Tuesday, April 14, 2015

देश में एक था भिंडरावाला...

ए.एस. सिलावट                  
एक था भिंडरावाला। कहते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाब की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए संत भिंडरावाला के मार्फत धार्मिक भावनाओं के साथ प्रवेश करने का प्रयास शुरु किया था। भींडरवाला के संत समागम में आने वाले भक्त सैकड़ों से हजारों और फिर लाखों की भीड़ में परिवर्तित हो गये। केन्द्र सरकार ने भक्तों को रेलगाड़ी से समागम स्थल तक जाने में मुफ्त यात्रा के लिए छूट दे दी और पंजाब रोडवेज की बसों की छतों तक भिंडरावाला के भक्तों को रोकने वाला कोई नहीं था। कहते हैं कि भिंडरावाला को संत से महासंत बनाने में इंदिरा गांधी का हाथ था और इंदिरा गांधी के अन्त में ऑपरेशन ब्लू स्टार और भिंडरावाला के भक्तों का हाथ था, यह पूरे देश और दूनिया ने देखा है।
उक्त संस्मरण को याद करने के पीछे मौजूदा माहौल में मोदी सरकार द्वारा इंदिरा जी की भिंडरावाला राजनीति के अनुसरण में भारत के कौमी एकता के सामाजिक बिखराव का भविष्य दिखाई देता है। ईश्वर ऐसा नहीं करे, लेकिन मोदी जी ऐतिहासिक भारी बहूमत से जीतने के बाद लाल किले की प्राचीर से सभी को साथ लेकर भारत के विकास की बात करते हैं, लेकिन पिछले एक साल से मुसलमानों की घर वापसी, नसबंदी, मताधिकार छिनने, लव जेहाद जैसे अभियान में लगे हिन्दू राष्ट्र के निर्माताओं को मौन समर्थन देकर कौन से ऑपरेशन ब्लू स्टार या 'ग्रीन स्टार' की तैयारी कर रहे हैं। इस बात से देश का मुसलमान ज्यादा आशंकित नहीं है बल्कि देश का धर्म निरपेक्ष बुद्धिजीवी हिन्दू और देश की सुरक्षा में लगी सुरक्षा एजेन्सीयां ज्यादा चिंतित हैंं।
मोदी जी और मुस्लिम विरोधी 'शगुफे' छोडऩे वाले इस बात से ज्यादा परेशान दिखाई देते हैं कि हर 'विषबाण' छोडऩे के बाद मुसलमानों की ओर से प्रतिक्रिया कम दिखाई देती है, जबकि टीवी न्यूज चैनलों और अखबारों की परिचर्चाओं में देश का बुद्धिजीवी और स्वयं मोदी जी की पार्टी भाजपा के उदारवादी नेता हिन्दू कट्टरपंथियों के बयानों का विरोध एवं खण्डन करते दिखाई देते हैं। भाजपा के सर्वोच्च पदों पर बैठे पाव दर्जन मुस्लिम नेताओं में नकवी, शाहनवाज और नजमा कहते हैं कि मोदी के मन में मुसलमानों के प्रति विकास की भावना है। मोदी जी कट्टरपंथियों के खिलाफ हैं। मोदी जी सबको साथ लेकर चलने के समर्थक हैं। इन बातों पर मुसलमान या देश का कट्टरपंथी भारतीय कैसे विश्वास करे, जबकि मोदी जी ने अपने केबिनेट में सहयोगी मंत्रीयों या विषबाण छोडऩे वाले तथाकथित धर्मगुरुओं एवं नेताओं की सार्वजनिक रुप से आलोचना भी नहीं की और उन्हें ऐसा करने से रोकने का अब तक एक भी बयान सार्वजनिक रुप से नहीं दिया है। ऐसी स्थिती में मोदी जी पर मौन समर्थन का आरोप अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने मुसलमानों के मताधिकार को खत्म करने के साथ इन दिनों मुसलमानों के हित में बोल रहे औवेसी बंधुओं को 'सपौला' कहा। अब संजय जी को कौन समझाये कि आप जैसे सपेरे बीन बजायेंगे तो सपौले अपने बिलों से निकलकर बाहर आकर मस्ती में झूमेंगे ही। संजय जी अब तक तो एक सपौला दक्षिण के हैदराबाद के बिल से निकला है, लेकिन आप जैसे सपेरे कभी मताधिकार, कभी नसबंदी, कभी घर वापसी और लव जेहाद की बीन बजाते रहेंगे तो मुम्बई के अब्दुल रहमान स्ट्रीट से, दिल्ली की जामा मस्जिद से, लखनऊ की भुल-भुल्लैया से, जयपुर के रामगंज से, भोपाल-पटना और देश के हर हिस्से से ऐसे सपौले निकलने को तैयार बैठे हैं इसलिए आप जैसे सपेरे बेमौसम की बीन बजाना बंद कर देश के विकास, बेरोजगारी और मौसम की मार से परेशान किसान को राहत देने के चिंतन में लगकर अपना राजनैतिक धर्म निभाएं।
