Saturday, August 20, 2016

राजस्थान की ‘डायनामिक’ महिला मुख्यमंत्रीः सुमित्रा

ब्रिक्स महिला सांसदों के मंच का दो दिवसीय सम्मेलन

राजस्थान की ‘डायनामिक’ महिला मुख्यमंत्रीः सुमित्रा

अब्दुल सत्तार सिलावट
जयुपर। ब्रिक्स देशों की महिला सांसदों के मंच के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के इस समारोह के आयोजन के लिए जयपुर से अच्छा कोई स्थान नहीं हो सकता था और खुशी एवं गर्व की बात है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री भी ‘डायनामिक’ महिला श्रीमती वसुन्धरा राजे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष महाजन ने अपने भाषण के आरम्भ में मंच पर बैठे अतिथियों के नामों के सम्बोधन में भी श्रीमती वसुन्धरा राजे को राजस्थान की ‘सक्सेफुल’ (कामयाब) मुख्यमंत्री के अलंकरण के साथ सम्बोधित किया।
ब्रिक्स देशों की महिला सांसदों के सम्मेलन के लिए चार देश ब्राजील, रूस, चीन, साऊथ अफ्रीका के अलावा भारत की संसद में विभिन्न प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर रहीं 28 सांसदों ने भाग लेकर महिलाओं को सभी क्षेत्रों में बराबर की भागीदारी के साथ संसद में भी स्थान बढ़ाने पर विचार किया।
ब्रिक्स सम्मेलन के प्रतिनिधि देशों एवं सांसदों के स्वागत सम्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2030 ‘मिलेनियम डवलेपमेंट गोल’ लक्ष्य को हासिल करने के लिए महिलाओं के लिए समानता जरूरी है। आपने कहा कि दुनिया की राजनीति में महिलाएं सक्रिय जरूर है लेकिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोके बिना मानव अधिकारों की रक्षा अधूरी ही साबित होगी।
दक्षिणी अफ्रीका की कुमारी टी. आर. मोडिसा ने कहा कि हमें ब्रिक्स में इस बात पर निर्णय एवं विचार करना चाहिये कि महिला सशक्तिकरण पर कैसी योजनाएं बने। मोडिसा ने कहा कि महिलाओं की राजनीति, अर्थव्यवस्था और शासन में पर्याप्त भागीदारी नहीं है।
कुमारी मोडिसा ने कहा कि महिलाओं के विकास पर सिर्फ ‘कांफ्रेन्स’ करने से ‘मजबूती’ नहीं आएगी। ब्रिक्स को महिलाओं को संगठीत करने, समझाईश कर आधुनिक दुनिया में प्रवेश करवाना चाहिये।
ब्रिक्स सम्मेलन में ब्राजिल से 5, रूस से तीन, साऊथ अफ्रिका से चार, चीन से दो महिला सांसदों के साथ भारत की 28 सांसदों ने हिस्सा लिया। भारतीय संसद की मिनाक्षी लेखी, पूनम महाजन, कुमारी सैलजा, सुप्रिया सुले, संतोष अहलावत एवं जया बच्चन परिचित चेहरों में से थी।

...कौन रोकेगा हमें

ब्रिक्स सम्मेलन के आरम्भ में भारत की आजादी से लेकर अब तक राजनीति, खेल, सेना, सामाजिक क्षेत्र सभी में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक गीत ...कौन रोकेगा हमें की मधुर धुनों पर स्क्रीन पर हर क्षेत्र में प्रसिद्ध महिलाओं के फोटो लगाकर फिल्मांकन किया गया।
देश की प्रसिद्ध महिलाओं के बीच राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की फोटो स्क्रीन पर आते ही पूरा सदन तालियों से गूंज उठा जब कि पूरे गाने को विधानसभा के प्रेस दिर्घा पर लगे बड़े स्क्रीन पर मुख्यमंत्री राजे एवं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ‘एक-टक’ देख रही थीं।

