अब्दुल सत्तार सिलावट
बृज की भूमि मथुरा के पास दीनदयाल धाम की विशाल रैली से जब पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सफलतम एक वर्ष के भाषण आधे मन से सुन रहा था उस समय राजस्थान की जनता इस बात से खुश थी कि नरेन्द्र मोदी के मंच पर राजस्थान के भाजपा नेता ओम माथुर को सिर्फ मंच पर कुर्सी के पास लेकर ही नहीं बैठे हैं बल्कि ठहाके लगा-लगाकर हंसते हुए पूरे देश को संदेश दे रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे नजदीक आधा दर्जन लोगों की लिस्ट में हमारे राजस्थान के ओम प्रकाश माथुर साहब यूपी चुनाव के प्रभारी होने के नाते सबसे नजदीक ही नहीं बल्कि दोस्ताना रिश्ते वाली टीम के सदस्य भी हैं।
मथुरा रैली से जब ड्रोन कैमरा विशाल जनसमूह की क्लिप टीवी चैनलों को दे रहा था उस समय राजस्थान की जनता को मंच पर लगे कैमरे से ओम जी भाई साहब के साथ मोदी जी की अगली तस्वीर देखने का उत्साह था और अब ओम माथुर के राजस्थान के सीएमओ की ओर बढ़ते कदमों के शगूफों को पुख्ता जमीन भी मिल रही थी।
नरेन्द्र मोदी के दोस्त, मुख्यमंत्री चुनावों में अब तक गुजरात की कमान सम्भालने वाले ओम प्रकाश माथुर ने पिछले एक साल में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने के बाद पांच प्रदेशों में भाजपा की सरकारों को एक तरफा जीत दिलवाकर साबित कर दिया कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के चुनाव की बागडोर ओम माथुर को बहुत सोच समझकर दी गई है। इस निर्णय में सिर्फ पार्टी-प्रधानमंत्री ही शामिल नहीं है बल्कि भाजपा सरकार के रिमोट कंट्रोल कहे जाने वाले 'नागपुर' के चाणक्यों की भी एकतरफा सहमति भी शामिल है।
राजस्थान की राजनीति में ओमप्रकाश माथुर ने 2008 में एक धमाकेदार 'एन्ट्री' की थी, लेकिन उस समय केन्द्र से किसी बड़े नेता का समर्थन नहीं था। राजस्थान की राजनीति में वसुन्धरा राजे के सामने ओमजी भाई साहब की केवल संघ नेता की पृष्ठभूमि थी और इसी टकराव ने 2008 में भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था, लेकिन इस बार पिछले छ: माह से चल रहे 'शगूफों' में ओमप्रकाश माथुर के राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की बात को मथुरा की रैली के साथ ही राष्ट्रीय भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह द्वारा राजस्थान के एक बड़े अखबार को दिये इन्टरव्यू में स्पष्ट संकेत दिये गये हैं कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री ओमप्रकाश माथुर ही होगा। राजस्थान की मौजूदा सरकार को हलचल या खलबली से बचाने के लिए अमित शाह ने यूपी चुनाव के बाद और दो साल का समय जरूर बताया है, जबकि अब स्वयं ओमप्रकाश माथुर भी ज्यादा इन्तजार के 'मूड' में नहीं है जबकि दूसरी ओर राजस्थान प्रदेश भाजपा की 104 सदस्यों वाली कार्यकारिणी में राजस्थान में सांसद-विधायक-मंत्री पद पर भी नहीं होते हुए ओम माथुर को कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के बाद स्थान दिया गया है यह बात भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के यूपी चुनाव के बाद ओम माथुर के राजस्थान प्रवेश को झूठला रही है। ओमजी भाई साहब की राजस्थान वाली टीम भी मौजूदा सरकार से दूरियां बनाकर ओमजी भाई साहब के शपथ ग्रहण समारोह में आतिशबाजी करने का इन्तजार कर रही है।
राजस्थान भाजपा प्रदेश कार्यालय में मोदी सरकार के एक साल सफलता के कार्यक्रमों में ओम माथुर समर्थक भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यही कार्यकर्ता पार्टी कार्यक्रमों में कल तक पीछे की लाईन में 'अनमने' भाव से खड़े रहकर पार्टी कार्यकर्ता होने की 'रश्म' अदायगी करते थे वे ही ओम जी समर्थक मथुरा की विशाल सभा में नरेन्द्र मोदी-ओम माथुर की दोस्ती की झलक से इतने उत्साहित हैं कि अब हाथ जोड़कर नमस्ते या हाथ मिलाकर अभिवादन ही नहीं करते हैं बल्कि अपनी टीम के कार्यकर्ता को खींचकर गले लगाते हैं और ऊंची आवाज में बोलते है 'भाई साहब, अब अच्छे दिन सामने दिखाई दे रहे हैं।'
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मंत्रिमण्डल में राजस्थान का प्रतिनिधित्व लेने की बेरूखी से मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और नरेन्द्र मोदी के बीच बेरूखी की चर्चा सिर्फ राजनैतिक गलियारों तक ही सिमित नहीं थी बल्कि प्रशासनिक हल्कों में भी इसे गम्भीरता से लिया गया था और परिणाम पिछले एक साल से सरकार की गति 'झील के ठहरे पानी' की तरह निष्क्रिय ही दिखाई देती रही है।
मथुरा की विशाल रैली में नरेन्द्र मोदी-ओम माथुर के हंसी के ठहाके और उसी दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के लिए ओम माथुर के नाम पर सकारात्मक संकेतों ने राजस्थान में मौजूदा सरकार द्वारा किनारे किये गये आईएएस, आईपीएस एवं उच्च अधिकारियों में आशा की किरण पैदा कर दी है और इन अधिकारियों ने ओम माथुर से जुड़े विधायकों, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं तक पहुंचने के माध्यम ढूंढने शूरू भी कर दिये हैं।
खैर: राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री ओमप्रकाश माथुर बने या यह बातें शगूफों की कड़ी में खत्म हो जाये, लेकिन इतना निश्चित है कि मौजूदा वसुन्धरा सरकार के मंत्रियों, प्रशासनिक टीम में एक बार निराशा एवं अनिश्चितता की लहर राजस्थान के विकास को जरूर धीमा कर देगी और पिछले छ: माह के एक तरफा प्रयासों से अक्टूबर में होने वाले 'रिसर्जेंट राजस्थान' में निवेश करने का मन बना चुके उद्यमियों को मौजूदा बदलते समीकरणों में अपने निवेश को राजस्थान में लाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर सकते हैं।
राजस्थान के विकास के लिए स्थिर, मजबूत और केन्द्र सरकार के साथ अच्छे समन्वय वाली सरकार की जरूरत है। अब देखना यह है कि मौजूदा मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे आगे बढ़कर नये बन रहे समीकरणों को तोड़ती हैं या ओमप्रकाश माथुर की झोली में प्रबल बहुमत वाली राजस्थान सरकार आती है, यह तो भविष्य ही बतायेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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