना शुरु नहीं कर पाते हैं तथा बैंकों से मिला एक चौथाई ऋण भी फंस कर ‘डिफाल्टर’ बन जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दो साल के शासन में सबसे अधिक ध्यान देश के करोड़ों बेरोजगार युवाओं को ‘इज्ज़त की रोटी’ देने के लिए ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ में 35 प्रतिशत तक अनुदार देकर सेवा रोजगार पर ऋण सीमा दस लाख तथा उत्पादन ईकाई पर 35 लाख तक के ऋण बिना गारन्टर के देने की योजना को देश व्यापी लागू किया है। ऐसी ही एक योजना राजस्थान सरकार ने ‘भामाशाह’ के नाम से जिसमें सेवा रोजगार पर 5 लाख तथा उत्पादन ईकाई को दस लाख तक के ऋण पर ब्याज में 4 प्रतिशत के अनुदान का प्रोत्साहन दिया गया है।
बेरोजगार युवाओं के लिए जिला स्तर पर ‘डिस्ट्रीक्ट लेवल कमेटी’ बनाकर इस कमेटी में एक अधिकारी लीड बैंक, सभी बड़ी बैंकों के रिजनल मैनेजर, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक एवं तकनीकी अधिकारी एक साथ बैठकर आवेदनकर्ता का इंटरव्यू, उसके व्यवसाय के प्रति अनुभव एवं व्यापार कर पायेगा या नहीं यह क्षमता जांचकर बैंक को ऋण के लिए सिफारिश करते हैं, लेकिन इतने बड़े अधिकारियों के समूह द्वारा ऋण के लिए की गई सिफारिश को बैंक के एक छोटे से केबिन में बैठा बैंक का ऋण अधिकारी उस बेरोजगार युवा को ‘चोर’ की नजर से देखना शुरु कर देता है। सबसे पहले अभी ‘क्लोजिंग’ है, अभी हाफ ईयर क्लोजिंग है, अभी कोटा पूरा हो गया या फिर एक सरकारी कर्मचारी की गारन्टी लेकर आ जाना, इन सबके बाद भी यदि युवा बेरोजगार बैंक का पीछा नहीं छोड़ता है तो उसे सरकारी अधिकारियों की कमेटी द्वारा स्वीकृत दस लाख की फाइल को कांट-छांट कर दो लाख का ऋण स्वीकृत कर देते हैं। अब जिस बेरोजगार ने दस लाख की योजना बनाई थी वह दो लाख में तो व्यापार नहीं कर सकता, तब यह दो लाख भी व्यापार शुरु करने के चक्कर में ‘इधर-उधर’ फंसकर बैंक का ‘डिफाल्टर’ हो जाता है और बैंक के कौने वाले केबिन में बैठे अधिकारी की बेरोजगार के प्रति फाइल हाथ में आते ही की गई ‘भविष्यवाणी’ सही साबित हो जाती है।
अब बैंक अधिकारियों का दूसरा ‘फण्डा’ भी समझ लिया जाये। किसी योजना के लिए 100 फाइलें पैंडिंग है और इनकी कुल राशि पांच करोड़ बनती है तथा सरकारी बजट से एक करोड़ की राशि मिली है तब इन सौ फाइलों में ‘समान’ राशि वितरण कर सभी पैंडिंग फाइलों को ‘क्लीयर’ कर देते हैं। अब सात लाख के आवेदन को भी एक लाख तथा दस लाख के आवेदन को भी एक लाख का ऋण देकर बैंक वाले शत-प्रतिशत ऋण का लक्ष्य तो पूरा कर लेते हैं, लेकिन वह बेरोजगार इज्ज़त की रोटी कमाने के लिए अपनी योजना अनुसार व्यापार तो नहीं कर पाता है बल्कि बैंक की लिस्ट में ‘डिफाल्टर’ जरूर हो जाता है।
सुझावः बदलाव और योजना की सफलता के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के लिए भारत सरकार जो करोड़ों रूपये की राशि बैंकों को सुपुर्द करती है वह राशि बेरोजगारों को ऋण स्वीकृत करने वाली कमेटी या जिला कलेक्टर के मार्फत बिना बैंकों को फाइल भेते स्वयं कमेटी द्वारा चैक जारी कर ऋण दिया जाना चाहिये। जिससे बेरोजगारों के लिए प्रधानमंत्री की योजना सफल हो, बेरोजगार युवाओं को सीधा लाभ मिले तथा प्रधानमंत्री की बेरोजगारों को आर्थिक मदद की योजना को ‘असफल’ करने के मिशन में लगे बैंक अधिकारियों से बेरोजगारों को मुक्ति मिले।


‘अर्जुन’, अब तो तीर चला दो

राजस्थान के बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में वित्त राज्य मंत्री बनाये गये हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेरोजगारों को रोजगार देने की योजना को क्रियान्वित करने वाले उद्योग विभाग में तीस साल तक नौकरी कर भारतीय प्रशासनिक सेवा और अब संसद के गलियारों में बैंकों की कमाण्ड वाले मंत्रालय के मंत्री भी हैं।
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल प्रधानमंत्री रोजगार योजना में बैंकों के अधिकारियों द्वारा बेरोजगारों को ऋण की सिफारिश उद्योग विभाग द्वारा करने के बाद कैसे चक्कर लगवाते हैं। उन्हें चोर समझकर सरकारी विभाग की सिफारिश की गई राशि का कुछ हिस्सा देकर जानबूझकर उसे ‘चोर’ बनने पर मजबूर कर देते हैं।
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने युवाओं को रोजगार, ईज्ज़त की जिन्दगी को साकार करने के लिए ‘पहला तीर’ बैंकों के मार्फत ऋण वितरण की नीति को बदलकर सीधे कलेक्टर, जिला उद्योग केन्द्र के मार्फत ऋण दिया जाना चाहिये।
सरकार की हजारों करोड़ की योजनाएं पेयजल, सड़कें, ग्रामीण विकास मनरेगा जैसी योजनाएं यदि गांव का सरपंच, पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम बिना भ्रष्टाचार के चला सकते हैं जो प्रधानमंत्री रोजगार योजना के युवाओं को जिला कलेक्टर और जिला उद्योग केन्द्र के अधिकारी बहुत अच्छी तरह से बिना भ्रष्टाचार के सफल बना सकते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Sunday, July 10, 2016

बदले-बदले मेरे ‘सरकार’ नज़र आते हैं...


बदले-बदले मेरे ‘सरकार’ नज़र आते हैं...

अब्दुल सत्तार सिलावट

पाली सांसद पी.पी. चौधरी केन्द्रीय मंत्री बनने से पहले पाली में अपनी पसंद का यूआईटी चेयरमैन बनाने, प्रदुषण समस्या निपटाने में अपने समर्थकों को प्राथमिकता देते तथा ‘अपने लोगों’ को पुलिस की अच्छी पोस्टिंग, अध्यापकों के तबादलों, पटवारी-तहसीलदारों को अपने जनप्रतिनिधियों की मांग पर बाहर जिलों से लाने के सिफारिशी पत्रों पर हस्ताक्षर करते दिखाई देते थे, लेकिन मंत्री पद की शपथ के बाद अपने लोकसभा क्षेत्र के पहले दौरे में ही राष्ट्रीय स्तर की कानून पालिसी और इलेक्ट्रोनिक जनसंचार की क्रांति लाने की योजनाओं को देश भर में लागू करने की बातों से स्वागत सभाओं में जनता ही नहीं मंच पर बैठे भाजपा नेताओं को भी अपने सांसद के मंत्री बनते ही बदले-बदले से ‘सरकार’ नज़र आने लगे हैं।


