Thursday, July 28, 2016

मकराना में हाजियों का टीकाकरण

लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक

मकराना में हाजियों का टीकाकरण

अब्दुल सत्तार सिलावट, प्रधान सम्पादक
मकराना (नागौर)। अंजुमन इस्लाहुल मुसलमीन द्वारा हाजियों के टीकाकरण का आयोजन किया गया जिसमें हज कमेटी राजस्थान सरकार की तरफ से हज अरकान और हज के दौरान की सावधानियों के बारे में बताने के लिए हज ट्रेनी रसीद खोखर, अजीज गौरी एवं शेख मोईनुद्दीन ने तफसील से जानकारियां दी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाजियों का स्वास्थ्य परिक्षण करने के बाद टीकाकरण किया गया। अंजुमन के सदर हाजी इरशाद चौधरी ने सभी हाजियों का माला पहनाकर इस्तकबाल किया। महिला हाजियों का हज्जन सईदा, हज्जन गज़ाला एवं हज्जन शबनम ने माला पहनाकर इस्तकबाल किया। 
अंजुमन इस्लाहुल मुसलमीन के पदाधिकारियों में नायब सदर इकरामुद्दीन (कलमुजी), सैकेट्री न्याज़ मोहम्मद, जोइन्ट सैकेट्री साबिर भाटी, केशियर एडवोकेट सगीर अहमद के साथ मौलाना कमर आलम साहब, मौलाना सैफुल्लाह असदकी साहब ने हज की बारीकियों को तफसील के साथ बयान किया एवं हाजियों के सवालों पर पूरी जानकारी दी।

मकराना की सड़कों पर ‘हीरो-आई स्मार्ट’

मकराना की सड़कों पर ‘हीरो-आई स्मार्ट’

अब्दुल सत्तार सिलावट, प्रधान सम्पादक
मकराना (नागौर)। मकराना की सड़कों पर हीरो मोटरसाइकिल का नया मॉडल दौड़ने लगा है। 1965 से 2010 तक जापान की होंडा के साथ मिलकर मोटरसाइकिल बनाने वाले हिरो-होंडा की अब पूर्ण रूप से भारतीय तकनीक से निर्मित हीरो-आई स्मार्ट का मुहुर्त किया गया। 
स्विफ्ट हीरो मोटर्स के विशाल शो-रूम में हर्ष ध्वनी के साथ हीरो-आई स्मार्ट के नये मॉडल को समारोह के अतिथि उप अधीक्षक पुलिस अमरजीत सिंह बेदी, मकराना थाना सी.आई. इन्द्रराज मरोड़िया, मार्बल व्यवसायी एवं समाजसेवी सेठ मोहम्मद रमजान रांदड, नगर परिषद सभापति शौकत अली गौड़, स्विफ्ट मोटर्स के डायरेक्टर दीपक बंसल, उत्कृष्ठ बंसल, प्रेम नारायण गर्ग ने अनावरण कर ग्राहकों को चाबी सौंपकर शुभारम्भ किया।
स्विफ्ट मोटर्स के डायरेक्टर दीपक बंसल ने बताया कि होंडा से अलग होने के बाद हीरो मोटर्स ने मोटर साइकिल के सभी पार्ट्स भारत में निर्मित करना शुरु कर दिया है जबकि नई तकनीक और अधिक माईलेज देने वाला इंजन राजस्थान में स्थित हीरो मोटर्स की फैक्ट्री में बनाया जा रहा है।

