चीन की सरकार का रोजा रखने पर प्रतिबंध
अब्दुल सत्तार सिलावट
दुनिया में मात्र चीन एक ऐसा देश है जो माहे रमज़ान में अपने देश के मुसलमानों को रोजा नहीं रखने का आदेश देता है। रोजा रखने पर प्रताड़ित करता है। माहे रमज़ान में मुसलमानों को दिन में भी खाने पीने की होटलों को खुला रखने और मुस्लिम होटलों में माहे रमज़ान में भी खाने के साथ शराब परोसने का ‘आदेश’ देता है। ऐसा नहीं करने वाले मुसलमानों की होटलों के लाइसेंस रद्द कर दिये जाते हैं, उन्हें आर्थिक दण्ड दिया जाता है ऐसा आदेश कोई एक-दो साल से नहीं है और यह भी छुपाकर नहीं। यह सब चीन की सरकार वर्षों से कर रही है। हर साल रमज़ान में चीनी सरकार द्वारा मुसलमानों पर रोजा नहीं रखने और मुस्लिम होटलों में शराब परोसने के आदेश की खबरें पूरी दुनिया में छपती है, उसके बाद भी चीनी उत्पादों का सबसे बड़ा मार्केट मुस्लिम देश सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, दुबई, शारजाह, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और खाड़ी के सभी देश हैं जहां चीन की बनी टोपी पहनकर, चीन की बनी ‘जा-नमाज़’ (मुसल्ला) पर सजदे कर दुनिया भर के मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं।
सऊदी अरब में हर साल हज पर आने वाले दुनिया भर के तीस लाख से भी अधिक मुसलमान चीन के बने करोड़ों के सामान लेकर अपने देश जाते हैं, जिसमें मुसल्ले, टोपी के अलावा चीन की बनी ‘तस्बीह’ (मोतियों की माला), कपड़े, बच्चों के खिलौने, टॉर्च, इलेक्ट्रोनिक सामान भी साथ लेकर जाते हैं। चीन की अर्थव्यवस्था, चीन की इंडस्ट्रीज और चीन की दुनिया को ‘आँख’ दिखाने की ताकत का मूल स्रोत दुनिया भर के मुस्लिम देश हैं और सभी मुस्लिम देश इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि चीनी सरकार अपने देश के मुसलमानों को रमज़ान में रोजे नहीं रखने देती है और मुस्लिम होटलों पर रमज़ान में खाने-पीने के सामान के साथ शराब परोसने पर भी मजबूर करती है।
दुनिया के 55 मुस्लिम देश जिनकी सीमाएं चीन से नहीं जुड़ी हैं। जिनकी कोई मजबूरी नहीं है, वे भी चीन को मुसलमानों के शोषण से रोकने के लिए आगे नहीं आते हैं। क्या चीन की ताकत रूस और अमेरिका से भी अधिक मान ली गई है या चीन से कोई पंगा नहीं लेना चाहता है।
चीनः रूस और अमेरिका से बड़ा है क्या?
सऊदी अरब के शेख, राजा। मस्जिद में अज़ान होने पर एयरपोर्ट पर अमेरिका के राष्ट्रपति से हाथ मिलाना छोड़ पहले नमाज़ अदा करने जाते हैं। कुवैत, इराक, सीरिया में बेगुनाह मुसलमानों को बचाने के लिए अमेरिकी, रूस और फ्रांस को हवाई हमलों के लिए आर्थिक मदद देने को तैयार रहता है। वहीं सऊदी अरब चीनी सरकार द्वारा चीन के मुसलमानों पर रमजान में रोजा नहीं रखने और मुस्लिम होटलों में खाने के साथ शराब परोसने के सरकारी आदेश के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाता है? सऊदी अरब मुस्लिम देशों को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का ‘फतवा’ जारी क्यों नहीं करता है।
चीनः हाय रे, ये मजबूरियां
हमारी आजादी के बाद पहला दोस्ती का हाथ चीन ने बढ़ाकर 1962 में हमें धोखे में रखकर हमारी उत्तरी सीमाओं पर हमला कर हमारी तरक्की को एक दशक पीछे धकेला। आजादी के 70 साल बाद भी हम उसी चीन से दोस्ती कर पड़ौसी से अच्छे रिश्तों का परिचय देने में पिछले दो साल से मोदी सरकार के प्रयासों को देख रहे हैं, लेकिन चीन अब तक भारत को अपनी ओर से ‘दोस्तों’ की लिस्ट में शामिल नहीं कर पाया है इसका पक्का सबूत हाल ही में एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) की सदस्यता के लिए विरोध नहीं करने की खुल कर अपील के बाद भी चीन ने अपना रूख नहीं बदला और दो कदम आगे बढ़कर पाकिस्तान को भी एनएसजी में सदस्य बनाने की वकालत कर डाली।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति से रूस की धरती पर ताशकन्द सम्मेलन में अलग से सिर्फ एनएसजी पर समर्थन के लिए बैठक कर पूरी दुनिया को दिखा दिया कि हम चीन से सहयोग मांग रहे हैं। दूसरी ओर हमारे वित्त मंत्री अरुण जेटली पाँच दिन की यात्रा पर चीन गये और इसी दौरे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चीन में मौजूद रहीं। इतने प्रयासों के बावजूद चीन ने हमारी सदस्यता के लिए समर्थन तो दूर की बात विरोध का स्वर भी बंद नहीं किया।
आजकल सोशल मीडिया पर चीन के एनएसजी विरोध को लेकर बहुत सी प्रतिक्रिया प्रबुद्ध नागरिकों की आ रही है उनमें एक सुझाव चीन से आ रहे कुड़े, कबाड़े जैसे सामान जिनमें खिलौने, घड़ियां, कैमरे, एम्ब्राइडरी मशीनरी, टायर और बहुत सी ऐसी सामग्री जिसके पीछे हमारी मानसिकता ‘यूज एण्ड थ्रो’ जैसी हो गई है, ऐसे सामान पर रोक लगनी चाहिये। भारत दुनिया का सबसे बड़ा ‘कन्ज्यूमर’ मार्केट है। जहां कोई भी देश प्रवेश कर अपना सामान बेचकर अपने देश की अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ कर देता है।
सोशल मीडिया के सुझावों में बहुत दम है। भारत सरकार को एक बार ऐसा निर्णय लेकर चीन के घमण्ड को तोड़ने का प्रयास करना चाहिये। ऐसे निर्णय से चीन की हठधर्मिता पर ब्रेक तो लगेगा ही हमारे देश के बहुत से छोटे-मोटे कुटीर उद्योग जिनको चीनी सामान ने बंद कर रखा है पुनः शुरु होकर देश में रोजगार के साथ आर्थिक मजबूती भी देंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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