मारवाड़ी में कहावत है कि ‘घर का जोगी जोगड़ा, बाहर गांव का संत’, इस कहावत को चरितार्थ किया पाली के लोकप्रिय सांसद पी.पी. चौधरी ने मंत्री पद की शपथ लेते ही। अब तक हम केन्द्र की मोदी सरकार के अरुण जेटली, वैंकेया नायडू और रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को ही भारत के भाग्य विधाताओं की नजर से देखते थे, लेकिन सांसद पी.पी. चौधरी के मंत्री बनने के बाद पाली के पहले दौरे में पहले दिन की स्वागत सभाओं की थकावट के बीच पत्रकारों के साथ पत्रकार वार्ता की औपचारिकता से दूर सांसद के दो साल के सफर से राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में मंत्री पद की शपथ लेने तक के सफर का बिना ‘लाग-लपेट’ के आत्मीयता से किये विश्लेषण के साथ अपने दोनों मंत्रालय कानून और इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी की भावी योजनाओं का जो चित्रण पेश किया उससे पहली बार लगा कि ग्रामीण परिवेश में किसान के घर पले और लाखों वकीलों की भीड़ से निकलकर राजनीति में प्रवेश कर पहली बार सांसद पी.पी. चौधरी की ‘सोच’ देश के विकास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनी टीम में शामिल करने का निर्णय, सब कुछ पी.पी. साहब की प्रतिभा का ‘सेल्फ इंट्रोडक्शन’ करवाते हैं।
भाजपा की केन्द्र सरकार में नरेन्द्र मोदी का पिछले दो साल में गुजरात प्रेम ही नजर आ रहा था। गुजरात कैडर के अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय की कमान सम्भाले, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात विधानसभा के चुनावों में मोदी के चाणक्य ओम माथुर, बिहार-यूपी चुनाव की बागडोर में अग्रणी। लेकिन पहली बार मंत्रिमण्डल विस्तार में लगा कि 19 चेहरों का चयन ईमानदार, सेवा का समर्पण, उच्च शिक्षा के साथ अपने मंत्रालय के प्रति राष्ट्रीय स्तर की सोच के धनी भी हैं।
केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी का पहला मंत्रालय कानून इनके पेशे से जुड़ा है तथा अब तक नरेन्द्र मोदी की नजदीकियों का मुख्य स्रोत कानूनी पेचिदकीयों में सफलता वाले सुझाव और कानूनविद होने के नाते ही भारतीय संसद का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपने प्रतिनिधित्व भी किया, लेकिन इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी जैसा मंत्रालय जिसमें पी.पी. चौधरी के मोबाइल पर इंटरनेट और वाट्सएप भी निजी सचिव संभालते हैं ऐसे मंत्रालय के बारे में शपथ लेने के चार दिन बाद पत्रकारों को देश के ग्रामीण परिवेश को आधुनिक एवं नवीन संचार तकनीक से जोड़ने की भावी योजनाएं सिर्फ प्रभावित ही नहीं बल्कि आश्चर्यचकित करने वाली थी।
कल तक जवाई पुनर्भरण, पाली की प्रदुषण, सिवरेज और पेयजल की समस्याओं पर केन्द्र से मदद की बातें करने वाले नवनियुक्त केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी के इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी मंत्रालय की भावी योजनाओं पर सरकारी अधिकारियों के आंकड़ेबाजी वाले बयानों से दूर एकदम सरल भाषा में ग्रामीणों के लिए कॉमन सर्विस सेन्टर (सीएससी) तथा शहरों में वाईफाई की योजनाओं से पाली के सांसद सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सोच के धनी दिखाई दिये।

...‘अपणायत’ की सलाह

केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी के शुभचिन्तकों की ‘अपणायत’ भरी सलाह है कि अब आप पाली के विधायकों, मंडल अध्यक्षों, राजनीतिक नियुक्तियों और छोटे-बड़े विवादों से पल्ला झाड़ कर ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ नीति पर सभी विधानसभा क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता देकर अब तक दूर रहे नेताओं को भी गले लगा लें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपकी काबिलियत को सम्मान देकर दो-दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी है। आपके शुभचिन्तक चाहते हैं कि आप पाली की ‘पंचायती’ से तटस्थ होकर देश सेवा के साथ पाली लोकसभा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में बिना भेदभाव के केन्द्र का धन सभी विधानसभा क्षेत्रों में लगाऐं और पाली लोकसभा क्षेत्र की जनता, विधायकों और जनप्रतिनिधियों को बाध्य कर देवें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में आप बिना एक भी मीटिंग लिये या बिना गांवों के दौरे किये दिल्ली में बैठकर पाली लोकसभा क्षेत्र से निर्विरोध या ऐतिहासिक मतों से चुनाव जीत कर दोबारा लोकसभा में प्रवेश कर अगली सरकार में केबिनेट मंत्री की शपथ लेकर पाली लोकसभा क्षेत्र को गौरवान्वित होने का मौका देवें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Tuesday, July 5, 2016

चुनाव यूपी में : मंत्रियों की सौगात राजस्थान को


चुनाव यूपी में : मंत्रियों की सौगात राजस्थान को

अब्दुल सत्तार सिलावट

भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में राजस्थान से चार नये मंत्री लिये गये हैं जबकि यूपी चुनाव की तैयारी के बावजूद उत्तर प्रदेश से मात्र तीन मंत्रियों को ही मोदी जी ने अपनी टीम में शामिल किया है।
सोमवार की रात तक 18 मंत्रियों की लिस्ट में 19वां नाम नागौर सांसद सी.आर. चौधरी का जोड़कर मोदी जी ने एक ही समाज के दो मंत्री लेकर देश को संदेश दिया है कि सरकार में जनसेवा और काबिलियत को प्राथमिकता दी जा रही है। जातियों और क्षेत्रियता का कांग्रेसी ‘स्टाईल’ में समीकरण नहीं बनाया जा रहा है।
मंत्रियों के ‘प्रमोशन’ में प्रकाश जावड़ेकर ने बाजी मारी, वहीं पहली बार सांसद बने पाली के पी.पी. चौधरी ने मात्र दो साल में साबित कर दिया कि छोटे से गांव भावी (जोधपुर, राजस्थान) से वाया जोधपुर-पाली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तित्व में देश के विकास को नई दिशा देने का ‘विजन’ है। इसी ‘तड़प’ को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाली के सांसद पी.पी. चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल किया है।
आजादी के बाद पाली लोकसभा क्षेत्र से कुशल राजनीतिज्ञ मूलचन्द डागा, विधिवेता गुमानमल भंसाली, उद्योगपति सुरेन्द्र कुमार तापड़िया, इंदिरा गांधी के खिलाफ आपातकाल में फिल्म निर्माता (किस्सा कुर्सी का) अमृत नाहटा जैसे सांसद तो मिले, लेकिन राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ वाले माईक पर किसी का नाम नहीं पुकारा गया और इस परम्परा को 5 जुलाई 2016 को 11ः36 बजे संसद के गलियारों से लेकर नरेन्द्र मोदी, अमित शाह टीम में अपनी योग्यता का परचम फहरा चुके पाली सांसद पी.पी. चौधरी ने ‘ईश्वर के नाम शपथ लेकर’ नया अध्याय जोड़ा है।
जाट आरक्षण की आग में झुलस रहे हरियाणा के साथ भरतपुर में जाट आरक्षण आन्दोलन का नया परचम फहराया गया। जाटों में आनन्दपाल की गिरफ्तारी और हाल में बाड़मेर में पुलिस फायरिंग में हत्या के बाद जाट-राजपूतों में सोशल मीडिया पर ‘टिप्पणी स्पर्धा’ को भी दो ‘चौधरी, जाट, सीरवी, पटेल, पीटल’ समाज के केन्द्र सरकार में मंत्री बनने से शांति और आपसी सौहार्द का वातावरण बनाने में मानसिक संतुष्टि के साथ सरकार को सहयोग भी मिलेगा।
भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का राजस्थान की ओर विशेष आकर्षण का एक कारण यह भी है कि देश में पहला प्रदेश राजस्थान है जहाँ पूरे 25 सांसद और सभी 12 राज्यसभा सदस्य भारतीय जनता पार्टी के हैं। राजस्थान इतना बड़ा प्रदेश होने के बावजूद भी भाजपा काबिज है जबकि अन्य उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, एवं स्वयं प्रधानमंत्री का प्रदेश गुजरात भी इन आंकड़ों से दूर है।

