वर्ल्ड गोल्ड काउसिंल ने माना
जयपुर ज्वैलरी की शुद्धता में चोरियां
भारत में वर्ल्ड गोल्ड काउसिंल के जनसम्पर्क प्रबन्धक सोम सुंदरम् ने भी राजस्थान के जयपुर की गोल्ड ज्वैलरी के विश्व स्तर पर घटती शुद्धता की शाख पर कहा कि भारत में 316 हॉल मार्क सेन्टर हैं जिसमें तमिलनाडू में सर्वाधिक 58 जबकि जयपुर में 11 हॉल मार्क सेन्टर हैं।
वर्ल्ड गोल्ड काउसिंल के अनुसार भारत के 4 लाख ज्वैलर्स की शाख को जयपुर की गोल्ड ज्वैलरी में शुद्धता की कमी के बाद दुनिया में ‘शक’ के घेरे में ला खड़ा किया है जबकि अगले 5 साल में भारत का ज्वैलरी एक्स्पोर्ट 8 अरब से 40 अरब डालर तक विश्व बाजार में बढ़ सकता था, लेकिन जयपुर के ज्वैलरों के शुद्धता में चोरियों के कारनामों से भारत की ज्वैलरी की प्रतिष्ठा विश्व बाजार में खत्म हो गई है।
ए.एस. सिलावट - वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक
जयपुर। हीरे-पन्ने, माणक-मोती, रत्न जड़ित आभूषण राजा-महाराओं से लेकर मुगलों तक पहली पसंद के साथ अपनी विश्वसनीयता के लिए विश्व प्रसिद्धी हासिल कर चुका जयपुर आज भी सिंगापुर, हांगकांग, दुबई, लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक भारतीय ज्वैलर्स के शोरूम विदेशियों की पहली पसंद होते हैं और अन्य शोरूम में भारतीयों द्वारा भेजी ज्वैलरी पर ही पहली नज़र रुकती है। हीरे पन्ने और जवाहरात के स्टोन्स उत्पादन वाले अफ्रीकी देश भी अपने स्टोन्स को भारतीय ज्वैलरी मार्केट में बेचना पसंद करते हैं। भारतीय ज्वैलरी की दुनिया में यह प्रतिष्ठा बनाने में जयपुर के सर्राफा परिवारों की ‘पीढ़ियों’ ने आहुति दी है।। ज्वैलरी की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए नकली ‘स्टोन्स’ के सौदों में करोड़ों के धोखे खाकर भी नकली माल का ज्वैलरी में उपयोग नहीं होने दिया, लेकिन आज के जयपुर में ज्वैलरी व्यवसाय में जुड़े लोगों में ‘मिलावट खोरों’ नकली और कम गुणवत्ता के स्टोन्स की ज्वैलरी को ‘असली’ बताकर बेचने वालों ने अपने पाँव जमा रखे हैं। दुर्भाग्य से ज्वैलर्स का मुखौटा ओढ़े इन मिलावटखोरों को जयपुर के प्रतिष्ठित और बड़े जौहरी परिवारों का संरक्षण भी मिल रहा है और कुछ बड़े जौहरी परिवार जयपुर जौहरियों की शाख को धूमिल कर रहे ‘मुखौटा’ ओढ़े मिलावटखोरों के साथी भी बन चुके हैं।
राजस्थान ही नहीं देश के प्रसिद्ध दैनिक अख़बार ने पिछले दिनों जयपुर ज्वैलरी के प्रतिष्ठित घरानों के फर्म के नाम सहित उनकी ज्वैलरी में ‘खोट’ की खबरें प्रकाशित की थी। सोने की ज्वैलरी में 22 कैरेट के रूपये लेकर 16 और 18 कैरेट तक के नैकलेस, चूड़ियाँ, इयररिंग, अगूठियाँ पकड़ी गई। अख़बार में छपी ख़बरों के बाद सुत्रों के हवाले से खबर आई थी कि जयपुर के बड़े धोखेबाज़ ज्वैलर्स पर राजस्थान पुलिस ने बहुत बड़ी कार्यवाही की तैयारी कर ली थी, लेकिन मिलावटखोर ज्वैलर्स को संरक्षण देने वाले ‘राजनेताओं’ ने इस पुलिस कार्यवाही को रुकवाकर जयपुर के मिलावटखोर ज्वैलर्स को भोली-भाली जनता को लूटने की खुली छूट दिलवा दी।