ब्रिक्सः सभी देशों की भाषा में प्रसारण

ब्रिक्स सम्मेलन में आये चारों देशों की स्थानीय भाषा के साथ इंग्लिश एवं हिन्दी में सम्मेलन की कार्यवाही एवं अतिथियों के सम्बोधन को प्रसारित किया जा रहा था।
विधानसभा की पत्रकार दिर्घा के पास वाली गैलेरी में ‘दुभाषियों’ के लिए विशेष कक्ष बनाकर ब्रिक्स देशों के सहभागी देशों रूस, चीन, साउथ अफ्रीका की स्थानीय भाषा के साथ हिन्दी-अंग्रेजी में पूरी कार्यवाही प्रसारित की गई।
‘मल्टी-लेंग्वेज’ सुविधा की जानकारी के लिए विशेष पत्र विधानसभा में प्रतिनिधि महिला सांसदों की टेबल पर रखे गये थे और कौन से नम्बर पर कौनसी भाषा उपलब्ध है नम्बर दिये गये थे।

Monday, August 15, 2016

जय जय जय राजस्थान...


जय जय जय राजस्थान...

अब्दुल सत्तार सिलावट
प्रधान सम्पादक, दैनिक महका राजस्थान

अजमेर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने सम्भाग मुख्यालयों पर राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस आयोजनों की श्रंखला में अजमेर के पटेल स्टेडियम में अपने दूसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को गत सप्ताह भारी बारिश के बाद खुली सुबह की सुहावनी धूप में शुरु कर पिछली कांग्रेसी सरकार की आलोचना और विकास में पिछड़े राजस्थान की सत्ता सौंपने के ‘उलाहनों’ के साथ 38 मिनट के भाषण में कई बार गगनचुम्बी तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।
कौमी एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द के बीच राजस्थान में दूसरे कार्यकाल के मध्यान्तर तक मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे हर आम सभा में आपसी भाईचारे का संदेश देती रही हैं और आज तीर्थराज पुष्कर एवं ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी अजमेर में देश भर से आने वाले जायरिनों के लिए सुविधाओं की घोषणाओं के बीच आजादी की 70वीं वर्ष गांठ मनाई गई।
तिरंगे के साये में मुख्यमंत्री राजे ने अपनी बात आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी के साथ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का श्रद्धांजलि देते हुए शुरु की तथा प्रदेश में भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल की उपलब्धियों के साथ नई विकास योजनाओं की घोषणाओं से स्टेडियम जय जय राजस्थान के नारों से गूंजता रहा।
आजादी के 70 वें समारोह में मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्कूली बच्चों द्वारा गाया ‘सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दुस्तां हमारा’ रहा। इस गीत में बच्चों द्वारा बनाये तिरंगे में केशरिया, हरी जैकेट और सफेद कुर्ता पायजामा गीत की भावना को पेश कर रहे थे। राजस्थान पुलिस के जवान अब तक मोटर साइकिल पर करतब दिखाकर तालियां बटोरते रहे हैं लेकिन इस बार महिला पुलिस ने मोटर साइकिल पर ऐसी प्रस्तुतियां दी कि पूरा स्टेडियम दांतों तले अंगुलियां दबाता आश्चर्यचकित रह गया। अजमेर के लोक नृत्य ‘चरी ठांस’ भी प्रसंशनीय रहा।
मुख्यमंत्री राजे ने भारतीय प्रशासनिक एवं भारतीय पुलिस सेवा के साथ राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों को अच्छी सेवाओं के लिए पुरुस्कृत किया। राष्ट्रपति पुरुस्कारों में जीवन रक्षा, नीरता, विशिष्ठ सेवा के लिए नौ लोगों को तथा 38 लोगों को राज्य स्तर की सेवा के लिए सम्मानित किया गया।

पाली का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान


पाली का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान

पाली कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने मनरेगा योजना की क्रियान्विती में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पाली जिले के साथ राजस्थान सरकार का गौरव बढ़ाया है। नौजवान पाली जिला कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की पेयजल योजना जल स्वावलम्बन को विशेष रूप से ग्रामीण सरपंचों, प्रधानों के सहयोग से पूरे जिले में लागू करवाकर आमजन को लाभान्वित किया है।
विगत सप्ताह तेज वर्षा से पाली शहर की बिजली, बस्तियों एवं आवासीय कोलोनियों में सीने तक पाली भराव एवं आसपास के गांवों में पानी के बीच फंसे लोगों को सेना एवं बाढ़ राहत दलों के सहयोग से बचाने के साथ बस्तियों से पानी निकासी के लिए दिन रात स्वयं मौके पर दौड़ दौड़ कर राहत एवं बचाव कार्यों में लगे दलों को प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्री राजे द्वारा पाली जिला कलेक्टर कुमारपाल गौतम को सम्मानित करने की विशेष योग्यता में जिले की कानून व्यवस्था बनाये रखने का उल्लेख भी किया।