Wednesday, July 13, 2016

नेताओं की आँखों से पानी सूख गया हैः जल पुरूष


नेताओं की आँखों से पानी सूख गया हैः जल पुरूष

अब्दुल सत्तार सिलावट
जयपुर। दुनियाभर के देशों में विकास योजनाएं एजेंसियां और कम्पनियां बना रही है और भारत में भी ग्रामीण, मजदूर, गरीब और आदिवासियों के लिए विकास योजनाएं कम्पनियां और एजेंसियां ही बना रही है और इसके परिणाम में देश की जनता का विकास हो या नहीं हो योजना को बनाने वाली कम्पनियां खूब धन कमा रही है। यह कहना है जल पुरूष मेगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह का। आज की सरकारों के नेताओं का रिमोट अफसरशाही के हाथों में हैं और राजेन्द्र सिंह की बात की पुष्टी दिल्ली की रायसीना हिल्स के चारों ओर बैठे गगनचुम्बी, एयरकंडीशन सचिवालय की अफसरशाही ने कभी गांव की चौपाल नहीं देखी, खेत की मेड़ और गरीब की झौपड़ी में बैठे भूखे-प्यासे मासुमों की आँखों में शाम की रोटी का सपना नहीं देखा, लेकिन इनके विकास की योजनाएं वही अफसर बनाते हैं जिनका शरीर कभी बीच रास्ते में तेज बारिश में नहीं भीगा, कभी 48 डिग्री की गर्मी में पंचर मोटरसाइकिल को गांव के मिट्टी वाले रास्ते में से खींचकर दो तीन किलोमीटर दूर पंचर वाले की दुकान तक ले जाने का सौभाग्य नहीं मिला। इन अफसरों ने बर्फीली ठंडी हवाओं की रातों में रिक्शे वाले को दस पैबंद लगे कम्बल में किसी मकान या पेड़ की ओट में बिना नींद के आँखों में रात गुजारते हुए नहीं देखा है.... लेकिन मेरे देश के विकास की योजनाओं को बनाने वाले अफसरों की योजनाओं में सरकार द्वारा स्वीकृत हजारों करोड़ रूपये से गरीबों का भला हो या नहीं हो, किन्तु इन योजनाओं को लागू करवाने में लगी एजेंसियां, ठेकेदार, कम्पनियां और ब्यूरोके्रट्स आजादी के बाद के सत्तर साल से कमाकर मालामाल होते रहे हैं और अब तो लोकतंत्र के प्रहरी जिन्हें जनता चुनकर भेजती है वे भी इन अफसरों के सामने हाथ बांधे खड़े नजर आते हैं।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि इक्कीसवीं शताब्दी में विश्व युद्ध होगा और यह जल युद्ध होगा। विश्व का तीसरा युद्ध जल युद्ध ही होगा। जल संरक्षण की मशाल जलाने वाले जल पुरूष राजेन्द्र सिंह जिन्हें रोमन मेगसेसे पुरस्कार विजेता की पहचान के साथ पूरी दुनिया में पानी की बात के लिए बुलाते हैं। गत वर्ष 2015 में स्टोकहोम वाटर पुरस्कार से भी राजेन्द्र सिंह को नवाजा गया। नाबार्ड बैंक के 35वां स्थापना दिवस पर जल संरक्षण पर नाबार्ड बैंक के मिशन की प्रशंसा करते हुए सिंह ने कहा कि बारिश को देखकर सरकारें खुश होती हैं, लेकिन बारिश के पानी को व्यर्थ बहने से रोकने, धरती में डालकर जल स्रोत बढ़ाने या नियमित उपयोग के लिए किसी योजना पर सरकारें ध्यान नहीं देती है।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि बारिश के पानी को दौड़ता है उसे चलना सीखा दो, उसके बाद रैंगना और अन्त में बहते पानी को धरती के गर्भ में डालकर सूरज की नजर से बचा लो तो बरसात का पानी हमें उज्जवल भविष्य की ओर ले जायेगा। भारत में कल तक महाराष्ट्र ऐसा राज्य था जहां विकास की गंगा बहती थी, लेकिन उसी महाराष्ट्र की आज किसानों की आत्महत्या वाले प्रदेश के रूप में पहचान रह गई है और इसका मुख्य कारण पानी के महत्व को नहीं समझा गया।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पहले राजाओं का शासन बदलने से और आज देश की सरकारें बदलने से हिस्ट्री बदल जाती है, लेकिन भूगोल को बदलने में पीढ़ियों की कुर्बानी लग जाती है। ऐसा ही भूगोल पानी के संरक्षण, नदियों और तालाबों में बढ़ते मिट्टी के भराव से बरसात का पानी नदियों, तालाबों का रास्ता छोड़ आबादी और फसलों वाली उपजाऊ भूमि को बर्बाद करता हुआ गंदगी वाले नालों के साथ बह जाता है लेकिन उसे कल के भविष्य को उज्जवल रखने के लिए कोई भी बड़ी योजना या समाज का वर्ग आगे आकर जल बचाने का मिशन नहीं चला रहा है। सिंह ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि दुनिया की निगाहों में पानी सूख गया है और नेताओं की आँखों में भी अब तो पानी सूख गया है।