जयपुर के ज्वैलर्स की सौ-सौ किलो ज्वैलरी जयपुर एयरपोर्ट पर कस्टम के ईमानदार अधिकारियों ने ‘कस्टम चोरी’ के आरोप में कई बार पकड़ी, लेकिन कस्टम चोरी की ज्वैलरी और व्यापारी पर कार्यवाही की ख़बर कभी नहीं आती है। सरकार को टेक्स चोरी का ‘चूना’ लगाने वाले ज्वैलर्स का करोड़ों रूपया ‘हवाला’ को पुलिस पकड़ती है, लेकिन उसके बाद इन्कम टेक्स, डीआरआई, या अन्य कार्यवाही की भनक भी नहीं लगती है तथा अन्दर ही अन्दर ‘आर्थिक’ अपराधियों को संरक्षण देकर निरन्तर टेक्स चोरियों के लिए प्रोत्साहन मिलता रहता है और आगे भी यह स्थिती बदलने जैसी नहीं लगती है।
अब ज्वैलरी शो की सच्चाई जान लेते हैं। जयपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दो ज्वैलरी शो हर साल होते हैं। इन दोनों शो के आयोजक एवं एसोसिएशन में कुछ चेहरे वही दिखाई देते हैं जिन पर राष्ट्रीय स्तर के दैनिक अख़बार में मिटावटी ज्वैलरी बेचने की रिपार्ट ‘हॉल मार्क’ एवं एमएमटीसी की लेबोरेट्री से जाँच करवाकर प्रकाशित की थी। ज्वैलरी शो में सरकारी खजाने को कैसे ‘चूना’ लगाते हैं पहले यह जान लेते हैं।
आने वाली ज्वैलरी चाहे दिल्ली, मुम्बई, कोलकता या चैन्नई से आती है प्राप्त जानकारी के अनुसार शो में उसे ‘अनसोल्ड’ (बिना बिकी हुई) बताकर कस्टम एवं अन्य टेक्स से बचा लिया जाता है। ज्वैलरी शो में बेची जाने वाली किसी भी ‘आइटम’ का बिल किस फर्म का है। इस नाम की फर्म रजिस्ट्रर्ड भी है। ज्वैलरी का लाइसेंस या ज्वैलरी मिलावटी निकलने या स्टोन्स नकली निकलने पर ग्राहक कहाँ जाकर इस फर्म को ढ़ंूढेगा। बिल पर फर्म का नाम, फर्जी दुकान नम्बर, जौहरी बाजार, जयपुर के साथ ईमेल लिखा होता है। अब आप फर्जी दुकान नम्बर पर जौहरी बाजार में कहाँ जायेंगे।
ज्वैलरी शो में बेचे जाने वाले माल पर ‘हॉलमार्क’ का निशान 90 प्रतिशत पर नहीं होता है। विदेशी ग्राहक जिस माल को ज्वैलरी शो से खरीदकर ले जाता है उसको अपने देश में पाँच-दस साल बाद मिलावट या नकली स्टोन की शिकायत पर सब्र करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है। विदेशी व्यापारी ज्वैलरी शो के स्टाल मालिक को ढ़ूंढने भी निकले और व्यापारी के खिलाफ कोई कार्यवाही भी करे, तो ऐसे व्यापारी एसोसिएशन की सदस्यता शुल्क इसीलिए देते हैं ताकि उनकी एसोसिएशन ऐसे मामलों में उनकी मदद कर सके या एसोसिएशन के नाम पर उन्हें धमकाया जा सके।
वर्ल्ड गोल्ड काउसिंल के अनुसार भारत के 4 लाख ज्वैलर्स की शाख को जयपुर की गोल्ड ज्वैलरी में शुद्धता की कमी के बाद दुनिया में ‘शक’ के घेरे में ला खड़ा किया है जबकि अगले 5 साल में भारत का ज्वैलरी एक्स्पोर्ट 8 अरब से 40 अरब डालर तक विश्व बाजार में बढ़ सकता था, लेकिन जयपुर के ज्वैलरों के शुद्धता में चोरियों के कारनामों से भारत की ज्वैलरी की प्रतिष्ठा विश्व बाजार में खत्म हो गई है।