राजस्थान, एमपी सरकारें मोदी ‘गुड बुक्स’ में नहीं 
राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में जब राजस्थान और मध्य प्रदेश के मंत्री शपथ ले रहे थे तब राष्ट्रीय टीवी न्यूज़ चैनल शपथ ग्रहण का सीधा प्रसारण दिखाने के साथ जो टिप्पणियां कर रहे थे उनमें राजस्थान और मध्य प्रदेश के मंत्रियों को वहां की सरकारों के मुख्यमंत्री खैमे से दूर बताया जा रहा था।
टीवी न्यूज़ चैनलों में सरकारों पर ‘सटीक’ टिप्पणी करने के लिए प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय न्यूज़ चैनल ने राजस्थान के नये मंत्रियों को मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के विरोधी टीम के नाम से टिप्पणी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की मौजूदा सरकारों को सीधा ‘मैसेज’ दिया है।

‘लेफ्ट हैंड’ पी.पी. चौधरी
भारतीय वास्तु एवं दुनिया के समझदार लोगों में माना जाता है कि ‘लेफ्ट हैंड’ से लिखने-पढ़ने वाले लोग विशेष प्रतिभा के धनी होते हैं। अमेरिका के सफल राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, निक्सन, कैनेडी और मौजूदा राष्ट्रपति ओबामा भी लेफ्ट हैंड हैं। सऊदी अरब के शेख सुल्तान, दुबई शेख मोहम्मद एवं अब हमारे नये मंत्री पी.पी. चौधरी भी लेफ्ट हैंड हैं। राष्ट्रपति भवन में शपथ के बाद रजिस्टर में दस्तखत लेफ्ट हैंड से किये हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Friday, July 1, 2016

सालोदिया की टोपीः मीणा की ताजपोशी में सहायक



सालोदिया की टोपीः मीणा की ताजपोशी में सहायक

अब्दुल सत्तार सिलावट

राजस्थान में पिछले एक दशक में कई बार ऐसे अवसर देखने को मिले जब मंत्रिमण्डल विस्तार की खबरों के चलते कई वरिष्ठ विधायक स्वयं का नम्बर लगने की तैयारी में नया बंद गले का सूट और सूट के साथ शपथ ग्रहण समारोह के समय सर पर राठौड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती के साफे अपनी निजी कार की डिक्की में बंधवाकर तैयार रखते देखे गये थे, लेकिन इस बार ‘ब्यूरोक्रेट्स’ मुख्य सचिव की ताजपोशी में 29 जून की रात से 30 जून की दोपहर तक बधाईयों की फोन लिस्ट में हर दो-चार घंटे में नाम बदलते रहे और अंत में अप्रत्याशित नाम पर ‘ताजपोशी’ की रस्म अदायगी कर मुख्य सचिव की दौड़ से दूर ओ.पी. मीणा को राजस्थान का ‘सरताज’ स्वीकार कर लिया गया।
आजादी के बाद पहली बार एसटी वर्ग को राजस्थान का मुख्य सचिव बनाकर जो संदेश सरकार दे रही है इसकी नींव में पूर्व आईएएस उमराव सालोदिया ने आहुति दी है और भले ही सालोदिया सफल नहीं हुए लेकिन उनकी टोपी आज ओ.पी. मीणा की ताजपोशी में अहम भूमिका निभा गई। अब तक सचिवालय के प्रमुख शासन सचिव पदों से दूर निदेशक, आयुक्त, राजस्व मंडल में सेवा दे रहे ‘वर्ग’ के अधिकारियों में आत्मविश्वास पैदा हो गया है कि ‘अगर सच्चे मन से पत्थर उछालेंगे तो आसमान में भी छेद कर सकते हैं’ और ऐसा कर दिखाया जनपथ के हाऊसिंग बोर्ड भवन से सचिवालय के मुख्य सचिव तक पहुंचकर ओ.पी. मीणा ने इस मुहावरे को सच कर दिया।
मुख्य सचिव पद पर ओ.पी. मीणा के पहुंचने पर राजस्थान में अनुसूचित और जनजाति के उच्च पदों पर बैठे विशिष्ठजनों को भी याद किया गया जिसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, आरपीएससी के ललित के. पंवार, राज्य निर्वाचन आयोग के राम लुभाया के साथ ही हाल के राज्यसभा चुनावों में राजकुमार वर्मा को अनुसूचित कोटे से सांसद बनाकर राज्यसभा में भेजा गया है।
मुख्य सचिव ओ.पी. मीणा की ताजपोशी के कुछ घंटों बाद ही प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों में लगभग दो दर्जन आईएएस एवं चार दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों का फेरबदल कर राजस्थान के विकास को नई गति देने का संकेत दिया है। मुख्य सचिव की दौड़ से बाहर हो गये वरिष्ठ अधिकारियों को भी ‘अच्छी’ पोस्टों से हटाकर ‘और अधिक अच्छी’ पोस्टों पर नियुक्ति दी गई तथा पिछले कुछ समय से भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियान चला रहे पुलिस अधिकारियों को भी तत्काल फेरबदल की सूचि में नई पोस्टों पर तैनात कर मुख्य सचिव ने राजस्थान में विकास की नई गति के संकेत दिये हैं।

दिल्ली के नजीब जंग को याद किया

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मुख्य सचिव की नियुक्ति को दिल्ली सरकार और नजीब जंग की ‘जंग’ की स्थिती से तुलना करते हुए कहा कि ऐसी स्थिती भी राजस्थान में पैदा हो सकती है। जबकि ओ.पी. मीणा की नियुक्ति में मौजूदा सरकार की मुख्यमंत्री से लेकर वरिष्ठ मंत्रियों तक में अब तक कोई विरोध नजर नहीं आया है। मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल अधिकारियों की नाराजगी भी स्थाई नहीं होती है। थोड़े दिनों में सब कुछ ‘नॉर्मल’ हो जाता है।

फाइलों का ‘मार्ग बदलेगा’?

मुख्य सचिव की दौड़ में लगे अधिकारियों की काबिलियत पर टिप्पणी में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि अधिकारी सभी भले हैं कोई भी मुख्य सचिव बन जाये, लेकिन सरकार की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री का संकेत है कि मुख्य सचिव तो केवल ‘पद’ है असली सरकार और आदेश तो ‘सीएमओ’ से ही चलते हैं। उनका अभिप्राय था कि नये मुख्य सचिव बनने के बाद सचिवालय की फाइलों का ‘मार्ग’ बदलकर पहले मुख्य सचिव कार्यालय जायेगी या परम्परानुसार सीएमओ से ही फैसले होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Thursday, June 30, 2016

