Friday, April 10, 2015

गांव की 'डायन' पहुंची राजस्थान विधानसभा में...


ए.एस. सिलावट                                  
राजस्थान के ग्रामीणों, आदिवासियों और पिछड़े क्षेत्रों के भौपों, झाडफ़ूंक करने वालों की चौखट से 'डायन' आज सीधे विधानसभा पहुंच गयी और इस बार डायन को विधानसभा के सदन में प्रवेश दिलवाया मंत्री अनिता भदेल ने। राजस्थान में सतीप्रथा को रोकने का प्रयास तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने किया था और आज मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की प्रेरणा से डायन बताकर गांवों में प्रताडि़त की जा रही गरीब, विधवा और मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं के शोषन को रोकने का विधेयक विधानसभा में पारित किया गया। यह विधेयक सिर्फ डायन शब्द पर कानूनी औपचारिकता ही नहीं है बल्कि 'राजस्थान डायन-प्रताडऩा निवारण विधेयक-2015' को जिस सख्ती से बनाया गया है आज विधानसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के विधायक भी 'डायन बिल' के लागू करने से सम्भावित 'मिस-यूज' को लेकर चिंतित दिखाई दिये।
विधानसभा में महिला विधायकों द्वारा डायन बनाने, प्रताडि़त करने एवं शोषण के लिए पुरूष प्रधान समाज को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया गया, लेकिन डायन बिल पर सबको प्रभावित करने वाली चर्चा सिरोही विधायक एवं देवस्थान राज्यमंत्री ओटाराम देवासी जो स्वयं 'भौपा' जी हैं तथा मुण्डारा अम्बा माता मंदिर के मुख्य संरक्षक भी है। मंत्री देवासी ने समाज में डायन प्रथा को कलंक बताया और कहा कि समाज में अंधविश्वास है तथा डायन नामक कोई शक्ति नहीं होती है। सरकार को डायन प्रथा में महिला उत्पीडन को रोकने के लिए प्रचार-प्रसार और कानून को सख्ती से लागू करना चाहिये।
मेवाड़ के राजसमंद के पास गत दिनों एक महिला को डायन बताकर प्रताडित करने एवं उसकी मौत के बाद सरकार ने डायन प्रथा को गम्भीरता से लिया एवं स्वयं मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने पिछड़े, आदिवासी एवं ग्रामीणों में डायन बताकर बाल काटने, गधे पर बैठाकर घुमाने, नग्न करके घुमाना आम बात हो गयी है तथा सरकार और पुलिस डायन बताकर प्रताडित करने वालों के खिलाफ इसलिए कार्यवाही नहीं कर पाती है की अब तक ऐसी घटनाओं में सैकड़ों लोगो के समूह शामिल देखे गये हैं लेकिन डायन प्रताडऩा बिल में पूरे समूह, पूरे गांव या मोहल्ला क्षेत्र के लोगों के खिलाफ सामूहिक मुकदमा दर्ज कर सात साल की सजा का प्रावधान भी रखा गया है।
डायन प्रताडना विरोधी बिल को सदन में प्रारम्भ में बहुत ही मजाकिया रूप में, हंसी-मजाक एवं बहुत ही छोटे रूप में आंका जा रहा था, लेकिन महिला विधायक अल्कासिंह ने जब पुरूष प्रधान समाज में सिर्फ महिला को ही डायन बताने एवं पुरूष के डायन नहीं होने पर प्रश्न किया तब सदन गम्भीर हुआ और विधायक अल्कासिंह ने बताया कि पति के मरने के बाद गरीब महिला से शारीरिक शोषण करने वाले, उसकी सम्पति हड़पने के षडय़न्त्र और कई बार मानसिक रूप से डिप्रेशन-डिसआर्डर महिलाओं को भी समाज के धूर्त लोग डायन बताकर उसे प्रताडि़त करते है और डायन बिल को शारदा एक्ट के बाल विवाह की तरह औपचारिकता मात्र से दूर रखकर सख्ती से लागू करने की मांग भी की गई।
राजस्थान में डायन प्रताडऩा विरोधी बिल की विधानसभा में चर्चा के दौरान विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने बताया कि सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में एक विशाल डायन मंदिर बना हुआ है जिसपर पूरे प्रदेश से डायन पीडि़त महिलाएं आती है। कांग्रेस के गोविन्दसिंह डोटासरा ने डायन मंदिर पर पचास लाख रूपये खर्च कर जिर्णोद्धार की जानकारी भी सदन को दी।
विधायक हनुमान बेनीवाल ने विधानसभा में बताया कि डायन प्रकोप से गरीब, अशिक्षित और आदिवासी ही पीडि़त नहीं है बल्कि पूर्व में नागौर जिला कलेक्टर (आई.ए.एस.) होते हुए भी उनकी शादी इसलिए नहीं हो पाई थी कि बाहर प्रचलन था कि कलेक्टर स्वयं डायन है।
सात बार विधायक बन चुके सुन्दरलाल ने बताया कि डायन प्रथा पर रोकथाम के लिए झाडफ़ूंक करने वालों को जेलों में डालो। यदि यह कानून डायन वाले बाबाओं को राजस्थान से भगा दे तो डायन प्रथा स्वत: ही खत्म हो जायेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक महका राजस्थान के प्रधान सम्पादक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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