ए.एस. सिलावट - वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक
जयपुर। हीरे-पन्ने, माणक-मोती, रत्न जड़ित आभूषण राजा-महाराओं से लेकर मुगलों तक पहली पसंद के साथ अपनी विश्वसनीयता के लिए विश्व प्रसिद्धी हासिल कर चुका जयपुर आज भी सिंगापुर, हांगकांग, दुबई, लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक भारतीय ज्वैलर्स के शोरूम विदेशियों की पहली पसंद होते हैं और अन्य शोरूम में भारतीयों द्वारा भेजी ज्वैलरी पर ही पहली नज़र रुकती है। हीरे पन्ने और जवाहरात के स्टोन्स उत्पादन वाले अफ्रीकी देश भी अपने स्टोन्स को भारतीय ज्वैलरी मार्केट में बेचना पसंद करते हैं। भारतीय ज्वैलरी की दुनिया में यह प्रतिष्ठा बनाने में जयपुर के सर्राफा परिवारों की ‘पीढ़ियों’ ने आहुति दी है।। ज्वैलरी की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए नकली ‘स्टोन्स’ के सौदों में करोड़ों के धोखे खाकर भी नकली माल का ज्वैलरी में उपयोग नहीं होने दिया, लेकिन आज के जयपुर में ज्वैलरी व्यवसाय में जुड़े लोगों में ‘मिलावट खोरों’ नकली और कम गुणवत्ता के स्टोन्स की ज्वैलरी को ‘असली’ बताकर बेचने वालों ने अपने पाँव जमा रखे हैं। दुर्भाग्य से ज्वैलर्स का मुखौटा ओढ़े इन मिलावटखोरों को जयपुर के प्रतिष्ठित और बड़े जौहरी परिवारों का संरक्षण भी मिल रहा है और कुछ बड़े जौहरी परिवार जयपुर जौहरियों की शाख को धूमिल कर रहे ‘मुखौटा’ ओढ़े मिलावटखोरों के साथी भी बन चुके हैं।
राजस्थान ही नहीं देश के प्रसिद्ध दैनिक अख़बार ने पिछले दिनों जयपुर ज्वैलरी के प्रतिष्ठित घरानों के फर्म के नाम सहित उनकी ज्वैलरी में ‘खोट’ की खबरें प्रकाशित की थी। सोने की ज्वैलरी में 22 कैरेट के रूपये लेकर 16 और 18 कैरेट तक के नैकलेस, चूड़ियाँ, इयररिंग, अगूठियाँ पकड़ी गई। अख़बार में छपी ख़बरों के बाद सुत्रों के हवाले से खबर आई थी कि जयपुर के बड़े धोखेबाज़ ज्वैलर्स पर राजस्थान पुलिस ने बहुत बड़ी कार्यवाही की तैयारी कर ली थी, लेकिन मिलावटखोर ज्वैलर्स को संरक्षण देने वाले ‘राजनेताओं’ ने इस पुलिस कार्यवाही को रुकवाकर जयपुर के मिलावटखोर ज्वैलर्स को भोली-भाली जनता को लूटने की खुली छूट दिलवा दी।
जयपुर के ज्वैलर्स की सौ-सौ किलो ज्वैलरी जयपुर एयरपोर्ट पर कस्टम के ईमानदार अधिकारियों ने ‘कस्टम चोरी’ के आरोप में कई बार पकड़ी, लेकिन कस्टम चोरी की ज्वैलरी और व्यापारी पर कार्यवाही की ख़बर कभी नहीं आती है। सरकार को टेक्स चोरी का ‘चूना’ लगाने वाले ज्वैलर्स का करोड़ों रूपया ‘हवाला’ को पुलिस पकड़ती है, लेकिन उसके बाद इन्कम टेक्स, डीआरआई, या अन्य कार्यवाही की भनक भी नहीं लगती है तथा अन्दर ही अन्दर ‘आर्थिक’ अपराधियों को संरक्षण देकर निरन्तर टेक्स चोरियों के लिए प्रोत्साहन मिलता रहता है और आगे भी यह स्थिती बदलने जैसी नहीं लगती है।