चीन की सरकार का रोजा रखने पर प्रतिबंध


चीन की सरकार का रोजा रखने पर प्रतिबंध

अब्दुल सत्तार सिलावट

दुनिया में मात्र चीन एक ऐसा देश है जो माहे रमज़ान में अपने देश के मुसलमानों को रोजा नहीं रखने का आदेश देता है। रोजा रखने पर प्रताड़ित करता है। माहे रमज़ान में मुसलमानों को दिन में भी खाने पीने की होटलों को खुला रखने और मुस्लिम होटलों में माहे रमज़ान में भी खाने के साथ शराब परोसने का ‘आदेश’ देता है। ऐसा नहीं करने वाले मुसलमानों की होटलों के लाइसेंस रद्द कर दिये जाते हैं, उन्हें आर्थिक दण्ड दिया जाता है ऐसा आदेश कोई एक-दो साल से नहीं है और यह भी छुपाकर नहीं। यह सब चीन की सरकार वर्षों से कर रही है। हर साल रमज़ान में चीनी सरकार द्वारा मुसलमानों पर रोजा नहीं रखने और मुस्लिम होटलों में शराब परोसने के आदेश की खबरें पूरी दुनिया में छपती है, उसके बाद भी चीनी उत्पादों का सबसे बड़ा मार्केट मुस्लिम देश सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, दुबई, शारजाह, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और खाड़ी के सभी देश हैं जहां चीन की बनी टोपी पहनकर, चीन की बनी ‘जा-नमाज़’ (मुसल्ला) पर सजदे कर दुनिया भर के मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं।
सऊदी अरब में हर साल हज पर आने वाले दुनिया भर के तीस लाख से भी अधिक मुसलमान चीन के बने करोड़ों के सामान लेकर अपने देश जाते हैं, जिसमें मुसल्ले, टोपी के अलावा चीन की बनी ‘तस्बीह’ (मोतियों की माला), कपड़े, बच्चों के खिलौने, टॉर्च, इलेक्ट्रोनिक सामान भी साथ लेकर जाते हैं। चीन की अर्थव्यवस्था, चीन की इंडस्ट्रीज और चीन की दुनिया को ‘आँख’ दिखाने की ताकत का मूल स्रोत दुनिया भर के मुस्लिम देश हैं और सभी मुस्लिम देश इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि चीनी सरकार अपने देश के मुसलमानों को रमज़ान में रोजे नहीं रखने देती है और मुस्लिम होटलों पर रमज़ान में खाने-पीने के सामान के साथ शराब परोसने पर भी मजबूर करती है।
दुनिया के 55 मुस्लिम देश जिनकी सीमाएं चीन से नहीं जुड़ी हैं। जिनकी कोई मजबूरी नहीं है, वे भी चीन को मुसलमानों के शोषण से रोकने के लिए आगे नहीं आते हैं। क्या चीन की ताकत रूस और अमेरिका से भी अधिक मान ली गई है या चीन से कोई पंगा नहीं लेना चाहता है।

चीनः रूस और अमेरिका से बड़ा है क्या?

सऊदी अरब के शेख, राजा। मस्जिद में अज़ान होने पर एयरपोर्ट पर अमेरिका के राष्ट्रपति से हाथ मिलाना छोड़ पहले नमाज़ अदा करने जाते हैं। कुवैत, इराक, सीरिया में बेगुनाह मुसलमानों को बचाने के लिए अमेरिकी, रूस और फ्रांस को हवाई हमलों के लिए आर्थिक मदद देने को तैयार रहता है। वहीं सऊदी अरब चीनी सरकार द्वारा चीन के मुसलमानों पर रमजान में रोजा नहीं रखने और मुस्लिम होटलों में खाने के साथ शराब परोसने के सरकारी आदेश के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाता है? सऊदी अरब मुस्लिम देशों को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का ‘फतवा’ जारी क्यों नहीं करता है।


चीनः हाय रे, ये मजबूरियां 

हमारी आजादी के बाद पहला दोस्ती का हाथ चीन ने बढ़ाकर 1962 में हमें धोखे में रखकर हमारी उत्तरी सीमाओं पर हमला कर हमारी तरक्की को एक दशक पीछे धकेला। आजादी के 70 साल बाद भी हम उसी चीन से दोस्ती कर पड़ौसी से अच्छे रिश्तों का परिचय देने में पिछले दो साल से मोदी सरकार के प्रयासों को देख रहे हैं, लेकिन चीन अब तक भारत को अपनी ओर से ‘दोस्तों’ की लिस्ट में शामिल नहीं कर पाया है इसका पक्का सबूत हाल ही में एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) की सदस्यता के लिए विरोध नहीं करने की खुल कर अपील के बाद भी चीन ने अपना रूख नहीं बदला और दो कदम आगे बढ़कर पाकिस्तान को भी एनएसजी में सदस्य बनाने की वकालत कर डाली।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति से रूस की धरती पर ताशकन्द सम्मेलन में अलग से सिर्फ एनएसजी पर समर्थन के लिए बैठक कर पूरी दुनिया को दिखा दिया कि हम चीन से सहयोग मांग रहे हैं। दूसरी ओर हमारे वित्त मंत्री अरुण जेटली पाँच दिन की यात्रा पर चीन गये और इसी दौरे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चीन में मौजूद रहीं। इतने प्रयासों के बावजूद चीन ने हमारी सदस्यता के लिए समर्थन तो दूर की बात विरोध का स्वर भी बंद नहीं किया।
आजकल सोशल मीडिया पर चीन के एनएसजी विरोध को लेकर बहुत सी प्रतिक्रिया प्रबुद्ध नागरिकों की आ रही है उनमें एक सुझाव चीन से आ रहे कुड़े, कबाड़े जैसे सामान जिनमें खिलौने, घड़ियां, कैमरे, एम्ब्राइडरी मशीनरी, टायर और बहुत सी ऐसी सामग्री जिसके पीछे हमारी मानसिकता ‘यूज एण्ड थ्रो’ जैसी हो गई है, ऐसे सामान पर रोक लगनी चाहिये। भारत दुनिया का सबसे बड़ा ‘कन्ज्यूमर’ मार्केट है। जहां कोई भी देश प्रवेश कर अपना सामान बेचकर अपने देश की अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ कर देता है।
सोशल मीडिया के सुझावों में बहुत दम है। भारत सरकार को एक बार ऐसा निर्णय लेकर चीन के घमण्ड को तोड़ने का प्रयास करना चाहिये। ऐसे निर्णय से चीन की हठधर्मिता पर ब्रेक तो लगेगा ही हमारे देश के बहुत से छोटे-मोटे कुटीर उद्योग जिनको चीनी सामान ने बंद कर रखा है पुनः शुरु होकर देश में रोजगार के साथ आर्थिक मजबूती भी देंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Wednesday, June 29, 2016

महारानी जीः रूस से डेयरी तकनीक भी लावें


महारानी जीः रूस से डेयरी तकनीक भी लावें

अब्दुल सत्तार सिलावट

राजस्थान में सड़कें, चिकित्सा, शिक्षा और जल संसाधन में वसुन्धरा सरकार तेज गति से आगे बढ़ रही है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा, कृषि में भी विकास की दौड़ जारी है। अब एक क्षेत्र बचा है ‘श्वेत क्रांति’। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगी डेयरियों के मालिक, किसान परेशान है, संघर्ष कर रहे हैं। जबकि आपकी सरकार का डेयरी विभाग सरस के नाम पर सस्ता दूध खरीदकर आपकी जनता को महंगा बेचकर करोड़ों रूपये का लाभ कमा रहा है।
राजस्थान में आम आदमी पेयजल के संकट से जूंझ रहा है वहीं दूध उत्पादक डेयरी का किसान गाय-भैंसों को महंगा चारा, कुट्टी, पशु आहार के साथ टेंकरों का महंगा पानी खरीद कर दूध की मांग पूरी कर रहा है। सरकार की सरस डेयरी किसानों और डेयरी वालों से 32 से 34 रूपया लीटर में दूध खरीदकर ‘गोल्ड’ के नाम से 48 रूपये में बेचती है। सरस दूध को सिर्फ ठंडा कर थैली में पैक करने के बाद 14 से 16 रूपये लीटर कमाता है जबकि किसान और डेयरी चला रहे मालिक पशुओं से अधिक दूध निकालने के लिए ‘इंजेक्शन’ लगाकर पशु शोषण के आरोप से परेशान है।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से अनुरोध है कि जब आप रूस यात्रा पर जा ही रहे हैं तो बाकी उद्योग और विकास योजनाओं के साथ रूस की डेयरी तकनीक को भी राजस्थान में लाने का प्रयास करें। रूस की गाय-भैसों की उन्नत नस्लों और रूस की डेयरी योजनाओं का लाभ राजस्थान के पशु पालकों और डेयरी व्यवसाय से जुड़े किसानों तक पहुँचाकर राजस्थान में एक बार फिर नई ‘श्वेत क्रांति’ शुरु करने का अभियान चलायें।