नाबार्ड मिशन, जल ही जीवनः अरोरा

नाबार्ड के 35वें स्थापना दिवस पर ग्रामीण विकास और जल संरक्षण में बैंक की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए नाबार्ड बैंक की मुख्य महाप्रबंधक सरिता अरोरा ने बताया कि ‘जल ही जीवन है’ के नारे को सम्बल देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नाबार्ड बैंक के सहयोग से वाटर शैड विकास परियोजनाओं को निरन्तर जारी रखा जायेगा तथा पूर्व में जिन क्षेत्रों में वाटर शैड लागू किये गये हैं उन्हें ऋण सुविधा बढ़ाकर प्रोत्साहित किया जायेगा।
श्रीमती सरिता अरोरा ने नाबार्ड द्वारा आयोजित ‘जल जागरूकता और जल संरक्षण’ विषय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि देश में जोहड़ जल संचयन पद्धति से हमारे पूर्वज देसी तकनीक से जल के स्रोतों को पुनर्जीवित करते थे और आज भी जोहड़ तकनीक कामयाब है। आपने कहा कि जल और मृदा संरक्षण की तकनीक से आमजन को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के प्रयास सफल हो रहे हैं।
मुख्य प्रबंधक अरोरा ने 1982 में स्थापित नाबार्ड बैंक के 34 साल के सफर में कृषि और ग्रामीण विकास की उपलब्धियों में सहयोगी गैर सरकारी संस्थाओं, तकनीकी विशेषज्ञों, सरकार के विभागों और आमजन के सहयोग को नाबार्ड मिशन की सफलता का श्रेय देते हुए आभार व्यक्त किया।