अब ज्वैलरी शो की सच्चाई जान लेते हैं। जयपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दो ज्वैलरी शो हर साल होते हैं। इन दोनों शो के आयोजक एवं एसोसिएशन में कुछ चेहरे वही दिखाई देते हैं जिन पर राष्ट्रीय स्तर के दैनिक अख़बार में मिटावटी ज्वैलरी बेचने की रिपार्ट ‘हॉल मार्क’ एवं एमएमटीसी की लेबोरेट्री से जाँच करवाकर प्रकाशित की थी। ज्वैलरी शो में सरकारी खजाने को कैसे ‘चूना’ लगाते हैं पहले यह जान लेते हैं।
आने वाली ज्वैलरी चाहे दिल्ली, मुम्बई, कोलकता या चैन्नई से आती है प्राप्त जानकारी के अनुसार शो में उसे ‘अनसोल्ड’ (बिना बिकी हुई) बताकर कस्टम एवं अन्य टेक्स से बचा लिया जाता है। ज्वैलरी शो में बेची जाने वाली किसी भी ‘आइटम’ का बिल किस फर्म का है। इस नाम की फर्म रजिस्ट्रर्ड भी है। ज्वैलरी का लाइसेंस या ज्वैलरी मिलावटी निकलने या स्टोन्स नकली निकलने पर ग्राहक कहाँ जाकर इस फर्म को ढ़ंूढेगा। बिल पर फर्म का नाम, फर्जी दुकान नम्बर, जौहरी बाजार, जयपुर के साथ ईमेल लिखा होता है। अब आप फर्जी दुकान नम्बर पर जौहरी बाजार में कहाँ जायेंगे।
ज्वैलरी शो में बेचे जाने वाले माल पर ‘हॉलमार्क’ का निशान 90 प्रतिशत पर नहीं होता है। विदेशी ग्राहक जिस माल को ज्वैलरी शो से खरीदकर ले जाता है उसको अपने देश में पाँच-दस साल बाद मिलावट या नकली स्टोन की शिकायत पर सब्र करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है। विदेशी व्यापारी ज्वैलरी शो के स्टाल मालिक को ढ़ूंढने भी निकले और व्यापारी के खिलाफ कोई कार्यवाही भी करे, तो ऐसे व्यापारी एसोसिएशन की सदस्यता शुल्क इसीलिए देते हैं ताकि उनकी एसोसिएशन ऐसे मामलों में उनकी मदद कर सके या एसोसिएशन के नाम पर उन्हें धमकाया जा सके।
राजस्थान सरकार की जिम्मेदारी है कि ज्वैलरी शो में ‘हॉल मार्क’ स्टाल
लगाकर शो में बेची जा रही ज्वैलरी की शुद्धता और गुणवत्ता की जाँच करें और
जयपुर ज्वैलरी की ‘शाख’ को बनाये रखें। कस्टम चोरी से ज्वैलरी शो में लाई
जाने वाली सैकड़ों किलो ज्वैलरी की जाँच के लिए एयरपोर्ट के साथ ज्वैलरी शो
में भी कस्टम विभाग द्वारा विशेष दस्ता तैनात किया जाए। ज्वैलरी शो के समय
देश-विदेश से होने वाले करोड़ों रूपये के हवाले की धरपकड़ के लिए डीआरआई एवं
पुलिस दल संयुक्त दल बनाकर निगरानी कर कालेधन के आदान प्रदान को भी रोकें।
आयकर विभाग एवं राजस्थान सरकार के सेल्स टेक्स, वेट एवं अन्य कर में
ज्वैलर्स को दी गई ‘सेल्फ एसेस्मेंट’ छूट की निगरानी के लिए भी ज्वैलरी शो
में विभाग द्वारा विशेष दस्ते नियुक्त कर सरकारी खजाने की आय को लूट से
बचाने का प्रयास करना चाहिये।
Tags:
world gold council agreed
Jaipur Jewellery not pure
Jaipur Jewellery Show
Jewellers Association Show
Gold, Diamond, Ruby, Jaipur, Rajasthan
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