हमारी नस्ली गायें ‘ब्राजील’ से इम्पोर्ट करते हैंः मेहता

भगवान महावीर विकलांग समिति के संस्थापक एवं एफआईएपीओ के ट्रस्टी डा. डी.आर. मेहता ने बताया कि विश्व में सबसे अधिक दूध देने वाली गाय ब्राजील से भारत में ‘इम्पोर्ट’ की जाती है। जबकि ब्राजील ने गुजरात के ‘गिर’ क्षेत्र से इन गायों की नस्ल को ले जाकर उन्नत किया है।
डा. मेहता ने पशु संरक्षण संगठन एफआईएपीओ द्वारा शहरी क्षेत्र की 49 डेयरियों के किये गये सर्वे पर जारी रिपोर्ट का विमोचन करते हुए कहाकि सरकार को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में डेयरी विकास के लिए मवेशियों के अधिकारों के उल्लंघन को रोकने, समय पर मवेशियों के स्वास्थ्य जाँच का अभियान चलाना चाहिये।
‘फिएपो’ द्वारा रंगीन फोटो सहित प्रकाशित डेयरी रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ डेयरी केटल-राजस्थान’ में दुधारू पशुओं के साथ मानवीय शोषण के दिल दहलाने वाले फोटो और रिपोर्ट भी आंकडों सहित दी गई है। संगठन की ओर से श्रीमती टिम्मी कुमार ने सरकार से मवेशी संरक्षण कानून को सख्ती से लागू करने की मांग करते हुए कहा कि सर्वे रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को पेश कर डेयरियों में मूक पशुओं के साथ हो रहे मानवीय क्रूरता के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा।
‘फिएपो’ की ओर से सुश्री वर्दा मेहरोत्रा ने बताया कि संगठन द्वारा सर्वे में मुख्य रूप से डेयरी मालिकों का ध्येय मात्र अधिक दूध से रूपया कमाना ही देखा गया है भले ही गाय-भैंस अस्वस्थ हों, बिना सुविधा के कम फेट वाला और रोग ग्रस्त दूध ही देती हो।
‘फिएपो’ ने सरकार से अवैध और बिना पशु सुविधाओं के चल रही डेयरियों को तत्काल बंद करने एवं डेयरी मालिकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।

शहर की डेयरियों से दूध के साथ बीमारियां

भारतीय पशु संरक्षण संगठनों के परिसंघ (फिएपो) की ओर से राज्य के प्रमुख शहरों के साथ गांवों की 49 डेयरियों पर मवेशियों के रख-रखाव, उनके चारा-पानी एवं अन्य सुविधाओं पर सर्वे के बाद दुःखद और चौंकाने वाले तथ्यों को मीडिया के सामने रखते हुए ‘फिएपो’ की ओर से श्रीमती टिम्मी कुमार ने बताया कि छोटे-छोटे कमरों में गाय और भैंसों को छोटी रस्सी से बंाधकर बैठने की जगह नहीं होने के कारण दिनरात खड़ा रखा जाता है। साथ ही अधिक दूध लेने के लिए नियमित रूप से अवैध ड्रग्स ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन का उपयोग कर अप्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाकर मवेशियों की शोषण किया जा रहा है।
श्रीमती टिम्मी कुमार ने बताया कि ‘फिएपो’ के सर्वे में 87 प्रतिशत डेयरियों में मवेशियों को बीमार अवस्था में गन्दगी में ही दिन रात खड़े रखा जाता है। गोबर, मूत्र में मवेशियों के नियमित पड़े रहने से शरीर पर घाव और अंग-भंग होना भी पाया गया। कुमार ने बताया कि शहरी बस्तियों में प्रबुद्ध नागरिकों, सरकार के सक्षम अधिकारियों के बीच पशु संरक्षण नियमों का मजाक उड़ाया जा रहा है।
जयपुर की क्लार्क्स आमेर होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में श्रीमती टिम्मी कुमार ने बताया कि एक स्वस्थ गाय की सामान्य उम्र 25 साल तक होती है जबकि दूध के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अवैध ड्रग्स एवं स्वस्थ वातावरण नहीं मिलने पर पाँच साल में ही गाय अस्वस्थ होकर मर जाती है या फिर उसे बूचड़खाने को बेच दिया जाता है। आपने बताया कि शहरी डेयरियों में दूध के साथ ड्रग्स, अवैध इंजेक्शन की बीमारियां बेची जा रही है। बीमार मवेशियों का दूध पीने से बच्चों में भी कई बीमारियां कम उम्र में ही घर कर लेती है।
‘फिएपो’ की तरफ से सुश्री रूचि मेहता, श्वेता सूद, वर्दा मेहरोत्रा एवं अभिषेक सिंह ने शहरी डेयरियों के मवेशियों पर हो रहे शोषण की विस्तृत जानकारी दी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Tuesday, June 21, 2016

पाली के दूध की गुणवत्ता राष्ट्रीय स्तर पर


पाली के दूध की गुणवत्ता राष्ट्रीय स्तर पर

अब्दुल सत्तार सिलावट

राजस्थान में दूसरी बार सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने राजस्थान में दूध की नदियां बहाने का आव्हान करते हुए ‘श्वेत क्रांति’ का नारा दिया था और श्वेत क्रांति का मिशन लेकर आगे बढ़ रही राज्य की ‘सरस डेयरी’ ने ग्रामीण स्तर पर लाखों दुग्ध उत्पादकों में डेयरी से जुड़कर पशुधन विकास का विश्वास पैदा किया है इसी मिशन में पश्चिमी राजस्थान के पाली जिला मुख्यालय की सरस डेयरी भी है जो अपनी उत्पादन क्षमता से डेढ़ गुना अधिक दूध संग्रह कर घी, पनीर, श्रीखण्ड, दही, छाछ और लस्सी जैसे उत्पादों में विशेष गुणवत्ता की पहचान रखती है।
पाली डेयरी पिछले चार दशक से रेगिस्तान से जुड़े गाँवों में कम पशुधन होने के बावजूद छोटे-छोटे गाँवों, आदिवासी क्षेत्रों एवं मुख्य सड़क मार्ग से दूर-दराज के गाँवों से भी दूध संकलन कर श्वेत क्रांति के मिशन में सक्रिय रही है। प्रारम्भ के डेढ़ दशक तक पाली डेयरी सिर्फ दूध संकलन कर दिल्ली की मदर डेयरी को देता था और मदर डेयरी दिल्ली में पाली के दूध की गुणवत्ता का आज भी उल्लेख किया जाता है। पिछले दिनों श्वेत क्रांति पर राष्ट्रीय स्तर के अंग्रेजी समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित लेख में पाली डेयरी के दूध की उच्च गुणवत्ता का उल्लेख भी किया गया था।
राजस्थान में पशुधन के लिए सम्पन्न जिले की इक्कीस डेयरियों में जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा और अलवर के बाद पांचवें स्थान पर पाली डेयरी दुग्ध संकलन एवं उत्पादों की गुणवत्ता में महत्व रखती है जबकि पाली जिले की सुमेरपुर मंडी नकली घी उत्पादन का मुख्य केन्द्र होने के बाद भी पाली की सरस डेयरी का बना घी शादी-ब्याह, हलवाईयों एवं असली घी का उपयोग करने वालों में मार्केट रेट से सौ-पचास रूपया अधिक दर पर माँग में रहता है।
पाली सरस डेयरी से जिले भर के 548 दुग्ध उत्पादक जुड़े हुए हैं तथा दुग्ध संग्रह के लिए बड़े गांवों के संग्रहण केन्द्रों पर दूध की गुणवत्ता, फेट प्रतिशत के आधार पर दूध लेते समय ही गुणवत्ता के साथ दूध के मूल्य की स्लिप कम्प्यूटर द्वारा बनाकर दे दी जाती है जिसका भुगतान दो सप्ताह में केन्द्रों के मार्फत किया जाता है।
पाली डेयरी के संचालक मण्डल के ग्यारह सदस्यों को साथ लेकर डेयरी विकास में सक्रिय अध्यक्ष प्रतापसिंह बिठियां का उल्लेखनीय योगदान रहा है। बिठियां 2005 से निरन्तर तीसरी बार पाली डेयरी संचालक मण्डल के निर्विरोध अध्यक्ष बनते आ रहे हैं। जिले के पशुधन और दूध उत्पादन से जुड़े किसानों को अध्यक्ष प्रतापसिंह बिठियां पर इतना भरोसा है कि डेयरी के संकलन केन्द्रों द्वारा जारी फेट प्रतिशत और मूल्य रसीद को लेकर संतुष्टी है।