Monday, July 11, 2016

बैंकों वाले प्रधानमंत्री के विरोध में


प्रधानमंत्री रोजगार योजना

बैंकों वाले प्रधानमंत्री के विरोध में

अब्दुल सत्तार सिलावट
गुजरात के मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री पद तक नरेन्द्र मोदी को पहुंचाने वाले देश के करोड़ों युवा एवं बेरोजगारों के लिए बनी ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ को बैंकों के अधिकारी ‘फेल’ करने में लगे हैं। वैसे तो गरीबों को छोटे रोजगार के लिए ऋण, ग्रामीणों को पशु-डेयरी ऋण तथा किसानों को ट्रेक्टर खरीदने के लिए सरकारी योजनाओं में बैंक अधिकारियों को ऋण डूबता हुआ ही नजर आता है तथा जिला उद्योग केन्द्र, सहकारी समितियां, अल्पसंख्यक विभाग द्वारा जिन बेरोजगारों या जरुरतमंदों को ट्रेनिंग देकर, कई बार इनके इंटरव्यू लेकर, सरकारी अधिकारियों द्वारा ‘ठोक-बजाकर’ बैंकों को ऋण के लिए आवेदन भेजे जाते हैं, लेकिन बैंक अधिकारी बेरोजगारों की ऋण सिफारिश की राशि को 20 से 30 प्रतिशत कर देते हैं या सरकारी कर्मचारी गारन्टर मांग कर भगा देते हैं। ऐसे बेरोजगार छोटे काम धंधा करने वाले लोग अपनी योजना शुरु नहीं कर पाते हैं तथा बैंकों से मिला एक चौथाई ऋण भी फंस कर ‘डिफाल्टर’ बन जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दो साल के शासन में सबसे अधिक ध्यान देश के करोड़ों बेरोजगार युवाओं को ‘इज्ज़त की रोटी’ देने के लिए ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ में 35 प्रतिशत तक अनुदार देकर सेवा रोजगार पर ऋण सीमा दस लाख तथा उत्पादन ईकाई पर 35 लाख तक के ऋण बिना गारन्टर के देने की योजना को देश व्यापी लागू किया है। ऐसी ही एक योजना राजस्थान सरकार ने ‘भामाशाह’ के नाम से जिसमें सेवा रोजगार पर 5 लाख तथा उत्पादन ईकाई को दस लाख तक के ऋण पर ब्याज में 4 प्रतिशत के अनुदान का प्रोत्साहन दिया गया है।
बेरोजगार युवाओं के लिए जिला स्तर पर ‘डिस्ट्रीक्ट लेवल कमेटी’ बनाकर इस कमेटी में एक अधिकारी लीड बैंक, सभी बड़ी बैंकों के रिजनल मैनेजर, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक एवं तकनीकी अधिकारी एक साथ बैठकर आवेदनकर्ता का इंटरव्यू, उसके व्यवसाय के प्रति अनुभव एवं व्यापार कर पायेगा या नहीं यह क्षमता जांचकर बैंक को ऋण के लिए सिफारिश करते हैं, लेकिन इतने बड़े अधिकारियों के समूह द्वारा ऋण के लिए की गई सिफारिश को बैंक के एक छोटे से केबिन में बैठा बैंक का ऋण अधिकारी उस बेरोजगार युवा को ‘चोर’ की नजर से देखना शुरु कर देता है। सबसे पहले अभी ‘क्लोजिंग’ है, अभी हाफ ईयर क्लोजिंग है, अभी कोटा पूरा हो गया या फिर एक सरकारी कर्मचारी की गारन्टी लेकर आ जाना, इन सबके बाद भी यदि युवा बेरोजगार बैंक का पीछा नहीं छोड़ता है तो उसे सरकारी अधिकारियों की कमेटी द्वारा स्वीकृत दस लाख की फाइल को कांट-छांट कर दो लाख का ऋण स्वीकृत कर देते हैं। अब जिस बेरोजगार ने दस लाख की योजना बनाई थी वह दो लाख में तो व्यापार नहीं कर सकता, तब यह दो लाख भी व्यापार शुरु करने के चक्कर में ‘इधर-उधर’ फंसकर बैंक का ‘डिफाल्टर’ हो जाता है और बैंक के कौने वाले केबिन में बैठे अधिकारी की बेरोजगार के प्रति फाइल हाथ में आते ही की गई ‘भविष्यवाणी’ सही साबित हो जाती है।
अब बैंक अधिकारियों का दूसरा ‘फण्डा’ भी समझ लिया जाये। किसी योजना के लिए 100 फाइलें पैंडिंग है और इनकी कुल राशि पांच करोड़ बनती है तथा सरकारी बजट से एक करोड़ की राशि मिली है तब इन सौ फाइलों में ‘समान’ राशि वितरण कर सभी पैंडिंग फाइलों को ‘क्लीयर’ कर देते हैं। अब सात लाख के आवेदन को भी एक लाख तथा दस लाख के आवेदन को भी एक लाख का ऋण देकर बैंक वाले शत-प्रतिशत ऋण का लक्ष्य तो पूरा कर लेते हैं, लेकिन वह बेरोजगार इज्ज़त की रोटी कमाने के लिए अपनी योजना अनुसार व्यापार तो नहीं कर पाता है बल्कि बैंक की लिस्ट में ‘डिफाल्टर’ जरूर हो जाता है।
सुझावः बदलाव और योजना की सफलता के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के लिए भारत सरकार जो करोड़ों रूपये की राशि बैंकों को सुपुर्द करती है वह राशि बेरोजगारों को ऋण स्वीकृत करने वाली कमेटी या जिला कलेक्टर के मार्फत बिना बैंकों को फाइल भेते स्वयं कमेटी द्वारा चैक जारी कर ऋण दिया जाना चाहिये। जिससे बेरोजगारों के लिए प्रधानमंत्री की योजना सफल हो, बेरोजगार युवाओं को सीधा लाभ मिले तथा प्रधानमंत्री की बेरोजगारों को आर्थिक मदद की योजना को ‘असफल’ करने के मिशन में लगे बैंक अधिकारियों से बेरोजगारों को मुक्ति मिले।


‘अर्जुन’, अब तो तीर चला दो

राजस्थान के बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में वित्त राज्य मंत्री बनाये गये हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेरोजगारों को रोजगार देने की योजना को क्रियान्वित करने वाले उद्योग विभाग में तीस साल तक नौकरी कर भारतीय प्रशासनिक सेवा और अब संसद के गलियारों में बैंकों की कमाण्ड वाले मंत्रालय के मंत्री भी हैं।
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल प्रधानमंत्री रोजगार योजना में बैंकों के अधिकारियों द्वारा बेरोजगारों को ऋण की सिफारिश उद्योग विभाग द्वारा करने के बाद कैसे चक्कर लगवाते हैं। उन्हें चोर समझकर सरकारी विभाग की सिफारिश की गई राशि का कुछ हिस्सा देकर जानबूझकर उसे ‘चोर’ बनने पर मजबूर कर देते हैं।
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने युवाओं को रोजगार, ईज्ज़त की जिन्दगी को साकार करने के लिए ‘पहला तीर’ बैंकों के मार्फत ऋण वितरण की नीति को बदलकर सीधे कलेक्टर, जिला उद्योग केन्द्र के मार्फत ऋण दिया जाना चाहिये।
सरकार की हजारों करोड़ की योजनाएं पेयजल, सड़कें, ग्रामीण विकास मनरेगा जैसी योजनाएं यदि गांव का सरपंच, पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम बिना भ्रष्टाचार के चला सकते हैं जो प्रधानमंत्री रोजगार योजना के युवाओं को जिला कलेक्टर और जिला उद्योग केन्द्र के अधिकारी बहुत अच्छी तरह से बिना भ्रष्टाचार के सफल बना सकते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Sunday, July 10, 2016

