Wednesday, June 29, 2016

महारानी जीः रूस से डेयरी तकनीक भी लावें


महारानी जीः रूस से डेयरी तकनीक भी लावें

अब्दुल सत्तार सिलावट

राजस्थान में सड़कें, चिकित्सा, शिक्षा और जल संसाधन में वसुन्धरा सरकार तेज गति से आगे बढ़ रही है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा, कृषि में भी विकास की दौड़ जारी है। अब एक क्षेत्र बचा है ‘श्वेत क्रांति’। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगी डेयरियों के मालिक, किसान परेशान है, संघर्ष कर रहे हैं। जबकि आपकी सरकार का डेयरी विभाग सरस के नाम पर सस्ता दूध खरीदकर आपकी जनता को महंगा बेचकर करोड़ों रूपये का लाभ कमा रहा है।
राजस्थान में आम आदमी पेयजल के संकट से जूंझ रहा है वहीं दूध उत्पादक डेयरी का किसान गाय-भैंसों को महंगा चारा, कुट्टी, पशु आहार के साथ टेंकरों का महंगा पानी खरीद कर दूध की मांग पूरी कर रहा है। सरकार की सरस डेयरी किसानों और डेयरी वालों से 32 से 34 रूपया लीटर में दूध खरीदकर ‘गोल्ड’ के नाम से 48 रूपये में बेचती है। सरस दूध को सिर्फ ठंडा कर थैली में पैक करने के बाद 14 से 16 रूपये लीटर कमाता है जबकि किसान और डेयरी चला रहे मालिक पशुओं से अधिक दूध निकालने के लिए ‘इंजेक्शन’ लगाकर पशु शोषण के आरोप से परेशान है।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से अनुरोध है कि जब आप रूस यात्रा पर जा ही रहे हैं तो बाकी उद्योग और विकास योजनाओं के साथ रूस की डेयरी तकनीक को भी राजस्थान में लाने का प्रयास करें। रूस की गाय-भैसों की उन्नत नस्लों और रूस की डेयरी योजनाओं का लाभ राजस्थान के पशु पालकों और डेयरी व्यवसाय से जुड़े किसानों तक पहुँचाकर राजस्थान में एक बार फिर नई ‘श्वेत क्रांति’ शुरु करने का अभियान चलायें।

हमारी नस्ली गायें ‘ब्राजील’ से इम्पोर्ट करते हैंः मेहता

भगवान महावीर विकलांग समिति के संस्थापक एवं एफआईएपीओ के ट्रस्टी डा. डी.आर. मेहता ने बताया कि विश्व में सबसे अधिक दूध देने वाली गाय ब्राजील से भारत में ‘इम्पोर्ट’ की जाती है। जबकि ब्राजील ने गुजरात के ‘गिर’ क्षेत्र से इन गायों की नस्ल को ले जाकर उन्नत किया है।
डा. मेहता ने पशु संरक्षण संगठन एफआईएपीओ द्वारा शहरी क्षेत्र की 49 डेयरियों के किये गये सर्वे पर जारी रिपोर्ट का विमोचन करते हुए कहाकि सरकार को शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में डेयरी विकास के लिए मवेशियों के अधिकारों के उल्लंघन को रोकने, समय पर मवेशियों के स्वास्थ्य जाँच का अभियान चलाना चाहिये।
‘फिएपो’ द्वारा रंगीन फोटो सहित प्रकाशित डेयरी रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ डेयरी केटल-राजस्थान’ में दुधारू पशुओं के साथ मानवीय शोषण के दिल दहलाने वाले फोटो और रिपोर्ट भी आंकडों सहित दी गई है। संगठन की ओर से श्रीमती टिम्मी कुमार ने सरकार से मवेशी संरक्षण कानून को सख्ती से लागू करने की मांग करते हुए कहा कि सर्वे रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को पेश कर डेयरियों में मूक पशुओं के साथ हो रहे मानवीय क्रूरता के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा।
‘फिएपो’ की ओर से सुश्री वर्दा मेहरोत्रा ने बताया कि संगठन द्वारा सर्वे में मुख्य रूप से डेयरी मालिकों का ध्येय मात्र अधिक दूध से रूपया कमाना ही देखा गया है भले ही गाय-भैंस अस्वस्थ हों, बिना सुविधा के कम फेट वाला और रोग ग्रस्त दूध ही देती हो।
‘फिएपो’ ने सरकार से अवैध और बिना पशु सुविधाओं के चल रही डेयरियों को तत्काल बंद करने एवं डेयरी मालिकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।

शहर की डेयरियों से दूध के साथ बीमारियां

भारतीय पशु संरक्षण संगठनों के परिसंघ (फिएपो) की ओर से राज्य के प्रमुख शहरों के साथ गांवों की 49 डेयरियों पर मवेशियों के रख-रखाव, उनके चारा-पानी एवं अन्य सुविधाओं पर सर्वे के बाद दुःखद और चौंकाने वाले तथ्यों को मीडिया के सामने रखते हुए ‘फिएपो’ की ओर से श्रीमती टिम्मी कुमार ने बताया कि छोटे-छोटे कमरों में गाय और भैंसों को छोटी रस्सी से बंाधकर बैठने की जगह नहीं होने के कारण दिनरात खड़ा रखा जाता है। साथ ही अधिक दूध लेने के लिए नियमित रूप से अवैध ड्रग्स ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन का उपयोग कर अप्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाकर मवेशियों की शोषण किया जा रहा है।
श्रीमती टिम्मी कुमार ने बताया कि ‘फिएपो’ के सर्वे में 87 प्रतिशत डेयरियों में मवेशियों को बीमार अवस्था में गन्दगी में ही दिन रात खड़े रखा जाता है। गोबर, मूत्र में मवेशियों के नियमित पड़े रहने से शरीर पर घाव और अंग-भंग होना भी पाया गया। कुमार ने बताया कि शहरी बस्तियों में प्रबुद्ध नागरिकों, सरकार के सक्षम अधिकारियों के बीच पशु संरक्षण नियमों का मजाक उड़ाया जा रहा है।
जयपुर की क्लार्क्स आमेर होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में श्रीमती टिम्मी कुमार ने बताया कि एक स्वस्थ गाय की सामान्य उम्र 25 साल तक होती है जबकि दूध के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अवैध ड्रग्स एवं स्वस्थ वातावरण नहीं मिलने पर पाँच साल में ही गाय अस्वस्थ होकर मर जाती है या फिर उसे बूचड़खाने को बेच दिया जाता है। आपने बताया कि शहरी डेयरियों में दूध के साथ ड्रग्स, अवैध इंजेक्शन की बीमारियां बेची जा रही है। बीमार मवेशियों का दूध पीने से बच्चों में भी कई बीमारियां कम उम्र में ही घर कर लेती है।
‘फिएपो’ की तरफ से सुश्री रूचि मेहता, श्वेता सूद, वर्दा मेहरोत्रा एवं अभिषेक सिंह ने शहरी डेयरियों के मवेशियों पर हो रहे शोषण की विस्तृत जानकारी दी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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