Monday, March 9, 2015

रिफाइनरी को बजट से दूर रखा...


ए.एस. सिलावट                                   
कांग्रेस की पिछली सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बाड़मेर में लगने वाली रिफाइनरी को वसुन्धरा सरकार ने बजट 2015-16 से दूर रखा तथा राजस्थान विधानसभा में बजट पेश करने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल सत्तार सिलावट द्वारा 'बजट प्रेस वार्ता' में रिफाइनरी के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि जमीन हमारी, रिफाइनरी निर्माण के लिए धन हमारा और हमारी धरती से निकलने वाले तेल पर सरकार की हिस्सेदारी मात्र 25 प्रतिशत जबकि का सिर्फ मैनेजमेंट देखने वाली कम्पनी को 75 प्रतिशत शेयर का समझौता पिछली सरकार की सबसे बड़ी भूल थी। जिस पर हमारी सरकार के उच्च अधिकारी स्तर की समिति सभी पक्षों पर विचार कर इस समझौते पर अपनी सलाह देगी, उसके बाद ही रिफाइनरी निर्माण पर विचार किया जायेगा।
मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि राजस्थान के विकास में तेल उत्पादन और तेल शोधन में रिफाइनरी का बहुत बड़ा योगदान साबित हो सकता है, लेकिन पिछली सरकार ने अपने खजाने से धन देने, अपनी जमीन और अपने घर में निकल रहे तेल को सिर्फ निगरानी करने वाली कम्पनी की झोली में ऐसे डाल दिया जिससे हमारे प्रदेश की जनता को एक रूपये की कमाई पर सिर्फ चवन्नी का लाभ हो और बिना लागत वाली कम्पनी बिना कुछ निवेश किये हमारी तेल सम्पदा के एक रूपये की कमाई से तीन चवन्नी ले जाये।
बजट प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि पिछली सरकार के रिफाइनरी समझौते में राजनेताओं की अदूरदर्शिता और 'हवाबाजी' की योजनाओं की पोल खोलकर रख दी है। रिफाइनरी के समझौते को यदि गांव के अनपढ़ किसान के सामने भी रख देवें तो वह भी उस पर दस्तखत नहीं करेगा, लेकिन पिछली सरकार ने अपनी उपलब्धियों में सर्वोच्च रिफाइनरी को रखकर पिछले दिनों रिफाइनरी निर्माण के लिए मौजूदा सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक 'पैदल मार्च' निकालकर जनता के हितैषी बनने का नाटक भी किया था।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने रिफाइनरी से डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिलने के दावे को खोखला एवं जनता को भ्रमित करते हुए पिछली सरकार द्वारा झूठी वाह-वाही लूटने वाला दावा बताया।
श्रीमती राजे ने कहा कि तेल रिफाइनरी आधुनिक संयन्त्र है तथा पूर्ण रूप से स्वसंचालित (ओटोमैटिक ऑपरेशन) है जिसमें लाखों लोगों के रोजगार की बात जनता के साथ छलावा मात्र है। आपने कहा कि वास्तव में सिर्फ आठ हजार लोगों को ही रिफाइनरी लगने के बाद रोजगार सुलभ हो पायेगा। बाकी सभी दावे मनगढ़त है।
राजस्थान सरकार के बजट 2015-16 बनाने वाली टीम के प्रमुख एवं राजस्थान सरकार के प्रमुख शासन सचिव वित्त एवं टेक्स पी.एस. मेहरा ने 'बजट प्रेस वार्ता' में रिफाइनरी समझौते पर बताया कि सरकार द्वारा नियुक्त उच्च अधिकारियों की समिति रिफाइनरी समझौते की शर्तों पर पुन: विचार कर रही है तथा राजस्थान सरकार की इतनी कम भागीदारी को पिछली सरकार के समय कैसे दे दी गई इस पर भी गहनता से विचार किया जा रहा है। श्री मेहरा के अनुसार मौजूदा सरकार रिफाइनरी के समझौते को लागू करने पर अपना निर्णय शिघ्र ले सकती है।
राजस्थान सरकार के बजट 2015-16 में रिफाइनरी को दूर रखकर मौजूदा सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिये हैं कि पिछली सरकार के अदूरर्शी निर्णय और जनता के साथ भ्रम पैदा करने वाली रिफाइनरी की आय वाले आंकड़ों की सच्चाई को आम जनता समझ चुकी है तथा अब पिछली सरकार के मुखिया भी रिफाइनरी समझौते में एक तरफा कम्पनी को लाभ देने वाली बात को झुठला नहीं सकते हैं। इसलिए मौजूदा सरकार रिफाइनरी को कांग्रेस सरकार की भूल को आम जनता के साथ धोखा बताकर राजनैतिक लाभ अवश्य लेने के प्रयास करेगी और इसमें सफलता भी मिल सकती है।
बजट प्रेस वार्ता के बाद मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा रिफाइनरी निर्माण के समझौते पर दिखाई नाराजगी एवं पिछली सरकार को रिफाइनरी पर घेरने की कोशिशों के चलते राजस्थान की जनता को रिफाइनरी निर्माण के लिए कुछ साल इन्तजार करना होगा। आज की स्थिती में इतना स्पष्ट को चुका है कि कांग्रेस सरकार द्वारा एचपीसीएल के साथ किये गये समझौते को मौजूदा सरकार ने लगभग अमान्य कर लिया है और अब एमओयू के रद्द करने की सिर्फ विधिवत घोषणा ही बाकी है। 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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