बदले-बदले मेरे ‘सरकार’ नज़र आते हैं...


बदले-बदले मेरे ‘सरकार’ नज़र आते हैं...

अब्दुल सत्तार सिलावट

पाली सांसद पी.पी. चौधरी केन्द्रीय मंत्री बनने से पहले पाली में अपनी पसंद का यूआईटी चेयरमैन बनाने, प्रदुषण समस्या निपटाने में अपने समर्थकों को प्राथमिकता देते तथा ‘अपने लोगों’ को पुलिस की अच्छी पोस्टिंग, अध्यापकों के तबादलों, पटवारी-तहसीलदारों को अपने जनप्रतिनिधियों की मांग पर बाहर जिलों से लाने के सिफारिशी पत्रों पर हस्ताक्षर करते दिखाई देते थे, लेकिन मंत्री पद की शपथ के बाद अपने लोकसभा क्षेत्र के पहले दौरे में ही राष्ट्रीय स्तर की कानून पालिसी और इलेक्ट्रोनिक जनसंचार की क्रांति लाने की योजनाओं को देश भर में लागू करने की बातों से स्वागत सभाओं में जनता ही नहीं मंच पर बैठे भाजपा नेताओं को भी अपने सांसद के मंत्री बनते ही बदले-बदले से ‘सरकार’ नज़र आने लगे हैं।


मारवाड़ी में कहावत है कि ‘घर का जोगी जोगड़ा, बाहर गांव का संत’, इस कहावत को चरितार्थ किया पाली के लोकप्रिय सांसद पी.पी. चौधरी ने मंत्री पद की शपथ लेते ही। अब तक हम केन्द्र की मोदी सरकार के अरुण जेटली, वैंकेया नायडू और रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को ही भारत के भाग्य विधाताओं की नजर से देखते थे, लेकिन सांसद पी.पी. चौधरी के मंत्री बनने के बाद पाली के पहले दौरे में पहले दिन की स्वागत सभाओं की थकावट के बीच पत्रकारों के साथ पत्रकार वार्ता की औपचारिकता से दूर सांसद के दो साल के सफर से राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में मंत्री पद की शपथ लेने तक के सफर का बिना ‘लाग-लपेट’ के आत्मीयता से किये विश्लेषण के साथ अपने दोनों मंत्रालय कानून और इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी की भावी योजनाओं का जो चित्रण पेश किया उससे पहली बार लगा कि ग्रामीण परिवेश में किसान के घर पले और लाखों वकीलों की भीड़ से निकलकर राजनीति में प्रवेश कर पहली बार सांसद पी.पी. चौधरी की ‘सोच’ देश के विकास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनी टीम में शामिल करने का निर्णय, सब कुछ पी.पी. साहब की प्रतिभा का ‘सेल्फ इंट्रोडक्शन’ करवाते हैं।
भाजपा की केन्द्र सरकार में नरेन्द्र मोदी का पिछले दो साल में गुजरात प्रेम ही नजर आ रहा था। गुजरात कैडर के अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय की कमान सम्भाले, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात विधानसभा के चुनावों में मोदी के चाणक्य ओम माथुर, बिहार-यूपी चुनाव की बागडोर में अग्रणी। लेकिन पहली बार मंत्रिमण्डल विस्तार में लगा कि 19 चेहरों का चयन ईमानदार, सेवा का समर्पण, उच्च शिक्षा के साथ अपने मंत्रालय के प्रति राष्ट्रीय स्तर की सोच के धनी भी हैं।
केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी का पहला मंत्रालय कानून इनके पेशे से जुड़ा है तथा अब तक नरेन्द्र मोदी की नजदीकियों का मुख्य स्रोत कानूनी पेचिदकीयों में सफलता वाले सुझाव और कानूनविद होने के नाते ही भारतीय संसद का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपने प्रतिनिधित्व भी किया, लेकिन इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी जैसा मंत्रालय जिसमें पी.पी. चौधरी के मोबाइल पर इंटरनेट और वाट्सएप भी निजी सचिव संभालते हैं ऐसे मंत्रालय के बारे में शपथ लेने के चार दिन बाद पत्रकारों को देश के ग्रामीण परिवेश को आधुनिक एवं नवीन संचार तकनीक से जोड़ने की भावी योजनाएं सिर्फ प्रभावित ही नहीं बल्कि आश्चर्यचकित करने वाली थी।
कल तक जवाई पुनर्भरण, पाली की प्रदुषण, सिवरेज और पेयजल की समस्याओं पर केन्द्र से मदद की बातें करने वाले नवनियुक्त केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी के इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी मंत्रालय की भावी योजनाओं पर सरकारी अधिकारियों के आंकड़ेबाजी वाले बयानों से दूर एकदम सरल भाषा में ग्रामीणों के लिए कॉमन सर्विस सेन्टर (सीएससी) तथा शहरों में वाईफाई की योजनाओं से पाली के सांसद सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सोच के धनी दिखाई दिये।