पाली डेयरी को भारत सरकार का सहयोग

पाली डेयरी के उप प्रबंधक हेमसिंह चूण्डावत ने बताया कि डेयरी को भारत सरकार से 8 करोड़ रूपया नये भवन एवं मशीनरी के लिए मिल रहा है। डेयरी में दो करोड़ की लागत से नया भवन निर्माण कर पैकिंग की अतिआधुनिक टेट्रा पैक मशीन लगाई जाएगी।
चूण्डावत ने बताया कि राज्य में कुछ बड़ी डेयरी में अब तक दूध उत्पादों में पावडर भी बन रहा है जबकि पाली डेयरी विस्तार योजना में तीस करोड़ लागत की मशीनरी वाला पावडर उत्पादन प्लांट भी शामिल है। आपने बताया कि नई तकनीक से दूध को प्रोसेस कर लम्बे समय तक टेट्रा पैक में सुरक्षित रखा जा सकता है।
उप प्रबंधक ने बताया कि पाली डेयरी की 70 हजार लीटर की क्षमता के बाद भी टीम द्वारा सवा लाख लीटर तक प्रतिदिन दूध प्रोसेस के साथ डेढ़ लाख लीटर दूध भण्डारण की व्यवस्था भी है।

अमूल से कम पैसा, सीधा किसान को भुगतान नहीं

पाली जिले के माण्डल गाँव के सर्वाधिक ढ़ाई सौ भैंसों एवं सौ गायों की डेयरी चला रहे गणेश गहलोत ने बताया कि पाली डेयरी राज्य में अन्य डेयरियों के मुकाबले दूध का कम मूल्य देती है। अजमेर डेयरी 590 रूपये जबकि पाली डेयरी 550 रूपये ही देती है।
गहलोत ने राष्ट्रीय राजमार्ग 14 पर स्थित गाँव ढ़ोला से तीन किलोमीटर अन्दर माण्डल गाँव में अपने निजी कुएं पर आधुनिक सुविधा वाले पक्के शैड बनाकर गाय, भैंसों के लिए हरा चारा स्वयं के खेत में उगाते हैं। खल, पशु आहार, कुट्टी के लिए पक्के गौदामों के साथ यूपी के पशु सेवकों से भैंसों, गायों की मालिश, स्नान एवं हाथों से दुहाई करवाते हैं।
जीवन के कई वर्षों तक मुम्बई महानगर में व्यवसाय करने के बाद अपने धरती प्रेम से मोहित होकर गणेश के साथ रतन माली भी दूध कारोबार को बढ़ाना चाहते हैं। हरियाणवी भैंसों के साथ दो-दो लाख के ‘पाड़े’ (नर) रखने वाले युवा दूध उत्पादकों को भारत सरकार की श्वेत क्रांति प्रोत्साहन योजनाओं में आर्थिक सहयोग नहीं देने, कम ब्याज पर ऋण एवं अनुदान नहीं मिलने से शिकायत भी है। विशेषकर नाबार्ड, ग्रामीण एवं व्यावसायिक बैंक बड़े दूध उत्पादकों को ऋण, अनुदान एवं बीमा सुविधा नहीं दे रही है। गहलोत का दावा है कि अमूल गुजरात के दूध ईकाई को सीधा भुगतान करती है जबकि पाली डेयरी संगठन केन्द्रों के मार्फत भुगतान करने से किसान को साढ़े तीन प्रतिशत कम भुगतान मिलता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Friday, February 26, 2016

...आम बजट एक साल का ही बनाऐं, 2020 तक नहीं


...आम बजट एक साल का ही बनाऐं, 2020 तक नहीं

अब्दुल सत्तार सिलावट                                                           
आज़ादी के बाद से हमारी सरकारें एक साल का लेखा-जोखा तैयार करती है और विकास की नई-नई योजनाएं, योजनाओं को लागू करने में आने वाले खर्च के लिए टैक्स लगाकर सरकारी खजाना भरना शामिल है और इसी को ‘बजट’ कहते हैं। अब तक बजट एक वर्ष को सामने रखकर बनाया जाता था, लेकिन नरेन्द्र मोदी की लोकप्रिय सरकार आने के बाद बजट की रुपरेखा और उसके दूरगामी परिणामों को वर्ष 2020 तक लाभकारी बताते हुए बनाया जा रहा है जबकि मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 2019 में ही खत्म हो जाएगा।
कल हमारे रेलमंत्री ने जो बजट पेश किया उसमें रेल मंत्रालय अगले एक साल में क्या करेगा इसकी चर्चा कम थी जबकि 2020 के होने वाले लाभ को ‘सालाना बजट’ में पेश कर दिया। अब हमारी सरकारों से अनुरोध है कि या तो आप सालाना बजट को पंचवर्षीय योजना की तरह चुनाव जीतकर सत्ता में आते ही अपने चुनावी घोषणा पत्र की तरह अपनी सरकार का ‘पांच साला बजट’ भी एक साथ पेश कर देंवे जिससे हर वर्ष फरवरी के अन्तिम दिन बजट पेश करने ‘झिक-झिक’ ही खत्म हो जाये और 26 जनवरी से मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री के साथ बजट बनाने वाले अधिकारियों से मिलकर सोने की आयात ड्यूटी कम करने, इंकम टैक्स सीमा बढ़ाने, एक्स्पोर्ट पर ड्रा बैक बढ़ाने, मार्बल, इलेक्ट्रोनिक, सौंदर्य प्रसाधनों में टैक्स छूट की मांग करने वाले चैम्बर ऑफ कॉमर्स, बड़े उद्योगपतियों और व्यावसायिक संगठनों को हर साल मिलने की बजाय पांच साल में एक बार ही ‘सरकार’ को अपने हितों के लिए ‘सैर’ करने की मेहनत करनी पड़े।
रेल मंत्री का बजट देखने के बाद देश के प्रधान और वित्त मंत्री नरेन्द्र मोदी और हमारे राजस्थान की मुख्य एवं वित्त मंत्री वसुन्धरा राजे साहिबा से अनुरोध है कि आप अपना बजट एक साल के लेखे-जोखे और विकास योजनाओं तक ही सीमित रखें। ‘रेल प्रभु’ की तरह 2020 तक की योजनओं को शामिल नहीं करें क्योंकि राजस्थान सरकार का कार्यकाल दिसम्बर 2018 और भारत सरकार का कार्यकाल मई 2019 तक ही है फिर आप 2020 तक बजट योजना में क्या आने वाली अगली सरकार को भी आपकी रीति-नीति या आपकी सोच लागू करने को बाध्य करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से अनुरोध एवं सुझाव है कि बजट में कुछ नया करना ही चाहते हैं तो इसे नाम के अनुरूप ‘आम बजट’ को आम आदमी के हितों को ध्यान में रखकर बनाऐं। अब तक बजट भाषण उद्योगपति, एक्स्पोर्टर, हैंडीक्राफ्ट, ज्वैलर्स तथा समाज का उच्च वर्ग ही अपने हितों में की गई घोषणाओं पर प्रशंसा या आलोचना करता है। इस बार ऐसा नवीन बजट पेश करें जिसे दूरदर्शन पर गाँव की चौपाल, खेत की मुण्डेर और गगनचुम्बी इमारतों के निर्माण में लगे मजदूरों को भी अपने हितों का बजट लगे एवं एक मार्च के अख़बारों की छीना झपटी शहरों से अधिक गाँवों, कस्बों एवं गरीब, मजदूर बस्तीयों में होनी चाहिये। सबको लगे कि हमारी सरकार आई है, गरीबों की सरकार आई है, ग्रामीणों की सरकार आई है। भले ही ये सरकार चुनावी वायदे के मुताबिक 15 लाख बैंक खाते में नहीं ‘डाल’ पाई है, लेकिन इस साल गरीब, मजदूर, ग्रामीण अपने परिवार के पेट में आसानी से भरपेट खाना डाल पायेगा। ऐसा बजट चाहिये... माई बाप... अन्न दाता... देश के भविष्य निर्माताओं से...।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Sunday, February 21, 2016