राजस्थान को देश विदेश में चमकाया


राजस्थान को देश विदेश में चमकाया

नई दिल्ली के बीकानेर हाऊस में राजस्थान सूचना केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक गोपेन्द्र नाथ भट्ट विगत इक्कीस वर्षों से गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थानी लोक नृत्य एवं राजस्थानी जन जीवन की झलकियों को शामिल करवाते रहे हैं। साथ ही देश-विदेश में राजस्थान की झीलों, पर्यटन स्थल, वन एवं पर्यावरण की प्रगति को पहुंचाते रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों के दिल्ली दौरों के समय राष्ट्रीय टीवी न्यूज चैनलों के साथ राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं मैग्जीनों में विशेष कवरेज दिलवाने में भी राजस्थान सूचना केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक गोपेन्द्र नाथ भट्ट का ही प्रयास होता है।
संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट के पास सभी सुविधाओं वाले राजस्थान सूचना केन्द्र में राष्ट्रीय स्तर के न्यूज चैनलों के प्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ पत्रकारों से मधुर सम्बन्धों के कारण गोपेन्द्र नाथ भट्ट राजस्थानी संस्कृति एवं राजस्थान के नेताओं की दिल्ली में बैठकर विशेष कवरेज करवाने के साथ राजस्थान सरकार की नई एवं जनहित की योजनाओं की उपलब्धियों को भी राष्ट्रीय टीवी चैनलों एवं समाचार पत्रों में विशेष स्थान दिलवाते रहते हैं।

कुम्पावत बंधुओं को राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक


कुम्पावत बंधुओं को राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक 

पाली के कुम्पावत बंधु कुलदीप सिंह कुम्पावत तथा ऋषिपाल सिंह कुम्पावत को अजमेर के पटेल स्टेडियम में राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक से सम्मानित करने के लिए जब घटना का विवरण पढ़ा गया तब स्टेडियम में चारों और तालियों से स्वागत किया गया तथा विशिष्ठ दिर्घा में बैठे सैकड़ों लोगों ने खड़े होकर कुम्पावत बंधुओं के साहस को सम्मान दिया।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने दोनों साहसी भाइयों को राष्ट्रपति पदक देने के बाद साथ खड़े रखकर सम्मानित किया तथा कुम्पावत बंधुओं के घटना विवरण पढ़े जाने पर लुटेरों द्वारा फायरिंग के बाद भी संघर्ष कर जेवरों से भरे बैग को गोली लगने के बाद भी लुटेरों से छिनने पर आश्चर्य भाव प्रदर्शित किये।
उल्लेखनीय है कि कुम्पावत बंधुओं ने पाली शहर में दिसम्बर 2014 में दीपक सोनी पर लुटेरों द्वारा फायरिंग कर सोने-चांदी के जेवरात से भरा बैग लेकर भागते समय दोनों भाइयों ने उन्हें रोका, बैग छीना इस बीच लुटेरों ने कुम्पावत भाइयों पर भी फायरिंग की थी तथा घायल होने के बाद भी जेवरात का बैग लुटेरों से संघर्ष कर छिन लिया था।