मोदी जी पिछले एक साल से दुनिया के शक्तिशाली देशों की यात्रा कर भारत की छवि को विश्व स्तर पर सर्वोच्च राष्ट्र बनाने और भारत के पहले प्रधानमंत्री जिन्होनें सर्वाधिक देशों की यात्राएं की हो ऐसा विश्व रिकार्ड बनाने में व्यस्त एवं सक्रिय हैं तथा प्रभु उन्हें सभी देशों में सफलता एवं सम्मान भी दे रहा है।
देश के सवा सौ करोड़ लोगों को मोदी जी की काबिलियत और ऊपर से दिखाई दे रही कौमी एकता एवं सबको साथ लेकर चलने वाले नारे पर विश्वास भी है, लेकिन क्या मोदी जी को ऐतिहासिक बहुमत देने वाले भारतीयों के विकास के सपनों को मोदी जी के साथ आई गुजराती अधिकारियों की टीम पूरा कर पाएगी? यह गुजराती टीम मोदी जी की विदेश यात्राओं में 'मोदी-मोदी' के नारे लगवाने के मैनेजमेन्ट में तो कामयाब है, लेकिन क्या कश्मीर से कन्या कुमारी तक फैले विशाल भारत की कौमी एकता को एक सूत्र में बांधकर रख पायेगी?
मोदी जी, इंदिरा गांधी देश ही नहीं विश्व स्तर पर कुशल राजनेता की पहचान रखती थीं। उन्होनें एक भिंडरावाला पैदा किया था जिसे आगे बढ़ाते-बढ़ाते इतना आगे बढ़ गया कि उसकी डोर उनके हाथों से ही निकल गई। आप कल्पना कीजिये कि इंदिरा जी 'एक' को नहीं सम्भाल पाईं और आपके चारों ओर रोज एक नया भिंडरावाला पैदा हो जाता है। जब इन्हें जन समर्थन और लाखों कट्टरपंथियों की भीड़ घेर लेगी तब क्या आप इन्हें अपने ओजस्वी भाषण से रोक पायेंगे? मोदी जी आपके हाथों जाने-अन्जाने में देश को ऑपरेशन 'ग्रीन स्टार' की ओर कुछ लोग धकेले जा रहे हैं। फ्रांस, जर्मनी और कनाड़ा यात्रा से लौटकर एक रात आप चिन्तन करें कि देश में चल रहे मुस्लिम विरोधी 'शगुफेबाजी' को रोका जाये या इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाये।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक महका राजस्थान के प्रधान सम्पादक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

मोदी समर्थकों से अनुरोध है कि इस लेख को एक पत्रकार की कलम के चिन्तन के रूप में देखें। लेखक गाँव की चौपाल में बैठा हो या नई दिल्ली के बहादुरशाह जफर मार्ग के किसी गगनचुम्बी इमारत के अंग्रेजी अखबार के एसी चेम्बर में। उसकी कलम जब सत्यता को उजागर करती है तो हमारे नेता 'प्रोस्टीट्यूट्स' जैसे शब्दों तक स्वयं को गिरा देते हैं। यह लेख एक मुस्लिम पत्रकार की कलम से जरूर है, लेकिन मैंने पत्रकारिता का धर्म निभाया है। मैंने किसी 'सपौले' के दिल का दर्द या कट्टरपंथी के बयानों से दूर रहकर मौजूदा हालात में जो दिखाई दे रहा है उसे अपने पत्रकारिता के चालीस वर्षों के अनुभव को सामने रखकर लिखा है। इसलिए इस लेख की गहराई पर चिन्तन करें लेखक के नाम को देखकर 'कलम' की सच्चाई को कम नहीं आंकें। धन्यवाद।

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