एडीजीपी मिश्राः पुलिस आधुनिकीकरण की ओर


एडीजीपी मिश्राः पुलिस आधुनिकीकरण की ओर

पाली पुलिस की प्रशंसा एवं बधाई

अब्दुल सत्तार सिलावट                                                           
पुलिस मुख्यालय से पाली जिला पुलिस की कार्यशैली और समस्याओं को परखने पहुँचे एडीजी उमेश मिश्रा को 1998 के वह दिन याद आ गये जब पाली पुलिस अधीक्षक पद पर इसी जिले की कमान सम्भाली थी। आपने पत्रकारों को अपनी दो दिवसीय यात्रा में कहा कि तब (1998) सदर थाना, राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन नहीं था। एसपी ऑफिस और शहर कोतवाली का नया भवन भी पुलिस प्रगति को दर्शाता है।
एडीजी उमेश मिश्रा ने पाली शहर कोतवाली में पिछले दिनों हाईवे कॉपर लूट के कुख्यात मेव-मेवात गिरोह की गिरफ्तारी करने वाले पाली कोतवाल देरावर सिंह की उपस्थिती में सराहना करते हुए इसे पाली पुलिस की सफलता बताया। ऐसे ही अन्य मामलों में भी लूट, हत्या, एटीएम लूट की घटना के बाद लूट की रकम सहित अपराधियों की गिरफ्तारी को एडीजी ने पाली पुलिस को बधाई देते हुए सराहना की।

पाली। पुलिस के कामकाज की समीक्षा एवं वार्षिक निरीक्षण के लिए एडीजी (सिविल राइट) उमेश मिश्रा शनिवार को पाली पहुंचे। उन्होनें एसपी ऑफिस का निरीक्षण किया एवं वहां की व्यवस्थाओं को देखा। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग ब्रांच में तैनात पुलिसकर्मियों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। एसपी कार्यालय में जिले के पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर उन्होंने थाना व वृत कार्यालय वार प्रकरणों की जानकारी लेकर अपराधों की रोकथाम के लिए जरूरी दिशा निर्देश भी दिए। एडीजी मिश्रा ने सदर थाने का निरीक्षण किया और वहां के सीएलजी सदस्यों के साथ बैठक लेकर पुलिस के कामकाज की समीक्षा की और सुझाव लिए। इससे पहले उन्होंने सोजत में डीएसपी कार्यालय का निरीक्षण भी किया।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने नागरिक वाट्सएप नंबर 8764875055 को लाँच किया। इस नंबर पर अब कोई भी नागरिक अपने आस-पास होने वाले घटनाक्रम का मैसेज, फोटा एवं वीडियो पाली पुलिस से शेयर कर सकता है। जिसके बाद संबंधित थाना पुलिस तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच इसकी जानकारी जुटाएगी। स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएं एवं महिलाएं भी उनके साथ होने वाले किसी तरह के दुर्रव्यवहार को लेकर अपनी शिकायत इस नंबर पर दर्ज करा सकती है, जिनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। इसके साथ  ही महिला हेल्प लाइन डेस्क 1090 और नागरिक सुरक्षा दल की औपचारिक शुरुआत भी शनिवार से की गई है।
पाली एसपी भार्गव ने बताया कि पुलिस ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए वाट्सएप नंबर जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि आमजन अपने आस-पास होने वाली घटना, दुर्घटना अथवा संदिग्ध गतिविधियों की सूचनाएं इस नंबर पर दें, ताकि पुलिस समय पर कार्यवाही कर सके। उन्होंने यह भी बताया कि छात्राओं व महिलाओं द्वारा दी गई शिकायत को गुप्त रखा जाएगा और उनके मामले में गंभीरता से कार्यवाही की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस नंबर पर किसी भी तरह के अनर्गल मैसेज, फोटो या वीडियो शेयर करने या किसी तरह के अनर्गल मैसेज भेजने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Thursday, February 18, 2016

...और रक्षा मंत्री मोबाइल उद्घाटन में नहीं गये Freedom251 smartphone mobile

...और रक्षा मंत्री मोबाइल उद्घाटन में नहीं गये

...और रक्षा मंत्री मोबाइल उद्घाटन में नहीं गये
साजिद खान, सम्पादक, दैनिक महका राजस्थान
दैनिक महका राजस्थान के प्रधान सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल सत्तार सिलावट के आलेख में फ्रीडम 251 मोबाइल की सत्यता पर उठाये सवालों की प्रति जब देश के रक्षा मंत्री तक पहुँची तब उन्होंने भी मोबाइल कम्पनी के मालिकों से हमारे लेख में उठाई गई शंकाओं का स्पष्टीकरण मांगा तो मोबाइल कम्पनी रक्षा मंत्री को संतुष्ट करने में असफल रही और देश के रक्षा मंत्री ने 251 रूपये में बेचने का दावा करने वाली कम्पनी के ‘भव्य उद्घाटन’ से किनारा कर दिया और नहीं गये रक्षा मंत्री।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि स्मार्ट फोन 251 पर दैनिक महका राजस्थान द्वारा भेजे लेख पर अधिकारियों ने गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श कर माननीय रक्षा मंत्री को 251 रूपये के मोबाइल बेचने के दावों में संभावित विवादों से अवगत करवाने पर स्वयं रक्षा मंत्री जी ने ही भव्य उद्घाटन में जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया।
वैसे तो खबरों पर सरकार, मंत्रियों और राजनेताओं का संज्ञान लेना आम बात है लेकिन यह खबर आप तक इसलिए पहुँचाई जा रही है कि देश के बड़े टीवी चैनलों और मल्टीकलर अखबारों की दौड़ में गाँव, ढ़ाणी, कस्बे या छोटे शहर में चार-आठ पेज का श्वेत-श्याम दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक अखबार वाला पत्रकार स्वयं को छोटा और असहाय नहीं समझें। जनहित में, राजहित में, और कभी-कभी अपने हित में भी बिना संकोच कलम उठाकर लिखें, सत्ता के गलियारों तक सोशल मीडिया के साधनों से भेजें। आपकी बात में दम होगा तो सुनवाई जरूर होगी। एक शर्त सामने रखें कि जब आप कलम उठायें जो आप कांग्रेसी, भाजपाई, हिन्दू, मुसलमान से अलग हटकर सिर्फ पत्रकार और सिर्फ पत्रकार ही होंगे।