...‘अपणायत’ की सलाह

केन्द्रीय मंत्री पी.पी. चौधरी के शुभचिन्तकों की ‘अपणायत’ भरी सलाह है कि अब आप पाली के विधायकों, मंडल अध्यक्षों, राजनीतिक नियुक्तियों और छोटे-बड़े विवादों से पल्ला झाड़ कर ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ नीति पर सभी विधानसभा क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता देकर अब तक दूर रहे नेताओं को भी गले लगा लें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपकी काबिलियत को सम्मान देकर दो-दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी है। आपके शुभचिन्तक चाहते हैं कि आप पाली की ‘पंचायती’ से तटस्थ होकर देश सेवा के साथ पाली लोकसभा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में बिना भेदभाव के केन्द्र का धन सभी विधानसभा क्षेत्रों में लगाऐं और पाली लोकसभा क्षेत्र की जनता, विधायकों और जनप्रतिनिधियों को बाध्य कर देवें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में आप बिना एक भी मीटिंग लिये या बिना गांवों के दौरे किये दिल्ली में बैठकर पाली लोकसभा क्षेत्र से निर्विरोध या ऐतिहासिक मतों से चुनाव जीत कर दोबारा लोकसभा में प्रवेश कर अगली सरकार में केबिनेट मंत्री की शपथ लेकर पाली लोकसभा क्षेत्र को गौरवान्वित होने का मौका देवें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Tuesday, July 5, 2016