Tuesday, August 2, 2016

मुस्लिम बेटीयां भी उच्च शिक्षा तक जाएं


बाड़मेर का दारूल ऊलूम गुलशन-ए-ख़दीज़तुल कुबरा

मुस्लिम बेटीयां भी उच्च शिक्षा तक जाएं

अब्दुल सत्तार सिलावट
भारत का मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है इसलिए देश की तरक्की की दौड़ में अंतिम पंक्ति में दिखाई देता है। इस बात को पिछले 70 साल से देश के राजनेता कहते आ रहे हैं और अब बड़े शहरों के सम्पन्न परिवारों के लड़के कॉलेज, विश्वविद्यालय में दिखाई देने लगे हैं। लेकिन हम राजस्थान के डेजर्ट क्षेत्र बाड़मेर में मुस्लिम महिला शिक्षा में पूरे देश के लिए ‘मॉडल’ बने दारूल ऊलूम गुलशन-ए-ख़दीज़तुल कुबरा की कामयाबी को आप तक पहुंचा रहे हैं।
मौलाना मीर मोहम्मद अकबरी। एक साधारण व्यक्तित्व। एक दशक तक पाली जिले के छोटे से आदिवासी क्षेत्र में बसे गाँव बेड़ा में मस्जिद में इमामत के साथ बच्चों को दीनी तालीम देकर जब वापस अपनी सरज़मीं बाड़मेर पहुंचे तब उन्होनें मुस्लिम बच्चीयों की दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम की सोच के साथ केवल सात बच्चीयों को लेकर आवासीय मदरसा शुरु किया। जहां आज पश्चिमी राजस्थान के चार जिलों जैसलमेर, जोधपुर, नागौर और बाड़मेर के छोटे-छोटे गाँवों की अंतिम छोर पर गरीब मुस्लिम परिवारों की 147 लड़कियां दीनी तालीम के साथ आठवीं बोर्ड एवं दसवीं बोर्ड तक शिक्षा ले रही हैं।
बाड़मेर में दारूल ऊलूम गुलशन-ए-ख़दीज़तुल कुबरा बालिका आवासीय मदरसा राजस्थान सरकार के मदरसा बोर्ड में पंजीकृत है तथा किराये के मकान से 2009 में शुरू कर आज विशाल भवन में प्रत्येक दस छात्राओं पर एक स्टाफ के साथ कौमी इमदाद से चल रहा है। मदरसे में आधुनिक आवासीय सुविधा के साथ खाना पीना एवं शिक्षा पूर्ण रूप से निःशुल्क है।
दारूल ऊलूम के संस्थापक मौलाना मीर मोहम्मद अकबरी बताते हैं कि अपने माँ-बाप से दूर रहकर शिक्षा ले रही छात्राओं को घर जैसा प्यार और माहौल मिले इसलिए शिक्षण स्टाफ में दो जोड़े पति पत्नि भी है जो छात्राओं की शिक्षा के साथ उनकी निजी जरूरतों का भी ध्यान रखते हैं।
दारूल ऊलूम मुस्लिम महिला शिक्षा में देश भर में ‘मॉडल’ के रूप में पहचान बना रहा है जहां पिछले दिनों राजस्थान सरकार के मदरसा बोर्ड की चेयरपर्सन मेहरून्निशा ख़ान ने छात्राओं की प्रतिभा, शिक्षकों के समर्पण की प्रशंसा करते हुए छात्राओं को आधुनिक शिक्षा में प्रोत्साहन हेतु पाँच कम्प्यूटर देने की घोषणा भी की थी।

लड़कियां भी तालीम में बुलंदी छुए-मौलाना

दारूल ऊलूम के संस्थापक मौलाना मीर मोहम्मद अकबरी कहते हैं कि इस्लाम में औरत-मर्द को तालीम, ईबादत और ख़िदमत में बराबर के हक दिये गये हैं फिर हमारी बेटीयां मदरसे से दीनी तालीम या सरकारी स्कूल की पाँचवीं कक्षा तक पढ़ने के बाद घर की चार दीवारी में कैद क्यों हो जाये। उन्हें भी कॉलेज, विश्वविद्यालय तक पढ़ने का मौका मिलना चाहिये।
मौलाना अकबरी बताते हैं कि शहरों और कस्बों से दूर गाँवों में गरीबी, बेरोजगारी से जूंझ रहे मुस्लिम परिवारों की बेटीयों के उच्च शिक्षा के सपनों को साकार करने का हमारा मिशन दारूल ऊलूम की स्थापना करना है जिसे कौम की ईमदाद से चलाकर किराये के एक कमरे से आज संस्था के स्वयं के विशाल भवन तक पहुँचे हैं।