...और रक्षा मंत्री मोबाइल उद्घाटन में नहीं गये


...और रक्षा मंत्री मोबाइल उद्घाटन में नहीं गये

साजिद खान, सम्पादक, दैनिक महका राजस्थान
दैनिक महका राजस्थान के प्रधान सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल सत्तार सिलावट के आलेख में फ्रीडम 251 मोबाइल की सत्यता पर उठाये सवालों की प्रति जब देश के रक्षा मंत्री तक पहुँची तब उन्होंने भी मोबाइल कम्पनी के मालिकों से हमारे लेख में उठाई गई शंकाओं का स्पष्टीकरण मांगा तो मोबाइल कम्पनी रक्षा मंत्री को संतुष्ट करने में असफल रही और देश के रक्षा मंत्री ने 251 रूपये में बेचने का दावा करने वाली कम्पनी के ‘भव्य उद्घाटन’ से किनारा कर दिया और नहीं गये रक्षा मंत्री।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि स्मार्ट फोन 251 पर दैनिक महका राजस्थान द्वारा भेजे लेख पर अधिकारियों ने गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श कर माननीय रक्षा मंत्री को 251 रूपये के मोबाइल बेचने के दावों में संभावित विवादों से अवगत करवाने पर स्वयं रक्षा मंत्री जी ने ही भव्य उद्घाटन में जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया।
वैसे तो खबरों पर सरकार, मंत्रियों और राजनेताओं का संज्ञान लेना आम बात है लेकिन यह खबर आप तक इसलिए पहुँचाई जा रही है कि देश के बड़े टीवी चैनलों और मल्टीकलर अखबारों की दौड़ में गाँव, ढ़ाणी, कस्बे या छोटे शहर में चार-आठ पेज का श्वेत-श्याम दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक अखबार वाला पत्रकार स्वयं को छोटा और असहाय नहीं समझें। जनहित में, राजहित में, और कभी-कभी अपने हित में भी बिना संकोच कलम उठाकर लिखें, सत्ता के गलियारों तक सोशल मीडिया के साधनों से भेजें। आपकी बात में दम होगा तो सुनवाई जरूर होगी। एक शर्त सामने रखें कि जब आप कलम उठायें जो आप कांग्रेसी, भाजपाई, हिन्दू, मुसलमान से अलग हटकर सिर्फ पत्रकार और सिर्फ पत्रकार ही होंगे।

Wednesday, February 17, 2016

देश के रक्षा मंत्री और 251 रूपये का मोबाइल...


देश के रक्षा मंत्री और 251 रूपये का मोबाइल...

अब्दुल सत्तार सिलावट                                                             
राजस्थान के घर-घर तक आज एक राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पत्र के पहले पन्ने पर मोबाइल फोन के बेचने का भव्य उद्घाटन का विज्ञापन छपा। मुख्य अतिथि देश की तीनों सेनाओं के प्रमुख रक्षामंत्री के साथ अध्यक्षता के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सांसद का नाम फोटो सहित। देश के प्रधानमंत्री के तीनों स्लोगन 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया' एवं 'स्किल इंडिया' प्रमुखता से छापा है। इसी पृष्ठ के पीछे मोबाइल स्मार्ट फोन के फोटो के साथ स्मार्ट फोन की किमत मात्र 251 रूपये, फोन का नाम फ्रिडम 251, फिचर 3जी के साथ इन दिनों देश में बिक रहे 10 हजार से लेकर 25 हजार तक के स्मार्ट फोन से बेहतर, साथ में एक साल की वारंटी।
स्मार्ट फोन को 251 रूपये में बेचने वाली कम्पनी ने किमत पर कहीं भी *स्टार लगाकर छोटे अक्षरों में शर्तें लागू या पहले 100 फोन तक 251 रूपये का अन्य आकर्षक व्यापारिक कलाबाजी का प्रयोग नहीं किया है। स्मार्ट फोन बेचने वाली कम्पनी ने अपने भव्य उद्घाटन में देश के रक्षा मंत्री को मुख्य अतिथि बनाया है इसलिए ग्राहकों के साथ धोखा होने की संभावना भी लगाना हमारी गलत सोच और मानसिक संकीर्णता दर्शायेगा। विज्ञापन में स्मार्ट मोबाइल फोटो भी तिरंगे और अशोक चक्र के साथ छापा है इसलिए धोखाधड़ी होने की सोच पर 'राष्ट्रद्रोह' के आरोप में पुलिस गिरफ्तार भी कर सकती है। इसलिए हम स्मार्ट फोन की बुकिंग के लिए सुबह 6:00 बजे से प्रयास कर रहे हैं लेकिन कम्पनी ने राजस्थान में दो रंगीन पृष्ठों का विज्ञापन तो छपवा दिया मगर स्मार्ट फोन की बुकिंग के लिए राजस्थान में किसी शहर के डिलर का नाम या फोन नम्बर नहीं छापा है जबकि राजस्थान के पडौसी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी शहरों के डिलर के नाम और फोन नम्बर हैं। इससे लगता है कि स्मार्ट फोन की कम्पनी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों की तैयारी में किसी राजनीतिक दल की सहयोगी बनने की तैयारी में हैं। यह मात्र 'कयास' है इसके ठोस प्रमाण या सबूत अब तक नहीं मिल रहे हैं।
आज के विज्ञापन के अनुसार यदि वास्तव में स्मार्ट फोन 251 रूपये में आ गया है तो अब तक 10 हजार से 48 हजार रूपये तक स्मार्ट फोन बेचने वाली कम्पनियों ने हम भोले-भाले भारतीय ग्राहकों को ठगा है। जिस स्मार्ट फोन को देश के रक्षा मंत्री के हाथों 'भव्य उद्घाटन' करवाकर कम्पनी बड़े-बड़े अखबारों में करोड़ों रूपये विज्ञापन पर खर्च कर रही है यह खर्च भी तो 251 रूपये के स्मार्ट फोन से ही निकलेगा।
हम रक्षा मंत्री एवं देश के प्रधानमंत्री जी से अनुरोध करेंगे कि जिस स्मार्ट फोन की लागत सौ-दो सौ रूपये ही आती है उसको दो सौ गुना मुनाफे पर बेचका देश की जनता को लूटने वाली कम्पनियों के खिलाफ अब तक बेचे स्मार्ट फोन की लागत 251 रूपये घटाकर कम्पनियों से देश के ग्राहकों से लूटा गया करोड़ों-अरबों रूपया वसूला जाये और सरकारी खजाने में स्मार्ट फोन की अवैध वसूली से आने वाले अरबों रूपये को देश की तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण पर ही खर्च किया जाये, क्योंकि यह लूट का धन आज देश के रक्षा मंत्री द्वारा 251 रूपये के स्मार्ट फोन बेचने वाली कम्पनी के 'भव्य उद्घाटन' से ही 'रहस्योद्घाटन' हुआ है।
अन्त में ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि स्मार्ट फोन 251 रूपये में बेचने वाली कम्पनी 21 फरवरी तक बुकिंग के बाद करोड़ों रूपये लेकर भाग जाये तो ठगे उपभोक्ताओं द्वारा पुलिस या कोर्ट केस में मेरे देश के रक्षा मंत्री और सांसद को 'कटघरे' में खड़ा नहीं होना पड़े। यह भी मात्र संभावना और बुरी सोच ही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)