चुनाव यूपी में : मंत्रियों की सौगात राजस्थान को


चुनाव यूपी में : मंत्रियों की सौगात राजस्थान को

अब्दुल सत्तार सिलावट

भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में राजस्थान से चार नये मंत्री लिये गये हैं जबकि यूपी चुनाव की तैयारी के बावजूद उत्तर प्रदेश से मात्र तीन मंत्रियों को ही मोदी जी ने अपनी टीम में शामिल किया है।
सोमवार की रात तक 18 मंत्रियों की लिस्ट में 19वां नाम नागौर सांसद सी.आर. चौधरी का जोड़कर मोदी जी ने एक ही समाज के दो मंत्री लेकर देश को संदेश दिया है कि सरकार में जनसेवा और काबिलियत को प्राथमिकता दी जा रही है। जातियों और क्षेत्रियता का कांग्रेसी ‘स्टाईल’ में समीकरण नहीं बनाया जा रहा है।
मंत्रियों के ‘प्रमोशन’ में प्रकाश जावड़ेकर ने बाजी मारी, वहीं पहली बार सांसद बने पाली के पी.पी. चौधरी ने मात्र दो साल में साबित कर दिया कि छोटे से गांव भावी (जोधपुर, राजस्थान) से वाया जोधपुर-पाली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तित्व में देश के विकास को नई दिशा देने का ‘विजन’ है। इसी ‘तड़प’ को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाली के सांसद पी.पी. चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल किया है।
आजादी के बाद पाली लोकसभा क्षेत्र से कुशल राजनीतिज्ञ मूलचन्द डागा, विधिवेता गुमानमल भंसाली, उद्योगपति सुरेन्द्र कुमार तापड़िया, इंदिरा गांधी के खिलाफ आपातकाल में फिल्म निर्माता (किस्सा कुर्सी का) अमृत नाहटा जैसे सांसद तो मिले, लेकिन राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ वाले माईक पर किसी का नाम नहीं पुकारा गया और इस परम्परा को 5 जुलाई 2016 को 11ः36 बजे संसद के गलियारों से लेकर नरेन्द्र मोदी, अमित शाह टीम में अपनी योग्यता का परचम फहरा चुके पाली सांसद पी.पी. चौधरी ने ‘ईश्वर के नाम शपथ लेकर’ नया अध्याय जोड़ा है।
जाट आरक्षण की आग में झुलस रहे हरियाणा के साथ भरतपुर में जाट आरक्षण आन्दोलन का नया परचम फहराया गया। जाटों में आनन्दपाल की गिरफ्तारी और हाल में बाड़मेर में पुलिस फायरिंग में हत्या के बाद जाट-राजपूतों में सोशल मीडिया पर ‘टिप्पणी स्पर्धा’ को भी दो ‘चौधरी, जाट, सीरवी, पटेल, पीटल’ समाज के केन्द्र सरकार में मंत्री बनने से शांति और आपसी सौहार्द का वातावरण बनाने में मानसिक संतुष्टि के साथ सरकार को सहयोग भी मिलेगा।
भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का राजस्थान की ओर विशेष आकर्षण का एक कारण यह भी है कि देश में पहला प्रदेश राजस्थान है जहाँ पूरे 25 सांसद और सभी 12 राज्यसभा सदस्य भारतीय जनता पार्टी के हैं। राजस्थान इतना बड़ा प्रदेश होने के बावजूद भी भाजपा काबिज है जबकि अन्य उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, एवं स्वयं प्रधानमंत्री का प्रदेश गुजरात भी इन आंकड़ों से दूर है।

राजस्थान, एमपी सरकारें मोदी ‘गुड बुक्स’ में नहीं 
राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में जब राजस्थान और मध्य प्रदेश के मंत्री शपथ ले रहे थे तब राष्ट्रीय टीवी न्यूज़ चैनल शपथ ग्रहण का सीधा प्रसारण दिखाने के साथ जो टिप्पणियां कर रहे थे उनमें राजस्थान और मध्य प्रदेश के मंत्रियों को वहां की सरकारों के मुख्यमंत्री खैमे से दूर बताया जा रहा था।
टीवी न्यूज़ चैनलों में सरकारों पर ‘सटीक’ टिप्पणी करने के लिए प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय न्यूज़ चैनल ने राजस्थान के नये मंत्रियों को मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के विरोधी टीम के नाम से टिप्पणी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की मौजूदा सरकारों को सीधा ‘मैसेज’ दिया है।

‘लेफ्ट हैंड’ पी.पी. चौधरी
भारतीय वास्तु एवं दुनिया के समझदार लोगों में माना जाता है कि ‘लेफ्ट हैंड’ से लिखने-पढ़ने वाले लोग विशेष प्रतिभा के धनी होते हैं। अमेरिका के सफल राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, निक्सन, कैनेडी और मौजूदा राष्ट्रपति ओबामा भी लेफ्ट हैंड हैं। सऊदी अरब के शेख सुल्तान, दुबई शेख मोहम्मद एवं अब हमारे नये मंत्री पी.पी. चौधरी भी लेफ्ट हैंड हैं। राष्ट्रपति भवन में शपथ के बाद रजिस्टर में दस्तखत लेफ्ट हैंड से किये हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Friday, July 1, 2016

