Wednesday, March 4, 2015

मीडिया विकास में सहभागी: वसुन्धरा


ए.एस. सिलावट                                                                                                      
राजस्थान ही नहीं देश की पहली विधानसभा और पहली मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे हैं जिन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद में प्रदेश के विकास में मीडिया की भूमिका को मार्गदर्शक, सहभागी एवं सकारात्मक बताया है। अब तक की परम्पराओं में राजनेता गांव के पंच-सरपंच से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को विकास की कड़ी मेहनत में श्रेय देते रहे हैं, उन्हीं के सर पर विकास का सेहरा बांधते रहे हैं, लेकिन राजस्थान विधानसभा में पहला अवसर है जब मुख्यमंत्री राजे ने खुलकर राजस्थान के विकास में मीडिया को भी सहभागी माना एवं पूरे देश के सामने अनुकरणीय मिसाल पेश की है।
देश भर में हर सुबह हजारों समाचार पत्र चार-आठ और बारह पृष्ठ में छपकर पाठकों तक पहुंचते हैं, लेकिन सरपंच से लेकर राष्ट्रीय स्तर के राजनेताओं की नज़र प्रदेश के दो चार बड़े समाचार पत्रों में अपनी ख़बरें ढूंढने और एक कॉलम दस सेंटीमीटर भी क्लासीफाइड पेज पर छपने से संतोष कर जाते हैं, लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे मध्यम और छोटे समाचार पत्रों को प्राथमिकता देती रही हैं चाहे विमोचन करना हो या सरकार से मान्यता देनी हो। ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें मध्यम और छोटे समाचार पत्रों के प्रोत्साहन के लिए प्रयास किये गये हैं।
विधानसभा पटल पर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने छोटे समाचार पत्रों को एक वरिष्ठ और कुशल पत्रकार की तरह सलाह दी है कि समाचार के मुख पृष्ठ और अन्तिम पृष्ठ पर ऐसे समाचारों को प्राथमिकता देवें जिससे जनहित की ख़बरें सरकार तक पहुंचे और पत्रकारिता के मिशन को कामयाबी मिले।
राजस्थान के विकास में बदलाव की अहम भूमिका में मुख्यमंत्री राजे ने पक्ष-विपक्ष में विधायकों, समाजसेवी संगठनों के साथ ही मीडिया का उल्लेख करते हुए बताया कि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ आज़ादी की लड़ाई से लेकर आज तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और सुझाव दिया कि राजस्थान के विकास के लिए जनता की बात को सरकार तक पहुंचाने, सरकार की विकास योजनाओं में मार्गदर्शन करने की सकारात्मक भूमिका मीडिया को निभानी चाहिये और मुझे आशा है कि राजस्थान के विकास में सरकार का सहभागी बनकर मीडिया सुझावात्मक समाचारों को प्राथमिकता देता रहेगा।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि हमारी सरकार राजस्थान के विकास के लिए पक्ष-विपक्ष के अलावा समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर और विशेषकर मीडिया के सुझावों को भी प्राथमिकता देकर प्रदेश को आगे बढ़ाना चाहती है। सरकार खुले दिल से सभी के सकारात्मक सुझावों को आमंत्रित कर योजनाएं बनाती है। सरकार गरीब, किसान, ग्रामीण, मजदूर और समाज के पिछड़े वर्ग के जीवन स्तर का उठाने के लिए योजनाएं बना रही हैं उन्हें लागू करने एवं आमजन को इसका लाभ पहुंचे ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं।
अब तक की सरकारों में बड़े समाचार पत्रों को छोड़कर मध्यम और छोटे समाचार पत्रों में प्रकाशित ख़बरों पर मुख्यमंत्री या केबिनेट मंत्री तो बहुत दूर की बात है जिलों में बैठे जिला कलेक्टर भी सम्बन्धित विभाग से प्रकाशित समाचार पर टिप्पणी या कार्यवाही नहीं करते थे जबकि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे जब विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद दे रही थी तब उनके पास 'नोट्सÓ वाले पेपर में एक समाचार पत्र की कटिंग भी मौजूद थी जिसका हवाला देकर मुख्यमंत्री ने समाचार पत्रों के सकारात्मक विचारों पर धन्यवाद भी दिया।
पिछले एक दशक में समाचार पत्रों एवं पत्रकारिता का स्तर बहुत कुछ बदला है तथा पत्रकारों की नई टीम, नौजवानों के नज़रिये में पुराने पत्रकारों की तरह किसी नेता, पार्टी या व्यक्ति से दुर्भावना के साथ ख़बर बनाने की परम्परा नहीं रही है बल्कि युवा पत्रकारिता में समाचार को सिर्फ समाचार के रूप में ही पेश किया जाता है। उसे बढ़ा चढ़ाकर ख़बर के साथ मन की 'भडास' निकालने की परम्पराएं समाप्त हो गई है इसलिए ख़बरों का महत्व बढ़ा है तथा बड़े समाचार पत्रों में जो तथ्यात्मक ख़बरें नहीं होती है वैसी ख़बरों से चार पेज-आठ पेज के अख़बार भरे पड़े रहते हैं। सरकार भी इस बात से वाकिफ है कि मध्यम और छोटे समाचार पत्रों का संचालन भी वरिष्ठ, अनुभवी एवं बड़े अख़बारों की टीम से निकले पत्रकार ही कर रहे हैं, इसलिए अख़बार का नाम और सर्कुलेशन भले ही छोटा लगे, लेकिन ख़बरों का स्तर, लेखनी का तिखापन बड़े और छोटे समाचार पत्रों में आज भी मौजूद है।
राजस्थान का मीडिया जगत एवं विशेषकर मध्यम और छोटे समाचार पत्र मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से बजट 2015-16 में उम्मीद करते हैं कि अख़बारों की विज्ञापन नीति में छोटे समाचार पत्रों को आर्थिक रूप से सम्बल प्रदान करने, अधिस्वीकरण में उम्र के आ$िखरी पड़ाव से पहले सुविधा, हाऊसिंग बोर्ड के मकानों में प्राथमिकता एवं पत्रकारों को अगर मुख्यमंत्री राजे राजस्थान के विकास में भागीदार मानती है तब पत्रकारों, छोटे समाचार पत्रों एवं पत्रकारों के परिवारों के विकास में भी सरकार आगे बढ़कर भागीदारी निभाये। उसके बाद आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की प्रतिमा को देखें, आपके साथ कंधे से कंधा ही नहीं बल्कि सरकार का महत्वपूर्ण अंग बनकर दिखायेगा।
मुख्यमंत्री जी पत्रकारों और छोटे समाचार पत्रों को सरकार की 'आँख-कान' बनाकर गांव की चौपाल से लेकर सत्ता के गलियारों की ऐसी ख़बरें आप तक पहुंचेगी जिन्हें आपके भाजपा संगठन, इन्टेलीजेन्स एजेन्सीयां और ब्यूरोके्रट्स भी ढ़ूंढ़ कर नहीं ला सकते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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