सालोदिया की टोपीः मीणा की ताजपोशी में सहायक
अब्दुल सत्तार सिलावट
राजस्थान में पिछले एक दशक में कई बार ऐसे अवसर देखने को मिले जब मंत्रिमण्डल विस्तार की खबरों के चलते कई वरिष्ठ विधायक स्वयं का नम्बर लगने की तैयारी में नया बंद गले का सूट और सूट के साथ शपथ ग्रहण समारोह के समय सर पर राठौड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती के साफे अपनी निजी कार की डिक्की में बंधवाकर तैयार रखते देखे गये थे, लेकिन इस बार ‘ब्यूरोक्रेट्स’ मुख्य सचिव की ताजपोशी में 29 जून की रात से 30 जून की दोपहर तक बधाईयों की फोन लिस्ट में हर दो-चार घंटे में नाम बदलते रहे और अंत में अप्रत्याशित नाम पर ‘ताजपोशी’ की रस्म अदायगी कर मुख्य सचिव की दौड़ से दूर ओ.पी. मीणा को राजस्थान का ‘सरताज’ स्वीकार कर लिया गया।
आजादी के बाद पहली बार एसटी वर्ग को राजस्थान का मुख्य सचिव बनाकर जो संदेश सरकार दे रही है इसकी नींव में पूर्व आईएएस उमराव सालोदिया ने आहुति दी है और भले ही सालोदिया सफल नहीं हुए लेकिन उनकी टोपी आज ओ.पी. मीणा की ताजपोशी में अहम भूमिका निभा गई। अब तक सचिवालय के प्रमुख शासन सचिव पदों से दूर निदेशक, आयुक्त, राजस्व मंडल में सेवा दे रहे ‘वर्ग’ के अधिकारियों में आत्मविश्वास पैदा हो गया है कि ‘अगर सच्चे मन से पत्थर उछालेंगे तो आसमान में भी छेद कर सकते हैं’ और ऐसा कर दिखाया जनपथ के हाऊसिंग बोर्ड भवन से सचिवालय के मुख्य सचिव तक पहुंचकर ओ.पी. मीणा ने इस मुहावरे को सच कर दिया।
मुख्य सचिव पद पर ओ.पी. मीणा के पहुंचने पर राजस्थान में अनुसूचित और जनजाति के उच्च पदों पर बैठे विशिष्ठजनों को भी याद किया गया जिसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, आरपीएससी के ललित के. पंवार, राज्य निर्वाचन आयोग के राम लुभाया के साथ ही हाल के राज्यसभा चुनावों में राजकुमार वर्मा को अनुसूचित कोटे से सांसद बनाकर राज्यसभा में भेजा गया है।
मुख्य सचिव ओ.पी. मीणा की ताजपोशी के कुछ घंटों बाद ही प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों में लगभग दो दर्जन आईएएस एवं चार दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों का फेरबदल कर राजस्थान के विकास को नई गति देने का संकेत दिया है। मुख्य सचिव की दौड़ से बाहर हो गये वरिष्ठ अधिकारियों को भी ‘अच्छी’ पोस्टों से हटाकर ‘और अधिक अच्छी’ पोस्टों पर नियुक्ति दी गई तथा पिछले कुछ समय से भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियान चला रहे पुलिस अधिकारियों को भी तत्काल फेरबदल की सूचि में नई पोस्टों पर तैनात कर मुख्य सचिव ने राजस्थान में विकास की नई गति के संकेत दिये हैं।
दिल्ली के नजीब जंग को याद किया
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मुख्य सचिव की नियुक्ति को दिल्ली सरकार और नजीब जंग की ‘जंग’ की स्थिती से तुलना करते हुए कहा कि ऐसी स्थिती भी राजस्थान में पैदा हो सकती है। जबकि ओ.पी. मीणा की नियुक्ति में मौजूदा सरकार की मुख्यमंत्री से लेकर वरिष्ठ मंत्रियों तक में अब तक कोई विरोध नजर नहीं आया है। मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल अधिकारियों की नाराजगी भी स्थाई नहीं होती है। थोड़े दिनों में सब कुछ ‘नॉर्मल’ हो जाता है।
फाइलों का ‘मार्ग बदलेगा’?
मुख्य सचिव की दौड़ में लगे अधिकारियों की काबिलियत पर टिप्पणी में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि अधिकारी सभी भले हैं कोई भी मुख्य सचिव बन जाये, लेकिन सरकार की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री का संकेत है कि मुख्य सचिव तो केवल ‘पद’ है असली सरकार और आदेश तो ‘सीएमओ’ से ही चलते हैं। उनका अभिप्राय था कि नये मुख्य सचिव बनने के बाद सचिवालय की फाइलों का ‘मार्ग’ बदलकर पहले मुख्य सचिव कार्यालय जायेगी या परम्परानुसार सीएमओ से ही फैसले होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
No comments:
Post a Comment
Please Write Your Valuable Suggestions and Feedback.
Thank You.
Dainik Mahka Rajasthan