सालोदिया की टोपीः मीणा की ताजपोशी में सहायक



सालोदिया की टोपीः मीणा की ताजपोशी में सहायक

अब्दुल सत्तार सिलावट

राजस्थान में पिछले एक दशक में कई बार ऐसे अवसर देखने को मिले जब मंत्रिमण्डल विस्तार की खबरों के चलते कई वरिष्ठ विधायक स्वयं का नम्बर लगने की तैयारी में नया बंद गले का सूट और सूट के साथ शपथ ग्रहण समारोह के समय सर पर राठौड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती के साफे अपनी निजी कार की डिक्की में बंधवाकर तैयार रखते देखे गये थे, लेकिन इस बार ‘ब्यूरोक्रेट्स’ मुख्य सचिव की ताजपोशी में 29 जून की रात से 30 जून की दोपहर तक बधाईयों की फोन लिस्ट में हर दो-चार घंटे में नाम बदलते रहे और अंत में अप्रत्याशित नाम पर ‘ताजपोशी’ की रस्म अदायगी कर मुख्य सचिव की दौड़ से दूर ओ.पी. मीणा को राजस्थान का ‘सरताज’ स्वीकार कर लिया गया।
आजादी के बाद पहली बार एसटी वर्ग को राजस्थान का मुख्य सचिव बनाकर जो संदेश सरकार दे रही है इसकी नींव में पूर्व आईएएस उमराव सालोदिया ने आहुति दी है और भले ही सालोदिया सफल नहीं हुए लेकिन उनकी टोपी आज ओ.पी. मीणा की ताजपोशी में अहम भूमिका निभा गई। अब तक सचिवालय के प्रमुख शासन सचिव पदों से दूर निदेशक, आयुक्त, राजस्व मंडल में सेवा दे रहे ‘वर्ग’ के अधिकारियों में आत्मविश्वास पैदा हो गया है कि ‘अगर सच्चे मन से पत्थर उछालेंगे तो आसमान में भी छेद कर सकते हैं’ और ऐसा कर दिखाया जनपथ के हाऊसिंग बोर्ड भवन से सचिवालय के मुख्य सचिव तक पहुंचकर ओ.पी. मीणा ने इस मुहावरे को सच कर दिया।
मुख्य सचिव पद पर ओ.पी. मीणा के पहुंचने पर राजस्थान में अनुसूचित और जनजाति के उच्च पदों पर बैठे विशिष्ठजनों को भी याद किया गया जिसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, आरपीएससी के ललित के. पंवार, राज्य निर्वाचन आयोग के राम लुभाया के साथ ही हाल के राज्यसभा चुनावों में राजकुमार वर्मा को अनुसूचित कोटे से सांसद बनाकर राज्यसभा में भेजा गया है।
मुख्य सचिव ओ.पी. मीणा की ताजपोशी के कुछ घंटों बाद ही प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों में लगभग दो दर्जन आईएएस एवं चार दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों का फेरबदल कर राजस्थान के विकास को नई गति देने का संकेत दिया है। मुख्य सचिव की दौड़ से बाहर हो गये वरिष्ठ अधिकारियों को भी ‘अच्छी’ पोस्टों से हटाकर ‘और अधिक अच्छी’ पोस्टों पर नियुक्ति दी गई तथा पिछले कुछ समय से भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियान चला रहे पुलिस अधिकारियों को भी तत्काल फेरबदल की सूचि में नई पोस्टों पर तैनात कर मुख्य सचिव ने राजस्थान में विकास की नई गति के संकेत दिये हैं।

दिल्ली के नजीब जंग को याद किया

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मुख्य सचिव की नियुक्ति को दिल्ली सरकार और नजीब जंग की ‘जंग’ की स्थिती से तुलना करते हुए कहा कि ऐसी स्थिती भी राजस्थान में पैदा हो सकती है। जबकि ओ.पी. मीणा की नियुक्ति में मौजूदा सरकार की मुख्यमंत्री से लेकर वरिष्ठ मंत्रियों तक में अब तक कोई विरोध नजर नहीं आया है। मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल अधिकारियों की नाराजगी भी स्थाई नहीं होती है। थोड़े दिनों में सब कुछ ‘नॉर्मल’ हो जाता है।

फाइलों का ‘मार्ग बदलेगा’?

मुख्य सचिव की दौड़ में लगे अधिकारियों की काबिलियत पर टिप्पणी में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि अधिकारी सभी भले हैं कोई भी मुख्य सचिव बन जाये, लेकिन सरकार की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री का संकेत है कि मुख्य सचिव तो केवल ‘पद’ है असली सरकार और आदेश तो ‘सीएमओ’ से ही चलते हैं। उनका अभिप्राय था कि नये मुख्य सचिव बनने के बाद सचिवालय की फाइलों का ‘मार्ग’ बदलकर पहले मुख्य सचिव कार्यालय जायेगी या परम्परानुसार सीएमओ से ही फैसले होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)